For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कहीं लब पर तराने हैं मुहब्बत के फ़साने हैं.

सुहाने दिन तेरी आगोश में मुझको बिताने हैं.

फिजा में ये हवायें भी तेरे दम से महकती हैं,

सुना है हीर की खातिर कई रांझे दिवाने हैं...


****************************************

यहाँ सब लोग तेरे हुश्न के किस्से सुनाते हैं.

अधर ये शबनमी उसके मुझे अक्सर रिझाते हैं.

बहुत बेचैन है ये दिल उड़ी है नींद आँखों से,

कटीले दो नयन तेरे बहुत मुझको सताते हैं..

******************************************************************

समयाभाव के चलते जल्दबाजी में दो मुक्तक लिख दिए हैं गुरुजनों एवं अग्रजों से निवेदन है की उचित मार्गदर्शन एवं अपना  आशीर्वाद प्रदान करें.

Views: 604

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on July 12, 2012 at 7:00pm

आदरणीया डॉ. प्राची मैम आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया और उत्साहवर्धन के लिए ह्रदय से कोटि कोटि नमन एवं आभार

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on July 12, 2012 at 6:59pm

आदरणीया Rekha Joshi मैम सादर नमन उत्साहवर्धन एवं आशीर्वाद प्रदान करने के लिए बहुत बहुत आभार

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on July 12, 2012 at 6:58pm

आदरणीय अरुण "अनंत" जी उत्साहवर्धन एवं प्रतिक्रिया  लिए बहुत बहुत आभार

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on July 12, 2012 at 6:56pm

आदरणीय संदीप सर उत्साहवर्धन एवं आशीर्वाद प्रदान करने के लिए बहुत बहुत आभार

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on July 12, 2012 at 6:55pm

आदरणीय वाहिद  सर उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार सादर नमन

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on July 12, 2012 at 6:54pm

आदरणीया राजेशकुमारी मैम सादर नमन उत्साहवर्धन एवं आशीर्वाद प्रदान करने के लिए बहुत बहुत आभार

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on July 12, 2012 at 6:53pm

आदरणीय अलबेला सर सादर नमन उत्साहवर्धन एवं आशीर्वाद प्रदान करने के लिए बहुत बहुत आभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 12, 2012 at 6:45pm

बहुत सुन्दर मधुर सुप्रवाह लिए मुक्तकों के लिए बहुत बहुत बधाई प्रिय शैलेन्द्र मृदु जी

Comment by Rekha Joshi on July 12, 2012 at 1:40pm

अति सुंदर मुक्तक शैलेन्द्र जी ,बधाई 

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 12, 2012 at 12:47pm

वाह क्या बात है , अति सुन्दर  बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service