तकदीर पर विशवास तो नही मुझे ,
आये क्यों हो मेरी जिंदगी में तुम ,
निभाया सदा साथ तुम्हारा लेकिन ,
दर्देदिल के सिवा क्या मिला मुझे|
.........................................
भुला कर हमने हर सितम तुम्हारे ,
साथ निभाने का क्यों वादा किया ,
हद हो गई अब ज़ुल्मो सितम की ,
प्यार में तो हमने धोखा ही खाया |
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निभा न सके जब तुम वफ़ा को ,
चुप रहे फिर भी खातिर तुम्हारी ,
दफना दिया सीने में ही दर्द को ,
उफ़ तक न की किसी के आगे |
.....................................
कर लो चाहे जितने भी सितम,
सब सह लेंगे उसे ताउम्र हम ,
न करें गे शिकवा न शिकायत ,
तकदीर से ही बाज़ी हारे है हम |
?
Comment
संदीप कुमार पाटिल जी ,उत्साहवर्धन के लिए आपका धन्यवाद
आदरणीय संदीप द्विवेदी जी ,आपको रचना पसंद आई आप ऐसे ही उत्साह बढ़ाते रहें ,आपका आभार
बहुत सुंदर भाव पूर्ण अभिव्यक्ति है आपकी सादर बधाई आपको आदरणीया रेखा जी
भावनाओं की धारा को अभिव्यक्ति प्रदान करने का सुन्दर प्रयास! बधाई आदरणीया रेखा जी!
सौरभ जी और राजेश जी ,आपके कमेंट्स में नाम लिखना भूल गई हूँ ,क्षमा प्रार्थी हूँ
आपके कमेन्ट से मुझे बहुत प्रेरणा मिलती है ,ऐसे ही स्नेह बनाये रखिये ,आपका आभार
आपके कमेन्ट से मुझे बहुत प्रेरणा मिलती है ,ऐसे ही स्नेह बनाये रखिये ,आपका आभार
उमाशंकर जी ,ऐसे ही उत्साह बढाते रहिये ,धन्यवाद
सुरेन्द्र जी ,इतने बढ़िया कमेन्ट के लिए धन्यवाद
दीप्ति जी ,आभार
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