For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शहरों में घर रूम रूम के बाबाजी

सावन आया झूम झूम के बाबाजी
बजे  नगाड़े  धूम धूम  के बाबाजी

छोरे ने छोरी के गाल भिगो डाले
चूम चूम के, चूम चूम के बाबाजी

घाट घाट का पानी पीने वालों ने
कपड़े पहने लूम लूम के बाबाजी

आँगन,वेह्ड़ा और वरांडा मत ढूंढो
शहरों में घर रूम रूम के बाबाजी

अलबेला को ओबीओ से इश्क़ हुआ
कहदो सबको घूम घूम के बाबाजी

-अलबेला खत्री

Views: 840

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 7:55am

ये गलत बात है आदरणीय वीनस केसरी  जी.......
इधर छोरी के गाल गीले हो गए, उधर आप हँस रहे हैं ....
चिदम्बरम साहेब को पता चला तो इस पे भी कर लगा देंगे ...हा हा हा
प्रति चुम्बन पांच रुपया .....हा हा हा

______वैसे आपको  पंक्तियाँ पसन्द आयीं........मेरा मन पुलकित हो गया
___आभार

Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 7:49am

आदरणीय उमाशंकर जी,
ये रचना आपको पसंद आई,
मैं धन्य हो गया
मेरा कंप्यूटर धन्य हो गया
कंप्यूटर का स्क्रीन धन्य हो गया
की बोर्ड धन्य होगया
माउस धन्य हो गया
___बोले तो सबकुछ धन्य हो गया

__विनम्र आभार !

Comment by वीनस केसरी on July 12, 2012 at 2:08am

छोरे ने छोरी के गाल भिगो डाले
चूम चूम के, चूम चूम के बाबाजी

हा हा हा
क्या कहने ........

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 11, 2012 at 11:10pm

छोरे ने छोरी के गाल भिगो डाले
चूम चूम के, चूम चूम के बाबाजी ....आदरणीय अलबेला जी इतना रस मय....?  एक ही कविता में कई कई रंग डाल देते हैं मै पहले भी कहता था अब भी कहूँगा आलराउंडरी है 

वाह वाह बहुत बढ़िया है जी ......हमें भी पता चल गया .......

Comment by Albela Khatri on July 11, 2012 at 10:19pm

आपका तहेदिल से शुक्रिया भ्रमर जी........

__आपके स्नेहिल प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद

Comment by Albela Khatri on July 11, 2012 at 10:16pm

कैसे पता लगा दीप्ति जी...........
ये तो राज़ की बात थी........हा हा हा

__आपके आने का धन्यवाद
____आते रहिएगा ...अच्छा लगता है

Comment by Albela Khatri on July 11, 2012 at 10:14pm

आदरणीय संदीप द्विवेदी जी.....
आपकी सटीक टिपण्णी और  उदार सराहना ने मन को आनन्दित  कर दिया
ऊर्जस्वित कर दिया ......

___आपका हार्दिक आभार

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 11, 2012 at 10:08pm

आँगन,वेह्ड़ा और वरांडा मत ढूंढो 
शहरों में घर रूम रूम के बाबाजी 

अलबेला को ओबीओ से इश्क़ हुआ 
कहदो सबको घूम घूम के बाबाजी 

बड़ी ख़ुशी की खबर है आई इश्क चढ़ा परवान 
ओ बी ओ  अलबेला जी आये मन अब हुआ जवान 
गाओ झूम झूम के बाबा जी ..
सटीक दृश्य शहर आदि का 
भ्रमर ५ 

 

Comment by deepti sharma on July 11, 2012 at 7:13pm

वाह वाह बहुत खूब 

बधाई आपको 

हमे भी पता लग चूका है हा हा हा हा

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on July 11, 2012 at 2:12pm

वास्तविकता के धरातल पर सरल सहज शब्दों में आपकी यह कृति बहुत कुछ कहती है| ऐसा लेखन आपकी कलम के ही वश में है अलबेला जी| आपका इश्क़ हम सब के लिए बेहद ख़ुशी की बात है| सादर.. :-))

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service