२२१-२१२१-१२२१-२१२
लड़ते झगड़ते रहते हैं यारो सभी से हम
मिलते हैं दुश्मनों से बड़ी सादगी से हम(१)
चक्कर लगाता रहता है दुनिया का एक शख़्स
आगे निकल न पाए तुम्हारी गली से हम (२)
कैसे बिताएँ वक़्त ज़रा सा भी उनके साथ
वो हैं नये समय के पुरानी घड़ी से हम (३)
मिलना है जिसका हक़ उसे धेला नहीं मिला
बाँटे गए हैं मुफ़्त में ही रेवड़ी से हम (४)
जब भी छुपाई हमने कहीं पर तुम्हारी बेंत
पीटे गए हमेशा हमारी छड़ी से हम…
Posted on July 5, 2023 at 5:23pm — 2 Comments
2122-1122-22/112
झूठ बोले हैं न जाने कितने
उसको आते हैं बहाने कितने (1)
मैं किसी से भी तो नाराज नहीं
आ गए लोग मनाने कितने (2)
अब भी लोगों के नई दुनिया में
हैं ख़यालात पुराने कितने (3)
एक भी लफ़्ज मुझे याद नहीं
याद आते हैं वो गाने कितने (4)
घर जला कोई बुझाने न गया
आ गए आग लगाने कितने (5)
साथ आया न निभाने कोई
रस्म आएंँगे निभाने कितने (6)
अब कहीं पर तू ठहर जा…
ContinuePosted on February 3, 2022 at 9:33am — 4 Comments
122-122-122-122
यही है शिकायत यही तो गिला है
चराग़ों तले क्यों अँधेरा हुआ है (1)
लुटाया है सब कुछ कहा जा रहा है
मैं ये सोचता हूँ मुझे क्या मिला है (2)
कभी सामने जो अकड़ता बहुत था
वही उसके क़दमों के नीचे पड़ा है (3)
न आगे कोई है न है कोई पीछे
बयाँ दे रहा बीच सबके खड़ा है (4)
बड़ी मुश्किलों से कटी ज़िंदगी ये
न जाने मुक़द्दर में क्या क्या लिखा है (5)
ख़ुशी के दो पल हाथ आते नहीं पर
ये ग़म है कि…
Posted on December 24, 2021 at 11:00pm — 4 Comments
2122-1212-22/112
अब तो इंसाफ भी करें साहिब
हक़ मिरा मुझको दे भी दें साहिब (1)
ऊँचे पेड़ों ने फिर से की साजिश
लोग सब धूप में रहें साहिब (2)
आप सब क्यों उड़े हवाओं में
हम ज़मीं पर ही क्यों चलें साहिब (3)
काग़ज़ों पर लिखा तो पढ़ते हैं
पीठ पर भी कभी लिखें साहिब (4)
न ज़मीं है न आसमाँ अपना
ये बता दो कहाँ रहें साहिब (5)
इतना अफ़सोस है अगर फिर तो
शर्म से डूब कर मरें साहिब (6)
आप सुनते नहीं…
ContinuePosted on November 13, 2021 at 9:54pm — 10 Comments
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