"स्वप्न"
सूदखोर नहीं मानते
आते हैं हाथ जोड़ के
देते हैं कर्ज
चंद दिनों के बाद
दोगुना वसूल करते हैं
सूद
ले जाते हैं लूट के सारे सुन्दर स्वप्न
छाती फुला के अकड़ के आते हैं
उनके आते ही
सारे स्वप्न फडफडाते हैं
जैसे पानी बिना मछली
लेकिन सूदखोर ले जाते हैं
हर बार की तरह स्वप्न
निकाल के दिल के गहरे सागर से
दे जाते हैं कुछ भयानक स्वप्न
जो उड़ा देते हैं नींद
सरसराहट ला देते हैं जिस्म में
दिल में उठा देते हैं तूफ़ान
बिना सुन्दर सपनों के
घोर निराशा के काले बादल
रोज छाते हैं
पर उनसे सुन्दर स्वप्न फिर नहीं बरसते
सूदखोर हँसते हैं
मुस्कुराते हैं
सदैव मछुआरों की तरह तत्पर
हाथ जोड़ के आते हैं
और अगले ही पल सारे सुन्दर स्वप्न ले जाते हैं
क्यूंकि कर्जदारों को अधिकार नहीं
सुन्दर स्वप्न को जीने का
वो ले सकते हैं केवल कर्ज
और सूद में देते हैं स्वप्न
विद्वान् कहते हैं
रोने से दर्द कम हो जाता है
कितना रो लूं
अब तो आँखों का पानी सूख गया
लेकिन वो फिर भी न माने
लाचारों की लाचारी का मजाक कौन नहीं उड़ाता
कमजोरों को कौन नहीं सताता
और कर्जदार कमजोर ही होता है
उसे शिकायत करने का नहीं केवल
सूद देने का अधिकार है
सूद अदा होता है
सुन्दर स्वप्न से
अब उसपे किसी का अधिकार नहीं
न कर्जदार का न सूदखोर का
संदीप पटेल "दीप"
Comment
वाह बहुत सुन्दर संदीप जी बहुत ही उम्दा है
लाचारों की लाचारी का मजाक कौन नहीं उड़ाता
कमजोरों को कौन नहीं सताता
और कर्जदार कमजोर ही होता है
उसे शिकायत करने का नहीं केवल
सूद देने का अधिकार है.......एकदम सत्य
संदीप जी हार्दिक बधाई
क्यूंकि कर्जदारों को अधिकार नहीं
सुन्दर स्वप्न को जीने का
वो ले सकते हैं केवल कर्ज
और सूद में देते हैं स्वप्न
विद्वान् कहते हैं
रोने से दर्द कम हो जाता है
कितना रो लूं
अब तो आँखों का पानी सूख गया
वाह बहुत खुबसूरत रचना
बधाई आपको
बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति और सार्थक भी
संदीप जी ,
बधाई हो संदीप पटेल जी.........
बहुत उम्दा कविता.....
कमजोरों को कौन नहीं सताता
और कर्जदार कमजोर ही होता है
उसे शिकायत करने का नहीं केवल
सूद देने का अधिकार है
सूद अदा होता है
सुन्दर स्वप्न से
__वाह वाह !
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online