For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शहरों में घर रूम रूम के बाबाजी

सावन आया झूम झूम के बाबाजी
बजे  नगाड़े  धूम धूम  के बाबाजी

छोरे ने छोरी के गाल भिगो डाले
चूम चूम के, चूम चूम के बाबाजी

घाट घाट का पानी पीने वालों ने
कपड़े पहने लूम लूम के बाबाजी

आँगन,वेह्ड़ा और वरांडा मत ढूंढो
शहरों में घर रूम रूम के बाबाजी

अलबेला को ओबीओ से इश्क़ हुआ
कहदो सबको घूम घूम के बाबाजी

-अलबेला खत्री

Views: 823

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 7:55am

ये गलत बात है आदरणीय वीनस केसरी  जी.......
इधर छोरी के गाल गीले हो गए, उधर आप हँस रहे हैं ....
चिदम्बरम साहेब को पता चला तो इस पे भी कर लगा देंगे ...हा हा हा
प्रति चुम्बन पांच रुपया .....हा हा हा

______वैसे आपको  पंक्तियाँ पसन्द आयीं........मेरा मन पुलकित हो गया
___आभार

Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 7:49am

आदरणीय उमाशंकर जी,
ये रचना आपको पसंद आई,
मैं धन्य हो गया
मेरा कंप्यूटर धन्य हो गया
कंप्यूटर का स्क्रीन धन्य हो गया
की बोर्ड धन्य होगया
माउस धन्य हो गया
___बोले तो सबकुछ धन्य हो गया

__विनम्र आभार !

Comment by वीनस केसरी on July 12, 2012 at 2:08am

छोरे ने छोरी के गाल भिगो डाले
चूम चूम के, चूम चूम के बाबाजी

हा हा हा
क्या कहने ........

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 11, 2012 at 11:10pm

छोरे ने छोरी के गाल भिगो डाले
चूम चूम के, चूम चूम के बाबाजी ....आदरणीय अलबेला जी इतना रस मय....?  एक ही कविता में कई कई रंग डाल देते हैं मै पहले भी कहता था अब भी कहूँगा आलराउंडरी है 

वाह वाह बहुत बढ़िया है जी ......हमें भी पता चल गया .......

Comment by Albela Khatri on July 11, 2012 at 10:19pm

आपका तहेदिल से शुक्रिया भ्रमर जी........

__आपके स्नेहिल प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद

Comment by Albela Khatri on July 11, 2012 at 10:16pm

कैसे पता लगा दीप्ति जी...........
ये तो राज़ की बात थी........हा हा हा

__आपके आने का धन्यवाद
____आते रहिएगा ...अच्छा लगता है

Comment by Albela Khatri on July 11, 2012 at 10:14pm

आदरणीय संदीप द्विवेदी जी.....
आपकी सटीक टिपण्णी और  उदार सराहना ने मन को आनन्दित  कर दिया
ऊर्जस्वित कर दिया ......

___आपका हार्दिक आभार

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 11, 2012 at 10:08pm

आँगन,वेह्ड़ा और वरांडा मत ढूंढो 
शहरों में घर रूम रूम के बाबाजी 

अलबेला को ओबीओ से इश्क़ हुआ 
कहदो सबको घूम घूम के बाबाजी 

बड़ी ख़ुशी की खबर है आई इश्क चढ़ा परवान 
ओ बी ओ  अलबेला जी आये मन अब हुआ जवान 
गाओ झूम झूम के बाबा जी ..
सटीक दृश्य शहर आदि का 
भ्रमर ५ 

 

Comment by deepti sharma on July 11, 2012 at 7:13pm

वाह वाह बहुत खूब 

बधाई आपको 

हमे भी पता लग चूका है हा हा हा हा

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on July 11, 2012 at 2:12pm

वास्तविकता के धरातल पर सरल सहज शब्दों में आपकी यह कृति बहुत कुछ कहती है| ऐसा लेखन आपकी कलम के ही वश में है अलबेला जी| आपका इश्क़ हम सब के लिए बेहद ख़ुशी की बात है| सादर.. :-))

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, बहुत समय बाद आपकी ग़ज़ल ओबीओ पर पढ़ने को मिली, बहुत च्छी ग़ज़ल कही आपने, इस…"
2 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहा (ग़ज़ल)

बह्र: 1212 1122 1212 22किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहातमाम उम्र मैं तन्हा इसी सफ़र में…See More
yesterday
सालिक गणवीर posted a blog post

ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...

२१२२-१२१२-२२/११२ और कितना बता दे टालूँ मैं क्यों न तुमको गले लगा लूँ मैं (१)छोड़ते ही नहीं ये ग़म…See More
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"चल मुसाफ़िर तोहफ़ों की ओर (लघुकथा) : इंसानों की आधुनिक दुनिया से डरी हुई प्रकृति की दुनिया के शासक…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"सादर नमस्कार। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया सकारात्मक विचारोत्तेजक और प्रेरक रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"आदाब। बेहतरीन सकारात्मक संदेश वाहक लघु लघुकथा से आयोजन का शुभारंभ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
Thursday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"रोशनी की दस्तक - लघुकथा - "अम्मा, देखो दरवाजे पर कोई नेताजी आपको आवाज लगा रहे…"
Thursday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"अंतिम दीया रात गए अँधेरे ने टिमटिमाते दीये से कहा,'अब तो मान जा।आ मेरे आगोश…"
Thursday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"स्वागतम"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ

212 212 212 212  इस तमस में सँभलना है हर हाल में  दीप के भाव जलना है हर हाल में   हर अँधेरा निपट…See More
Tuesday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"//आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Oct 26
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत धन्यवाद"
Oct 26

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service