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कर्तव्य-बोध
मरे कौवे ली लाश तीन दिनों से उस पॉश कॉलोनी के बीचोबीच गुजरनेवाली सड़क पर पड़ी थी। गाड़ियाँ गुजरतीं,उसे रौंदतीं। लोग आते। चले जाते। दो लोग अपने अच्छी नस्ल के कुत्तों को सायंकालीन प्राकृतिक क्रिया से निबटारा कराने के लिए भ्रमण के बहाने वहाँ से गुजरे। कौवे की शेष बची लाश पर अकस्मात एक का पैर पड़ गया।नाक-भौं सिकोड़ते हुए वह गुर्राया,
‘कैसे लोग इधर रहते हैं! सड़ी लाश के परखच्चे उड़ रहे हैं। किसी को कोई चिंता ही नहीं।’
‘नगर…
ContinuePosted on November 10, 2022 at 9:28am — 4 Comments
किसका बच्चा
सँवरी के नाक-नक्श तीखे हैं। मुँह का पानी थोड़ा फीका पड़ा है,तो क्या? उसे दूल्हे के लिए कभी तरसना नहीं पड़ता। चढ़ती जवानी में उसे दिल्ली के दिल वाले दूल्हे का संग मिला। खूब रंगरेलियाँ हुईं।फिर उसे लगा कि उसका दूल्हा किसी और पर फिदा है।स्मृति-पटल पर वे लमहे उभरते, जब उसके हर नाज-नखरे कुबूल होते थे। अब उसे अपने भाव में कमतरी का अहसास हुआ। बिदक गई। दिल्लीवाले को चिढ़ाने के लिए उसने एक ठेंठ भोजपुरिया दूल्हा ढूँढा। उसके संग हो गई।प्यार…
ContinuePosted on November 7, 2022 at 3:14pm — 2 Comments
बुनिया उम्र में बड़ी थी,तो क्या?गोरी चिट्टी,छरहरी थी। कमलू से ब्याह दी गई।अब कमलू अपना पाँच बार फेल हुआ मैट्रिक का इम्तहान संभाले, या बुनिया को निहारे? वह नाराज रहने लगी।
एक शाम बुनिया की तबीयत बिगड़ गई। हाथ-पैर पटकती। सिर दीवार से टकराती। घरेलू डॉक्टर की दवाएँ काम न आईं। चतुरी चाची बोलीं, ‘हवा लगी है।’
‘फिर क्या करें?’ घरवालों ने पूछा।
‘ओझा बुलाओ। और…
ContinuePosted on November 2, 2022 at 3:00pm — 2 Comments
संतरी
कई पहरेदार बदले,पर हालत नहीं बदली। मंदिर के सामान गायब होते रहे। हारकर पंचायत ने काली कुतिया के जने कजरे को संतरी बहाल किया।कारण था कि कजरा रात भर में गाँव के सभी दरवाजों पर भौंक आता था। यह भी तय हुआ कि अब कुत्तों को ‘संतरी’ कहा जाएगा। आदमी पर से भरोसा उठ चुका था।
कजरा काम पर लग गया। रातभर मंदिर के आसपास घूमता। भौंकता। गाँव भर के ‘संतरी’ भी भौंकते।लेकिन अब नित नई-नई शिकायतें आने लगीं।
‘मंदिर के…
ContinuePosted on October 27, 2022 at 11:06am — 2 Comments
जन्म दिन की हार्दिक बधाई एवम शुभ कामनायें आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।
आ0 मनन जी
आपकी मित्रता मेरा गौरव है . सादर .
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