नादान से बच्चे भी हँसते हैं, जब वो ऐसा कहता है
दुनिया का सबसे बड़ा झूठा, खुद को सच्चा कहता है
मुँह उसका है अपने मुंह से, जो कहता है कहने दो
कहने को तो अब वो खुद को, सबसे अच्छा कहता है
चिकने पत्थर, फैली वादी, उजला झरना, सहमे पेड़
लहू से भीगा हर इक पत्ता, अपना किस्सा कहता है
सूखे आंसू, पत्थर आँखें, लब हिलते हैं बेआवाज
लेकिन उन पे जो गुजरी है, हर इक चेहरा कहता…
ContinuePosted on October 27, 2018 at 7:00am — 30 Comments
फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा
22 22 22 22 22 22 22 2
सब में आग थी, लोहा भी था, नेक बहुत थे सारे हम
लेकिन तन्हा-तन्हा लड़ कर, तन्हा-तन्हा हारे हम
ज़र्रा-ज़र्रा बिखरे है हम, चारो ओर खलाओं में
लेकिन जिस दिन होंगे इकठ्ठा, बन जायेंगे सितारे हम
कितने दिन वो मूँग दलेंगे, कमजोरों की छाती पर
कितने दिन और चुप बैठेंगे, बनके यूं बेचारे हम
कबतक और ये…
ContinuePosted on March 26, 2018 at 11:49am — 22 Comments
केदारनाथ सिंह के लिए
वैसे तो आजकल किसी को क्या फर्क पड़ता है -
एक कवि के न होने से !
लेकिन जैसे ख़त्म हो गया है धरती का सारा नमक
और अलोने हो गए हैं
सारे शब्द...
मौलिक/अप्रकाशित
Posted on March 21, 2018 at 4:40pm — 16 Comments
मुतफाइलुन मुतफाइलुन मुतफाइलुन मुतफाइलुन
11212 11212 11212 11212
जरा-सा छुआ था हवाओं ने, कि नदी की देह सिहर गयी
तभी धूप सुब्ह की गुनगुनी, उन्हीं सिहरनों पे उतर गयी
खिली सरसों फिर से कछार में, भरे रंग फिर से बहार में
घुली खुश्बू फिर से बयार में, कोई टीस फिर से उभर गयी
उसी एक पल में ही जी लिए, उसी एक पल में ही मर गए
वही एक पल मेरी सांस में, तेरी सांस जब थी ठहर गयी
जमी…
ContinuePosted on March 20, 2018 at 12:28pm — 9 Comments
namaskar
is computer me hindi font nahi hai is liye kshama
aapka hardik abhaar mitro me shamil karne ke liye
9024323219 nambar ha kripya is par bhi sampark karne ka shram karen
dhanywad
ravi
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