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"स्वप्न"

सूदखोर नहीं मानते
आते हैं हाथ जोड़ के
देते हैं कर्ज
चंद दिनों के बाद
दोगुना वसूल करते हैं
सूद
ले जाते हैं लूट के सारे सुन्दर स्वप्न
छाती फुला के अकड़ के आते हैं
उनके आते ही
सारे स्वप्न फडफडाते हैं
जैसे पानी बिना मछली
लेकिन सूदखोर ले जाते हैं
हर बार की तरह स्वप्न
निकाल के दिल के गहरे सागर से
दे जाते हैं कुछ भयानक स्वप्न
जो उड़ा देते हैं नींद
सरसराहट ला देते हैं जिस्म में
दिल में उठा देते हैं तूफ़ान
बिना सुन्दर सपनों के
घोर निराशा के काले बादल
रोज छाते हैं
पर उनसे सुन्दर स्वप्न फिर नहीं बरसते
सूदखोर हँसते हैं
मुस्कुराते हैं
सदैव मछुआरों की तरह तत्पर
हाथ जोड़ के आते हैं
और अगले ही पल सारे सुन्दर स्वप्न ले जाते हैं
क्यूंकि कर्जदारों को अधिकार नहीं
सुन्दर स्वप्न को जीने का
वो ले सकते हैं केवल कर्ज
और सूद में देते हैं स्वप्न
विद्वान् कहते हैं
रोने से दर्द कम हो जाता है
कितना रो लूं
अब तो आँखों का पानी सूख गया
लेकिन वो फिर भी न माने
लाचारों की लाचारी का मजाक कौन नहीं उड़ाता
कमजोरों को कौन नहीं सताता
और कर्जदार कमजोर ही होता है
उसे शिकायत करने का नहीं केवल
सूद देने का अधिकार है
सूद अदा होता है
सुन्दर स्वप्न से
अब उसपे किसी का अधिकार नहीं
न कर्जदार का न सूदखोर का
 
संदीप पटेल "दीप"

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Comment by UMASHANKER MISHRA on July 11, 2012 at 11:02pm

वाह बहुत सुन्दर संदीप जी बहुत ही उम्दा है

लाचारों की लाचारी का मजाक कौन नहीं उड़ाता
कमजोरों को कौन नहीं सताता
और कर्जदार कमजोर ही होता है
उसे शिकायत करने का नहीं केवल
सूद देने का अधिकार है.......एकदम सत्य

संदीप जी हार्दिक बधाई

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 11, 2012 at 10:05pm

क्यूंकि कर्जदारों को अधिकार नहीं 
सुन्दर स्वप्न को जीने का 
वो ले सकते हैं केवल कर्ज
और सूद में देते हैं स्वप्न 
विद्वान् कहते हैं
रोने से दर्द कम हो जाता है 
कितना रो लूं
अब तो आँखों का पानी सूख गया

प्रिय संदीप जी सच में बहुत ही दयनीय स्थिति हो जाती है कभी कभी ...जान लेवा ..उन का क्या जो की खून भी निकल ले जाते हैं.. सुन्दर 
भ्रमर ५ 

 

Comment by deepti sharma on July 11, 2012 at 7:19pm

वाह बहुत खुबसूरत रचना

बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 10, 2012 at 8:19pm

बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति और सार्थक भी 

Comment by Rekha Joshi on July 10, 2012 at 8:02pm

संदीप जी ,

कमजोरों को कौन नहीं सताता
और कर्जदार कमजोर ही होता है 
उसे शिकायत करने का नहीं केवल
सूद देने का अधिकार है ,सत्य है ,कमजोरों को शिकायत करे का कोई हक नही ,सुंदर प्रस्तुती ,बधाई 
Comment by Albela Khatri on July 10, 2012 at 7:56pm

बधाई हो संदीप पटेल जी.........
बहुत उम्दा कविता.....

कमजोरों को कौन नहीं सताता
और कर्जदार कमजोर ही होता है
उसे शिकायत करने का नहीं केवल
सूद देने का अधिकार है
सूद अदा होता है
सुन्दर स्वप्न से

__वाह वाह !

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