नहीं करते बात
आसमां छूने की
वो तो है सितारों का
जमीं पर रच देंगे इतिहास
क्योंकि जमीं है हमारी
अभी तो शुरू हुआ है
सफर हमारा
और भी है मुकाम
मिलकर चलेंगे
साथ सफर पर
क्योंकि
मंजिले करती है
इंतजार हमारा.
भरोसा है अपने पर
मिलेगा साथ आपका ..
Added by Harish Bhatt on July 12, 2012 at 2:00pm — 6 Comments
देखो !
उस चिड़िया के पंख निकाल आए
अब वो अपने पंख फैलाएगी
आसमानों के गीत गाएगी
बातें करेगी-
-गगनचुम्बी उड़ानों की !
तोड़ डालेगी-
-तुम्हारी निर्धारित ऊंचाईयां !
और उसकी अंगडाईयां
कंपा देंगी तुम्हारे अंतरिक्ष को !
वो देख आएगी
तुम्हारे सूरज में घुटता अँधेरा !
प्रश्न उठाएगी
तुम्हारे सूर्योदय पर भी !
फिर कौन पूजेगा -
-तम्हारे अस्तित्व को ?
कौन मानेगा -
-तुम्हारी…
ContinueAdded by Arun Sri on July 12, 2012 at 1:30pm — 14 Comments
शीशे की तरह दिल में, इक बात साफ़ है,
ये दिल दिल्लगी के, बिलकुल खिलाफ है,
खता इतनी थी कि उसने, मज़बूरी नहीं बताई,
फिर भी उसकी गलती, तहे-दिल से माफ़ है,
लगने लगी है सर्दी, अश्कों में भीगने से,
इतना हल्का हो गया, तन का लिहाफ है,…
Added by अरुन 'अनन्त' on July 12, 2012 at 12:37pm — 10 Comments
उठता यूँ हिजाब देख के
उनको ही तकते रह गए
काला तिल रुखसार पर
लेता जाँ है जाने जिगर
दिल पे है कैसा ये असर
न रही दुनिया की खबर
रंगत औ शबाब देख के
उनको ही तकते रह गए
लगती है जैसे गुल बदन
उठती है मीठी सी चुभन
धरती है या है वो गगन
सीने में चाहत की अगन
होंठों में गुलाब देख के
उनको की तकते रह गए
गहरा वो कोई सागर
या कल कल सा कोई निर्झर…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 12, 2012 at 11:44am — 6 Comments
हाय ! ये कैसा मौसम आया बाबाजी
देख के मेरा मन घबराया बाबाजी
पूरब में तो बाढ़ का तांडव मार रहा
उत्तर में है सूखा छाया बाबाजी
भीषण गर्मी के…
Added by Albela Khatri on July 12, 2012 at 8:30am — 15 Comments
कहीं लब पर तराने हैं मुहब्बत के फ़साने हैं.
सुहाने दिन तेरी आगोश में मुझको बिताने हैं.
फिजा में ये हवायें भी तेरे दम से महकती हैं,
सुना है हीर की खातिर कई रांझे दिवाने हैं...
****************************************
यहाँ सब लोग तेरे हुश्न के किस्से सुनाते हैं.
अधर ये शबनमी उसके मुझे अक्सर रिझाते हैं.
बहुत बेचैन है ये दिल उड़ी है नींद आँखों से,
कटीले दो नयन तेरे बहुत मुझको सताते…
ContinueAdded by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on July 11, 2012 at 10:30pm — 14 Comments
अनछुआ चैतन्य
क्या याद हैं
तुम्हें
वो लम्हे,
जब
हम तुम मिले थे ?
तब सिर्फ़
एक दूसरे को
ही नहीं सुना था हमने,
बल्कि,
सुना था हमने
उस शाश्वत खामोशी को
जिसने
हमें अद्वैत कर दिया था....
तब सिर्फ़
सान्निध्य को
ही नहीं जिया था हमने,
बल्कि,
जिया था हमने
उस शून्यता को
जो रचयिता है
और विलय भी है
संपूर्ण सृष्टि की.... …
Added by Dr.Prachi Singh on July 11, 2012 at 9:30pm — 31 Comments
कहती है सरकार ,खजाना खाली है
बेकल बेरोजगार खजाना खाली है
बिना विभाग के मंत्री पद निर्माण करें ;
जनता के लिए यार ,खजाना खाली है .
अपने हक जो मांगे उन को पीटो बस;
कर लो गिरफ्तार ,खजाना खाली है .
सी .एम् पुत्र तो सी. एम् ही बन जाना है
काहे की तकरार ,खजाना खाली है .
वोटें हैं ,मेहनत हैं ,या फिर जेबें हैं ;
इन की क्यों सोचें यार ,खजाना खाली है .
दीप जीर्वी
Added by DEEP ZIRVI on July 11, 2012 at 7:48pm — 9 Comments
देश हित वाली बात हिल-मिल सुनाइए
ज्ञान का प्रकाश दे जो दीप वो जलाइए
देश पर विदेशियों की रीत न चलाइए
मान सम्मान अपने देश का बचाइये
अपना संस्कारों वाला देश नव बनाइये
रीत औ रिवाजों वाले गीत अब गाइए
छोटों को गरीबों को कभी मत सताइए
हो सके तो उनको भी गले से लगाइए
संदीप पटेल "दीप"
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 11, 2012 at 3:00pm — 8 Comments
नापाक इरादे से दिल लगाने को तुला है,
इक शक्स मेरी हस्ती मिटाने को तुला है,
हजारों किये हैं जुर्म मगर सजा कोई नहीं,
मुझको भी गुनाहों में फ़साने को तुला है,
सौदागर है, दिलों का व्यापार करता है,
धंधा है यही वो जिसको, बढ़ाने को तुला…
Added by अरुन 'अनन्त' on July 11, 2012 at 2:29pm — 10 Comments
Added by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on July 11, 2012 at 1:52pm — 19 Comments
तकदीर पर विशवास तो नही मुझे ,
आये क्यों हो मेरी जिंदगी में तुम ,
निभाया सदा साथ तुम्हारा लेकिन ,
दर्देदिल के सिवा क्या मिला मुझे|
.........................................
भुला कर हमने हर सितम तुम्हारे ,
साथ निभाने का क्यों वादा किया ,
हद हो गई अब ज़ुल्मो सितम की ,
प्यार में तो हमने धोखा ही खाया |
.........................................
निभा न सके जब तुम वफ़ा को ,
चुप रहे फिर भी खातिर तुम्हारी ,
दफना दिया सीने में ही दर्द को ,
उफ़ तक न की…
Added by Rekha Joshi on July 11, 2012 at 1:33pm — 17 Comments
बस दो घूंट पियूँ , और सारा जाम भूल जाऊँ
कि तुझे याद करूँ, और तेरा नाम भूल जाऊँ
जीवन के सफ़र में कहीं, तू मिले जो दुबारा,
तेरा हाल पूछूँ, और क्या था काम भूल जाऊँ,
मिलने को तुझसे, जब भी सजाऊँ कोई रात,
मारे ख़ुशी के मैं तो वही, शाम…
Added by अरुन 'अनन्त' on July 11, 2012 at 12:00pm — 8 Comments
सावन आया झूम झूम के बाबाजी
बजे नगाड़े धूम धूम के बाबाजी
छोरे ने छोरी के गाल भिगो डाले
चूम चूम के, चूम चूम के बाबाजी
घाट घाट का पानी पीने वालों ने
कपड़े पहने लूम लूम के बाबाजी
आँगन,वेह्ड़ा और वरांडा मत ढूंढो…
Added by Albela Khatri on July 10, 2012 at 9:00pm — 18 Comments
"स्वप्न"
सूदखोर नहीं मानते
आते हैं हाथ जोड़ के
देते हैं कर्ज
चंद दिनों के बाद
दोगुना वसूल करते हैं
सूद
ले जाते हैं लूट के सारे सुन्दर स्वप्न
छाती फुला के अकड़…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 10, 2012 at 7:07pm — 6 Comments
मै
इक आवाज हूँ.
जब किसी मजलूम के
मुँह से निकलूँ,
मुझे इल्जाम मत देना.
मै...
जब किसी की
सिसकी बन
आँखों से छलकूँ
मुझे इल्जाम मत देना.
मै...
जब किसी के
दर्द में
कराह बन जाऊं,
मुझे इल्जाम मत देना.
मै...
जब किसी के
दिल से
आह बन टपकूँ,
मुझे इल्जाम मत देना.
मै...
जब किसी के
चहरे पर
ख़ुशी बन चमकूँ,
मुझे इल्जाम मत देना.
मै..................
वीणा…
Added by Veena Sethi on July 10, 2012 at 5:00pm — 12 Comments
वो ख़्वाब उज़ागर क्यूँ किये हमने
सौ दर्द ज़िगर को क्यूँ दिए हमने||
जब करनी थी बातें कई हज़ार
वो लब चुपके से क्यूँ सिये हमने||
ख़्वाब बुनते रहे वो ही गलीचा
तलवे ये जख्मी क्यूँ किये हमने ||
ता उम्र करते रहे उन से वफ़ा
ये जफ़ा के घूँट क्यूँ पिए हमने ||
दे के जहान भर की दुआ उनको
मिटा दिए सुख के क्यूँ ठिये हमने
अश्क तो पलकों में ज़ब्त हो…
ContinueAdded by rajesh kumari on July 10, 2012 at 12:30pm — 22 Comments
क्या बतलाऊं हाल देश का बाबाजी
झगड़ा, टंटा, हठ, क्लेश का बाबाजी
माल स्वदेशी कौन ख़रीदे भारत में
सबको चस्का है विदेश का बाबाजी
कालिख भ्रष्टाचार की किस दिन जायेगी
धोला हो गया रंग केश का बाबाजी
पाखंडियों ने इतना…
Added by Albela Khatri on July 10, 2012 at 12:15pm — 18 Comments
Added by Deepak Sharma Kuluvi on July 10, 2012 at 11:24am — 9 Comments
मेरी आँखों में जो देखा गया है ...
तेरे ही अक़स को पाया गया है ...
मुझे आइन-ए-तहज़ीब समझा ...
वो शायद इस लिये शर्मा गया है ...
वही जिसने मुझे दीवाना समझा ...
जहाने दिल पे मेरे छा गया है ...
निगाहों से न बच पाया मैं उसकी ...
मुझे इस तोवर से ढूंढा गया है ...
उसे हुस्ने-सरापा कह दिया था ...
उसी दिन से वो बस इतरा गया है ...
ये किसके लम्स का झोंका था आख़िर ...
मेरे कमरे को जो महका गया है ... …
Added by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on July 9, 2012 at 6:30pm — 6 Comments
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