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Samar kabeer
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Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
""ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-161 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक आभार व धन्यवाद ।"
Nov 25
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"यूँ कहें:- 'हक़ीक़त है कि मैं जलता दिया हूँ' तीसरे का सानी यूँ कह सकते हैं:- 'भले ही ख़ून में लथपथ पड़ा हूँ'"
Nov 25
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"अभी मिसरे और मिहनत चाहते हैं ।"
Nov 25
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आप क्या भोपाल रहते हैं?"
Nov 25
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"जनाब नीलेश 'नूर' जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार करें ।"
Nov 25
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"जनाब अमीर जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही आपने,बधाई स्वीकार करें ।"
Nov 25
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"जनाब देवेश कुमार जी आदाब, ओबीओ के पटल पर आपका स्वागत है । तरही मिसरे पर उम्द: ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें । आपने नियमानुसार न तो ग़ज़ल के अंत में मौलिक व अप्रकाशित लिखा है,न तरही मिसरे पर गिरह लगाई? कृपया आयोजन के नियम व शर्तें एक बार पढ़ लें:- नियम…"
Nov 25
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें । जनाब अमित जी के सुझाव अच्छे हैं । 'लड़ाई ख़ुद से ही लड़ रहा हूँ' इस मिसरे को यूँ कह सकती हैं:- 'लड़ाई ख़ुद से ही लड़ता रहा हूँ' नतीजे तक ले जाए…"
Nov 25
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"जनाब दिनेश कुमार जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार करें । 'मेरी धड़कन में सरगम गूँजती है' इस मिसरे में आपकी जानकारी के लिए बता रहा हूँ कि "सरगम" शब्द पुल्लिंग है,देखिएगा ।"
Nov 25
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"जनाब दिनेश कुमार जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । शेष गुणीजन कह चुके हैं ।"
Nov 25
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"जनाब अजय गुप्ता 'अजेय' जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार करें । 'विदेशी मूल की मैं दासता हूँ ' इस मिसरे में 'दासता' को "दाशता" कर लें ।"
Nov 25
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"'नारा" शुद्ध अक्षरी "नअ'र:" है, नून, ऐन, रे,ह ख़फ़ी ।"
Nov 25
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"जनाब दयाराम मेठानी जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है लेकिम ग़ज़ल अभी समय चाहती है । 'नकारा सारा दिन फिरता रहा हूँ' इस मिसरे में शायद आप 'नाकारा' कहना चाहते हैं? 'मुझे सुनता न कोई भी कहीं पर' इस मिसरे को उचित…"
Nov 24
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"सहमत ।"
Nov 24
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आयोजन में सहभागिता के लिए धन्यवाद ।"
Nov 24
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । 'सभी को मैं  भले  जलता दिया हूँ' इस मिसरे का वाक्य विन्यास ठीक नहीं,देखिएगा । 'भले गिर धूल में लथपथ पड़ा हूँ' इस…"
Nov 24

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Samar kabeer's Blog

तरही ग़ज़ल

ग़ज़ल 

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ 

उजाला  इसलिए  कमरे  में  पहले सा नहीं रहता 

हमारे  साथ  अब  वो चाँद   सा  चहरा नहीं रहता 

 

ग़िलाज़त  ही ग़िलाज़त  है सियासत तेरी बस्ती में 

यहाँ  आकर कोई भी  शख़्स पाकीज़ा नहीं रहता 

जूनूँ के दश्त में जिस दिन से दाख़िल हो गया हूँ मैं 

मेरी    दीवानगी    पे     दोस्तो   पहरा नहीं रहता 

उसी  को मंज़िल-ए-मक़सूद  मिलती  है ज़माने में 

जो  सर  पर  हाथ रख कर दोस्तो बैठा नहीं…

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Posted on January 6, 2023 at 3:41pm — 18 Comments

ओबीओ की बारहवीं सालगिरह का तुहफ़ा

ग़ज़ल

212 212 212

तू है इक आइना ओबीओ

सबने मिल कर कहा ओबीओ

जो भी तुझ से मिला ओबीओ

तेरा आशिक़ हुआ ओबीओ

तुझसे बहतर अदब का नहीं

कोई भी रहनुमा ओबीओ

जन्म दिन हो मुबारक तुझे

मेरे प्यारे सखा ओबीओ

यार बरसों से रूठे हैं जो

उनको वापस बुला ओबीओ

हम तेरा नाम ऊँचा करें

है यही कामना ओबीओ

जो नहीं सीखना चाहते

उनसे पीछा छुड़ा ओबीओ

और जो सीखते हैं उन्हें

अपने…

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Posted on April 2, 2022 at 9:00pm — 37 Comments

'कि भाई भाई का दुश्मन है क्या किया जाए'

ग़ज़ल

1212 1122 1212 22 / 112

यही समाज की उलझन है क्या किया जाए

कि भाई भाई का दुश्मन है क्या किया जाए

हर एक शख़्स गरानी के दौर में देखो

ख़ुद अपने आप से बदज़न है क्या किया जाए

सभी ये कहते हैं यारो हम आशिक़ों के लिये

ये शब अज़ल ही से बैरन है क्या किया जाए

सफ़र प जाने से पहले ये सोचना है हमें

हर एक गाम प रहज़न है क्या किया जाए

जो तू नहीं है तो…

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Posted on August 2, 2021 at 3:59pm — 23 Comments

एक ताज़ा ग़ज़ल

ग़ज़ल

1212 1122 1212 22/112

सुख़न में पैदा तेरे किस तरह कमाल हुआ

हज़ार बार यही मुझसे इक सवाल हुआ

 

तमाम उम्र गुज़ारेंगे किस तरह यारो

हमें तो साँस भी लेना यहाँ मुहाल हुआ

 

लिखा न जाएगा ख़त में ख़ुद आके देख लो तुम

तुम्हारे इश्क़ में जो भी हमारा हाल हुआ

 

हुनर नहीं ये हमारा अता ख़ुदा की है

कि शे'र जो भी कहा हमने बेमिसाल हुआ

 

ज़बाँ से कह न सके वो मगर सुना ये है

हमारे जाने का उनको बहुत मलाल…

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Posted on July 24, 2021 at 6:30pm — 17 Comments

Comment Wall (28 comments)

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At 4:41pm on May 27, 2022, सूबे सिंह सुजान said…

वाह वाह वाह बहुत खूब।

ओ बी ओ

At 9:30pm on January 31, 2021, DR ARUN KUMAR SHASTRI said…

प्रिय मित्र समीर साहिब जी गज़ब लिखा ख़ास कर ये पंक्तियाँ मुझे बेहद सुकून दे गई

आग तो सर्द हो चुकी कब की

क्यों अबस राखदान फूँकता है

हुक्म से रब के ल'अल मरयम का

देखो मुर्दे में जान फूँकता है





डॉ अरुण कुमार शास्त्री // एक अबोध बालक // अरुण अतृप्त

At 10:27am on June 27, 2020, Chetan Prakash said…

आदरणीय, मोहतरम समीर कबीर साहब प्रत्युत्तर के लिए आपका आभारी हूँ। रू का शाब्दिक
अर्थ आपने चहरा, (उक्त मिसरे में ) बता या , लेकिन मैंने मूल प्रति में रूह लिखा था। लेकिन कुछ लोग वहाँ ह की गणना कर ले ते हैं, सो मैंने रू चुना। एक और बात रू , वहाँ आत्मा की प्रतिच्छाया है न कि चहरा।आदरणीय, बिम्ब की दृष्टिसे रू का प्रयोग सर्वथा उचित है। माननीय, कवि का संसार ( काव्य ) बिम्ब के माध्यम से अभिव्यक्त होता है, जो लक्षणा और
व्य्ंजना से ही बोध गम्य है। शब्द ही ब्रह्म है, इसी हेतु मनीषियों ने कहा है। और, दूसरे मिसरे की बह्र से खारिज...बतायाआपने, मेहरबानी होगी, आपकी, तक्तीअ कर मार्ग- दर्शन करें!

At 7:03am on May 10, 2020, सालिक गणवीर said…
आदरणीय समर कबीर साहब
आदाब
यह जानकर खुशी हुई कि आपके अनुज और बेटे की सेहत ठीक है. ओबीओ पर आपकी उपस्थिती से हम जैसे नये शायरों को संबल मिलता है. एक ताज़ा ग़ज़ल पोस्ट की है. वक़्त मिलने पर पढ़कर सलाह दें तो मेहरबानी होगी.
At 11:04pm on May 7, 2020, सालिक गणवीर said…
आदरणीय समर कबीर साहब
बहुत ममनून हूँ कि इतनी जल्दी शंका समाधान कर दिया. एक दफा फिर शुक्रिया.
At 9:38am on May 5, 2020, सालिक गणवीर said…
आदरणीय समर कबीर साहब
आदाब
बहुत दिनों बाद अपनी एक ग़ज़ल पोस्ट कर रहा हूँ, आपकी नज़रे इनायत की दरकार है. समय मिलने पर पढ़ कर सलाह एवं प्रतिक्रिया देकर अनुग्रहित करें.
सालिक गणवीर
At 6:04pm on April 23, 2020, सालिक गणवीर said…

आदरणीय समर कबीर साहब

अपने ब्लाग पर एक ग़ज़ल पोस्ट की है, प्रतिक्रिया एवं सुझाव अपेक्षित है. समय निकाल कर मुझे भी पढ़कर आवश्यक सुझाव देंं.

At 12:25pm on April 1, 2020, सालिक गणवीर said…
आदरणीय कबीर साहब
अपने ब्लॉग में एक ग़ज़ल पोस्ट कर रहा हूँ. साथ ही साथ आपको फ्रैंड रिक्वेस्ट भी भेजा है. कृपया स्वीकार करें. ग़ज़ल पर प्रतिक्रिया एवं सुझाव अपेक्षित है. पहले तरही ग़ज़ल,ज़रूरी रद्दोबदल के साथ पोस्ट किया था, प्रभाकर जी का मेल आने के बाद इसे हटा दिया है.
शुभेच्छु
सालिक गणवीर
At 1:52pm on March 29, 2020, Bhupender singh ranawat said…

shri maan aapki hosla afjayI k liye aabhar

At 7:06pm on March 9, 2020, अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी said…

शुक्रिया जनाब.

 
 
 

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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"धन्यवाद आदरणीय सर.जी टिप्पणी हेतु। एक शैली है.लघुकथा कहने की मेरे विचार से। मार्गदर्शन का निवेदन है।"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
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Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"बहुत बहुत आभार भाई लक्ष्मण जी ।"
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Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"भाई इसमें कथा कहाँ है ?"
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