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CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU'
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CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU''s Discussions

मेरी पुस्तक "प्रेम के पथ पर" का लोकार्पण संपन्न हुआ
22 Replies

मेरी पुस्तक "प्रेम के पथ पर" का विमोचनदिनांक १९/६/२०१२ को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन रालामऊ,…Continue

Started this discussion. Last reply by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' Jul 11, 2012.

 

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Profile Information

Gender
Male
City State
SITAPUR, UTTAR PRADESH
Native Place
SITAPUR, U.P.
Profession
CHARTERED ACCOUNTANT, ACADEMIC FINANCE AND TAX ADVISOR
About me
I WANT TO LIVE MY LIFE AS A SIMPLE AND HONEST PERSON.

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CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU''s Blog

जागे हिंदुस्तान/ गीत

जीवन डगर बहुत पथरीली

संभलो मनुज सुजान,

जागे हिंदुस्तान हमारा जागे हिंदुस्तान।



हिन्दू मुस्लिम भाई भाई प्रेम का धागा टूट गया।

न जाने कितनी माँगो का फिर से ईंगुर रूठ गया।

मानवता जब दानवता की चरण पादुका धोती है,

तभी मालदा वाली घटना तभी पूर्णिया रोती है।



धर्म के पहरेदारों बोलो,

कब लोगे संज्ञान।।

जागे--------



संस्कार की नींव हिल गयी बिका हुस्न बाजरों में।

कर्णधार जो बनकर आये लिप्त हुए व्यभिचारों में।

जाति पांति के भेदभाव…

Continue

Posted on October 10, 2017 at 9:30pm — 8 Comments

मेरे गीतों में मीरा दीवानी सही

ओ.बी.ओ. के पावन मंच और गुरुजनों को सादर प्रणाम करता हूँ. समयाभाव के चलते  नियमित रूप से मंच से जुड नही पा रहा हूँ इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ  और आप सबके बीच कुछ मुक्तक निवेदित कर रहा हूँ. कृपया मार्गदर्शन करें .सादर

क्यूँ कभी प्रेम की ये निशानी लगे.

अश्रुपूरित कभी  ये जवानी  लगे.

ओस बन खो गये हैं हवा में कहीं,

बूँद पानी  की ये  जिंदगानी  लगे.

प्रेम  की  बागवानी  पुरानी  सही.

कृष्ण-राधा की प्यारी कहानी सही.

तुम लिखो फूल…

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Posted on July 5, 2013 at 1:30pm — 12 Comments

राजी कैसे मन को कर लूं मैं गणतंत्र मनाने को?

आओ मिल गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रगान का गान करें,

संकल्पित सपनों की आओ फिर से नयी उड़ान भरें.

नये जोश से ओत प्रोत हो हम गणतंत्र मनाते हैं,

लोकतंत्र में हो स्वतंत्र हम राष्ट्र गीत को गाते हैं..

किन्तु चाहता प्रश्न पूंछना लोकतंत्र रखवारों से,

सार्थकता क्या बची रहेगी इन ओजस्वी नारों से.

क्या तुमको भूंखे बच्चों की चीख सुनाई देती है,

क्या तुमको कोई अबला की पीर दिखाई देती है.

क्या तुमने बेबस माँओं की गोद उजड़ते देखा है.

कितनी मांगों…

Continue

Posted on January 26, 2013 at 2:30pm — 2 Comments

आक्रोश

घटना ऐसी घटित हो गयी सुनकर भारत रोया है,

वीर सपूतो को फिर से इस मात्रभूमि ने खोया है.

छल कर गया पड़ोसी उसने अपनी जात दिखा डाली,

सोते सिंहो पर हमला अपनी औकात दिखा डाली.

खून हमारा उबल उठा है पाक तेरी नादानी से,

दिल्ली कैसे सहन कर गयी सोंचू मै हैरानी से.

आज हमारी सहनशक्ति का बाँध तोड़ डाला तूने,

सोये सिंह जगाकर अपना भाग्य फोड़ डाला तूने.

अरे भेंड़िये कायरपन पर बार-बार धिक्कार तुझे,

हिन्दुस्तानी बच्चा-बच्चा देता है ललकार तुझे.

कूटनीति अपनाने वाले…

Continue

Posted on January 12, 2013 at 9:30am — 12 Comments

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Comment Wall (12 comments)

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At 2:14am on May 8, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें!

At 11:44am on January 12, 2013, सूबे सिंह सुजान said…

बहुत खूब ....आपकी वीर रस की कवितायें बेहद सराहनीय हैं

At 1:06am on May 19, 2012, satish mapatpuri said…

Thank u mridu ji

At 11:12pm on May 8, 2012, वीनस केसरी said…

मृदु जी जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

At 11:43am on May 8, 2012, ARVIND KUMAR TIWARI said…

आदरणीय शैलेन्द्र सिंह "मृदु" जी जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. आपका ये चमत्कृत व्यक्तित्व हमेशा सूर्य की आभा लेकर साहित्य जगत में एक उदीयमान रूप लेकर निखरे.

 इस मंगलकारी दिवस की आपको सहस्त्र बधाइयाँ

At 3:40pm on May 4, 2012,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

बहुत बहुत आभार शैलेन्द्र मृदु जी |

At 9:19pm on April 30, 2012, Mukesh Kumar Saxena said…

धन्य बाद मृदु जी । दोस्त तो वहुत मुश्किल से मिलते है 

At 6:36pm on April 10, 2012, MANISHI SINGH said…

aadarniya mridu ji, sadar abhivadan

thanks.

At 8:21pm on April 8, 2012, Mukesh Kumar Saxena said…

भाई शैलेंदर जी मै आपका आभारी हूँ जो आपने मेरी भावनाओ की फर्क और पात्रता के माध्यम से  कद्र की ।

At 10:06pm on March 3, 2012, MAHIMA SHREE said…

खुश हूँ उसकी ख़ुशी से कि खुश वो रहे

  दुःख जो उसको मिला हम सिहर जायेंगे,
 

प्यारी सी प्रस्तुति.........प्रेम सी भरी हुई...बधाई

 
 
 

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