For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी आँखों में जो देखा गया है ... तेरे ही अक़स को पाया गया है ...

मेरी आँखों में जो देखा गया है ...
तेरे ही अक़स को पाया गया है ...

मुझे आइन-ए-तहज़ीब समझा ...
वो शायद  इस लिये शर्मा गया है ...

वही जिसने मुझे दीवाना  समझा ...
जहाने दिल पे मेरे छा गया है ...

निगाहों से न बच पाया मैं उसकी ...
मुझे इस तोवर से ढूंढा  गया है ...

उसे हुस्ने-सरापा कह दिया था ...
उसी दिन से वो बस इतरा गया है ...

ये किसके लम्स का झोंका था आख़िर  ...
मेरे कमरे को जो महका गया है ...

उसी का शुक्रिया उम्रे -रवां तक ...
मोहब्बत से जो दिल पर छा गया है ...

तुम्हारे साथ जो इक -दिन ये गुज़रा ...
शबे -हिजरा मुझे तड़पा गया है ...

कभी आंसू कभी शबनम से क़तरे ...
मेरी आँखों को रोना आ गया है ...

कोई तो बात है "रिज़वान" मुझमे ...
जो मुझको टूट कर चाहा गया है ...


रिज़वान खैराबादी

Views: 596

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rekha Joshi on July 10, 2012 at 7:13pm

आदरनीय रिजवान जी ,सादर

कभी आंसू कभी शबनम से क़तरे ... 
मेरी आँखों को रोना आ गया है ... ,उम्दा गजल ,बधाई स्वीकार करें 
Comment by Harish Bhatt on July 10, 2012 at 1:11pm

रिजवान जी नमस्‍कार, बहुत शानदार हार्दिक बधाई

Comment by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on July 10, 2012 at 12:50pm

शुक्रिया अलबेला खत्री जी 

Comment by Albela Khatri on July 10, 2012 at 12:42pm

वाह वाह रिजवान खैराबादी साहेब.....

उसे हुस्ने-सरापा कह दिया था ...
उसी दिन से वो बस इतरा गया है ...

ये किसके लम्स का झोंका था आख़िर  ...
मेरे कमरे को जो महका गया है ...

बहुत बढ़िया रचना,,,,,,,,वाह !

Comment by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on July 10, 2012 at 12:36pm

शुक्रिया   राजेश  कुमारी  जी 

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 10, 2012 at 12:33pm

वाह बहुत  सुन्दर ग़ज़ल 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
2 hours ago
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
2 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"विषय पर सार्थक दोहावली, हार्दिक बधाई, आदरणीय लक्ष्मण भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service