सावन आया झूम झूम के बाबाजी
बजे नगाड़े धूम धूम के बाबाजी
छोरे ने छोरी के गाल भिगो डाले
चूम चूम के, चूम चूम के बाबाजी
घाट घाट का पानी पीने वालों ने
कपड़े पहने लूम लूम के बाबाजी
आँगन,वेह्ड़ा और वरांडा मत ढूंढो
शहरों में घर रूम रूम के बाबाजी
अलबेला को ओबीओ से इश्क़ हुआ
कहदो सबको घूम घूम के बाबाजी
-अलबेला खत्री
Comment
ये गलत बात है आदरणीय वीनस केसरी जी.......
इधर छोरी के गाल गीले हो गए, उधर आप हँस रहे हैं ....
चिदम्बरम साहेब को पता चला तो इस पे भी कर लगा देंगे ...हा हा हा
प्रति चुम्बन पांच रुपया .....हा हा हा
______वैसे आपको पंक्तियाँ पसन्द आयीं........मेरा मन पुलकित हो गया
___आभार
आदरणीय उमाशंकर जी,
ये रचना आपको पसंद आई,
मैं धन्य हो गया
मेरा कंप्यूटर धन्य हो गया
कंप्यूटर का स्क्रीन धन्य हो गया
की बोर्ड धन्य होगया
माउस धन्य हो गया
___बोले तो सबकुछ धन्य हो गया
__विनम्र आभार !
छोरे ने छोरी के गाल भिगो डाले
चूम चूम के, चूम चूम के बाबाजी
हा हा हा
क्या कहने ........
छोरे ने छोरी के गाल भिगो डाले
चूम चूम के, चूम चूम के बाबाजी ....आदरणीय अलबेला जी इतना रस मय....? एक ही कविता में कई कई रंग डाल देते हैं मै पहले भी कहता था अब भी कहूँगा आलराउंडरी है
वाह वाह बहुत बढ़िया है जी ......हमें भी पता चल गया .......
आपका तहेदिल से शुक्रिया भ्रमर जी........
__आपके स्नेहिल प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद
कैसे पता लगा दीप्ति जी...........
ये तो राज़ की बात थी........हा हा हा
__आपके आने का धन्यवाद
____आते रहिएगा ...अच्छा लगता है
आदरणीय संदीप द्विवेदी जी.....
आपकी सटीक टिपण्णी और उदार सराहना ने मन को आनन्दित कर दिया
ऊर्जस्वित कर दिया ......
___आपका हार्दिक आभार
आँगन,वेह्ड़ा और वरांडा मत ढूंढो
शहरों में घर रूम रूम के बाबाजी
अलबेला को ओबीओ से इश्क़ हुआ
कहदो सबको घूम घूम के बाबाजी
वाह वाह बहुत खूब
बधाई आपको
हमे भी पता लग चूका है हा हा हा हा
वास्तविकता के धरातल पर सरल सहज शब्दों में आपकी यह कृति बहुत कुछ कहती है| ऐसा लेखन आपकी कलम के ही वश में है अलबेला जी| आपका इश्क़ हम सब के लिए बेहद ख़ुशी की बात है| सादर.. :-))
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