For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Ajay Tiwari
Share on Facebook MySpace

Ajay Tiwari's Friends

  • Rajesh Jaiswara 'राज जौनपुरी'
  • Prakash P
  • नाथ सोनांचली
  • Mahendra Kumar
  • बसंत कुमार शर्मा
  • Ravi Shukla
  • Naveen Mani Tripathi
  • Samar kabeer
  • दिनेश कुमार
  • Nilesh Shevgaonkar
  • लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
  • नादिर ख़ान
  • राज़ नवादवी
  • rajesh kumari
  • Ram Awadh VIshwakarma
 

Ajay Tiwari's Page

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद है"
Aug 6
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion बह्रें और उनके अरकान in the group ग़ज़ल की कक्षा
"आदरणीय ज़नाब अजय तीसरी जी बेहद अतुलनीय जानकारी है दिल से धन्यवाद"
Feb 20, 2021
बसंत कुमार शर्मा and Ajay Tiwari are now friends
Oct 16, 2020
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Ajay Tiwari's discussion उर्दू शायरी में इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण - I in the group ग़ज़ल की कक्षा
"जनाब अजय तिवारी जी आदाब, इस शानदार जानकारी को साझा करने के लिए आपको बहुत बधाईयाँ और आभार। सादर। "
Jul 12, 2020
सालिक गणवीर replied to Ajay Tiwari's discussion उर्दू शायरी में इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण - I in the group ग़ज़ल की कक्षा
"आदरणीय अजय तिवारी जी सादर अभिवादन इतनी महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए आपको कितना भी शुक्रिया अदा किया जाए, कम ही होगा. सादर."
Jul 12, 2020
Ajay Tiwari commented on Tasdiq Ahmed Khan's blog post ग़ज़ल (मिट चुके हैं प्यार में कितने ही सूरत देख कर)
"'इश्क़ में भी अब तिजा रत हो रही तस्दीक हैतुम किसी भी महजबीं से करना उलफत देख कर' इस शेर की एक सूरत ये भी हो सकती है : इश्क़ में भी याँ तिजारत है मियाँ तस्दीक तुम अब किसी भी महजबीं से करना उलफत देख कर सादर "
Jul 20, 2019
Ajay Tiwari commented on Tasdiq Ahmed Khan's blog post ग़ज़ल (मिट चुके हैं प्यार में कितने ही सूरत देख कर)
"आदरणीय तस्दीक साहब, खूबसूरत अशआर हुए हैं. हार्दिक बधाई. इश्क़ में भी अब तिजारत हो रही तस्दीक है > इश्क़ में भी अब तिजारत है मियाँ तस्दीक याँ"
Jul 20, 2019
Ajay Tiwari commented on Mahendra Kumar's blog post ग़ज़ल : मैं अपने आप को दफ़ना रहा हूँ
"'मुहब्बत रात दिन करनी थी तुमसे तुम्हीं से रात दिन लड़ता रहा हूँ' बहुत खूब! आदरणीय महेंद्र जी, ख़ूबसूरत अशआर हुए हैं. हार्दिक बधाई."
Jul 20, 2019
Ajay Tiwari commented on नाथ सोनांचली's blog post ग़ज़ल-किनारा हूँ तेरा तू इक नदी है
"आदरणीय सुरेन्द्र जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई."
Jul 20, 2019
Ajay Tiwari commented on Balram Dhakar's blog post ग़ज़ल- बलराम धाकड़ (मुहब्बत के सफ़र में सैकड़ों आज़ार आने हैं)
"आदरणीय बलराम जी, आपके शेरों में हमेशा एक अतिरिक्त ऊर्जस्विता होती है, वो इन शेरों में भी नुमायाँ है.  ख़ास तौर से ये शेर बहुत अच्छा लगा : 'बहार आने को है, बारूद की ख़ुश्बू फ़ज़ा में है, यही बाकी है शाख़ों पे भी अब अँगार आने…"
Jul 20, 2019
Ajay Tiwari commented on दिगंबर नासवा's blog post गज़ल - दिगंबर नासवा
"आदरणीय दिगंबर जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई."
Jul 20, 2019
Ajay Tiwari commented on Samar kabeer's blog post एक ग़ज़ल रुबाइ की बह्र में
"आदरणीय समर साहब, खूबसूरत ग़ज़ल हुई है. इस बह्र में मीर की सिर्फ एक ग़ज़ल है और मीर के बाद पुराने लोगों में सिर्फ़ फ़ानी ने इसमें हाथ आजमाए हैं. हार्दिक बधाई."
Jul 20, 2019
Ajay Tiwari commented on बासुदेव अग्रवाल 'नमन''s blog post बह्र-ए-वाफ़िर मुरब्बा सालिम (ग़ज़ल)
"आदरणीय बासुदेव जी,  'हुई क्यों ख़फ़ा, पता न चला,'  'क्यों' और 'क्या' कभी गिराए नहीं जाते. एक अच्छी कोशिश के लिए हार्दिक बधाई. "
Jul 20, 2019
Ajay Tiwari commented on Gurpreet Singh jammu's blog post दो ग़ज़लें (2122-1212-22)
"आदरणीय गुरप्रीत जी, ख़ूबसूरत अशाआर हुए हैं. हार्दिक बधाई. "
Jul 20, 2019
Ajay Tiwari and Rajesh Jaiswara 'राज जौनपुरी' are now friends
Jul 20, 2019
Ajay Tiwari commented on Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"'s blog post मुसीबत जुटाती है ग़लतफ़हमी---ग़ज़ल, पंकज मिश्र
"आदरणीय पंकज जी, अरूज़ में सिर्फ़ एक बह्र 'तवील' है जिस में 122 1222 की आवृत्ति होती है. ये अरबी में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली बह्र थी लेकिन वहाँ भी ये मुसम्मन (122 1222 x 2) ही इस्तेमाल होती थी. उर्दू में इसका इस्तेमाल ना के बराबर है.…"
Jul 8, 2019

Profile Information

Gender
Male
City State
U P
Native Place
Ballia
Profession
IT

Ajay Tiwari's Blog

ग़ज़ल - दुनिया का सबसे बड़ा झूठा, खुद को सच्चा कहता है

नादान से बच्चे भी हँसते हैं, जब वो ऐसा कहता है

दुनिया का सबसे बड़ा झूठा, खुद को सच्चा कहता है

 

मुँह उसका है अपने मुंह से, जो कहता है कहने दो

कहने को तो अब वो खुद को, सबसे अच्छा कहता है

 

चिकने पत्थर, फैली वादी, उजला झरना, सहमे पेड़

लहू से भीगा हर इक पत्ता, अपना किस्सा कहता है

 

सूखे आंसू, पत्थर आँखें, लब हिलते हैं बेआवाज

लेकिन उन पे जो गुजरी है, हर इक चेहरा कहता…

Continue

Posted on October 27, 2018 at 7:00am — 30 Comments

ग़ज़ल - सब में आग थी, लोहा भी था, नेक बहुत थे सारे हम - अजय तिवारी

फ़ेलुन  फ़ेलुन  फ़ेलुन  फ़ेलुन  फ़ेलुन  फ़ेलुन  फ़ेलुन  फ़ा

 22      22      22       22     22      22      22      2

सब में आग थी, लोहा भी था, नेक बहुत थे सारे हम

लेकिन  तन्हा-तन्हा लड़ कर,  तन्हा-तन्हा  हारे हम

 

ज़र्रा-ज़र्रा  बिखरे  है  हम,  चारो ओर खलाओं में

लेकिन जिस दिन होंगे इकठ्ठा, बन जायेंगे सितारे हम

 

कितने दिन वो मूँग दलेंगे, कमजोरों की छाती पर

कितने दिन और चुप  बैठेंगे, बनके यूं बेचारे हम 

 

कबतक और ये…

Continue

Posted on March 26, 2018 at 11:49am — 22 Comments

केदारनाथ सिंह के लिए - अजय तिवारी

केदारनाथ सिंह के लिए

वैसे तो आजकल किसी को क्या फर्क पड़ता है -

एक कवि के न होने से !  

लेकिन जैसे ख़त्म हो गया है धरती का सारा नमक 

और अलोने हो गए हैं  

सारे शब्द...

मौलिक/अप्रकाशित

Posted on March 21, 2018 at 4:40pm — 16 Comments

ग़ज़ल - जरा-सा छुआ था हवाओं ने,  कि नदी की देह सिहर गयी - अजय तिवारी

मुतफाइलुन   मुतफाइलुन    मुतफाइलुन   मुतफाइलुन

11212         11212          11212         11212

जरा-सा छुआ था हवाओं ने,  कि नदी की देह सिहर गयी

तभी धूप सुब्ह की गुनगुनी,   उन्हीं सिहरनों पे उतर गयी

 

खिली सरसों फिर से कछार में, भरे रंग फिर से बहार में

घुली खुश्बू फिर से बयार में, कोई टीस फिर से उभर गयी   

 

उसी एक पल में ही जी लिए, उसी एक पल में ही मर गए

वही एक पल मेरी सांस में,  तेरी सांस जब थी ठहर गयी

 

जमी…

Continue

Posted on March 20, 2018 at 12:28pm — 9 Comments

Comment Wall (2 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 12:21pm on September 5, 2018, Ravi Shukla said…

namaskar 

is computer me hindi font nahi hai is liye kshama 

aapka hardik abhaar mitro me shamil karne ke liye 

9024323219 nambar ha kripya is par bhi sampark karne ka shram karen 

dhanywad 

ravi 

At 11:16pm on November 1, 2017, Prakash P said…
आदरणीय श्री अजय तिवारी जी सदर प्रणाम..माफ़ कीजियेगा ये मेरा
प्रथम प्रयास था अतः बहुत कमियां हैं मेरे लेखन में ..आपका सुझाव हृदय से स्वीकार करता हूँ .ग़ज़ल की कक्षा अावश्य मार्गदर्शक सिद्ध होगी मेरे लिए, धनयवाद !नहीं उपस्थित होने का कारण बैंक का थकाऊ कार्य है ..उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
4 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
yesterday
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
Tuesday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service