For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किस ज़ुर्म की
 
मुझको मेरे किस ज़ुर्म की सजा देते हो
आप तो मेरे अश्कों से भी मज़ा लेते हो
हम मुहब्बत के लिए जीते रहे और मर भी गए
आप मुझको नहीं खुद को भी दगा देते हो
मुझको मेरे किस ज़ुर्म की स----------
हम भी बच सकते थे आग दिल की कम हो जाती
आप बुझने ही कहाँ देते हवा देते हो
मुझको मेरे किस ज़ुर्म की स----------
दीपक 'कुल्लुवी' की हँसी पे न जाना तू ऐ-दोस्त  
हँसना चाहते हैं मगर तुम ही रुला देते हो
मुझको मेरे किस ज़ुर्म की स----------
 
दीपक 'कुल्लुवी'
१/७/१२.

Views: 394

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on July 18, 2012 at 5:11pm

dhanyabad sandeep ji for your valuable comments

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 13, 2012 at 11:18am

अच्छे भावों से सजी सुन्दर कुछ हास्य का पुट भी लिए हुए सुन्दर रचना के लिए बधाई दीपक जी

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on July 13, 2012 at 11:14am
शुक्रिया उमाशंकर जी 
 
आपकी दिली बधाई हमारा हौंसला और बढ़ाएगी और दर्द और कम करेगी.....
 
दीपक 'कुल्लुवी '
Comment by UMASHANKER MISHRA on July 11, 2012 at 10:27pm
मुझको मेरे किस ज़ुर्म की सजा देते हो
आप तो मेरे अश्कों से भी मज़ा लेते हो ... वाह वाह .....क्या बात है क्या बात है मेरे आंसुओं से भी मजा लेते हो
हम मुहब्बत के लिए जीते रहे और मर भी गए
आप मुझको नहीं खुद को भी दगा देते हो........ तुम मुझे नहीं समझ सकी हम प्यार में जिए प्यार में मरे
हम भी बच सकते थे आग दिल की कम हो जाती
आप बुझने ही कहाँ देते हवा देते हो           बेहेतरिन हर शेर बेहेत्रिन आला दर्जे की उम्दा
दीपक शर्मा जी वाह वाह बहुत खूब कहा आपने दिल से बधाई
 
Comment by Deepak Sharma Kuluvi on July 11, 2012 at 10:10am

आशीष  जी रेखा जी अलवेला जी हरीश जी आप सबका शुक्रिया और आप सबका  प्यार आशीर्वाद साथ रहा तो ................

न हँसेंगे खुशियों में
न रोएँगे हम ग़म में
हमने तो हर हाल में
जीने की कसम खा ली
'कुल्लुवी ' 
Comment by आशीष यादव on July 10, 2012 at 11:18pm

बहुत खूब सर।

Comment by Rekha Joshi on July 10, 2012 at 7:15pm

दीपक जी ,सादर 

हँसना चाहते हैं मगर तुम ही रुला देते हो
मुझको मेरे किस ज़ुर्म की स,अति सुंदर रचना ,बधाई 
Comment by Harish Bhatt on July 10, 2012 at 1:05pm

दीपक जी नमस्‍ते, बहुत सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई

Comment by Albela Khatri on July 10, 2012 at 12:40pm

वाह वाह दीपक कुल्लुवी जी....
बहुत बढ़िया रचना,,,,,,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
10 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service