क्या बतलाऊं हाल देश का बाबाजी
झगड़ा, टंटा, हठ, क्लेश का बाबाजी
माल स्वदेशी कौन ख़रीदे भारत में
सबको चस्का है विदेश का बाबाजी
कालिख भ्रष्टाचार की किस दिन जायेगी
धोला हो गया रंग केश का बाबाजी
पाखंडियों ने इतना पापाचार किया
मान घट गया भगवा वेश का बाबाजी
वे भी अमेरिकन घुटनों पर चलते हैं
नारा जिनका था स्वदेश का बाबाजी
सावन आया, बम भोले की गूंज उठी
मास है ये श्री शिव महेश का बाबाजी
दिखे नहीं महा उत्सव में वे 'अलबेला'
पता करो 'बागी' गणेश का बाबाजी
_अलबेला खत्री
Comment
आदरणीय उमाशंकर जी,
सुप्रभात -नमस्कार
बहुत ही प्यारी और रससिक्त टिपण्णी की है आपने ....बांच कर मन बल्लियों उछलने लगा है
धन्यवाद हुज़ूर !
बहुत बढ़िया व्यंग
कई जगह में बहुत उम्दा किस्म के शाट लगाये गये है बंधु दिल गद गद हो गया व्यवस्था से लेकर आडम्बरो को भी धोया मज़ा आ गया वे भी अमेरिकन घुटनों पर चलते हैं
नारा जिनका था स्वदेश का बाबाजी ......यहाँ तो गज़ब किया भैय्या गज़ब कियो रे सावन आया, बम भोले की गूंज उठी...हर हर महादेव
दिखे नहीं महा उत्सव में वे 'अलबेला'
पता करो 'बागी' गणेश का बाबाजी........सच फरमाया सावन क महीना है और गणेश जी नज़र नहीं आये .............. आपकी खुपिया आँखों से क्या कोई बच पायेगा
आदरणीय अलबेला जी तीखे व्यंग को प्रणाम
हास्य व्यंग का अद्भुत प्रदर्शन बधाई ही बधाई
धन्यवाद दीप्ति जी...........
__आपके स्नेहिल प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद
आदरणीय संदीप द्विवेदी जी.....
आपकी सराहना ने मन को प्रफुल्लित कर दिया
ऊर्जस्वित कर दिया ......
___आभार
वाह वाह बहुत खूब
पाखण्डियों ने इतना पापाचार किया
मान घट गया भगवा वेश का बाबाजी-------- वाह साहब वाह.. क्या कटाक्ष किया है बिलकुल तिलमिला देने वाला..
और सावन की महिमा का क्या ख़ूब बखान किया आपने... ह्रदय आनंदित हो उठा..
बम-बम भोले..!!
सादर,
बस उन्हीं का इन्तेज़ार है आशीष यादव जी.......
आएगा ........आएगा .....आएगा, आएगा आने वाला ...आएगा ..........
हा हा हा हा
__धन्यवाद आशीष जी, आपकी सराहना सर आँखों पर
वाह, हास्य का पुट आप बड़ी आसानी से निकाल लेते हैं। बहुत ही सुन्दर।
बागी जी, आप कहाँ है, आइये यहाँ और हाजिरी लगवा जाइये। महा-उत्सव मे तो दिखे नही।
आदरणीय सौरभ जी........
यही तो कर्म है कवि का...........
जहाँ लोग न पहुंचे कभी
वहां कवि पहुँच जाए अभी......हा हा हा ये तो जुमला बन गया .जय हो !
___समाज की विसंगतियों पर ही नज़र न डालें अथवा लोगों को न चेतायें तो फिर कविता करनी ही क्यों ?
____आपने सराहा और इस तथ्य पर गौर किया ....आभारी हूँ
पाखंडियों ने इतना पापाचार किया
मान घट गया भगवा वेश का बाबाजी
क्या कहा जाय ? आपने उस ओर इशारा किया है जिस ओर लोग अक्सर देखने और फिर समझने की ज़हमत नहीं उठा रहे आज. बहुत खूब.
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