For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
Share on Facebook MySpace

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Friends

  • Om Parkash Sharma
  • Aazi Tamaam
  • Om Prakash Agrawal
  • AMAN SINHA
  • सालिक गणवीर
  • रवि भसीन 'शाहिद'
  • Pratibha Pandey
  • babita garg
  • Ajay Tiwari
  • बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
  • amod shrivastav (bindouri)
  • TEJ VEER SINGH
  • Samar kabeer
  • Rahul Dangi Panchal
  • harivallabh sharma
 

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Page

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Dr. Vijai Shanker's blog post क्षणिकायें 01/23 - डॉ० विजय शंकर
"आ. भाई विजय जी, सादर अभिवादन। अच्छी अभिव्यक्ति हुई है। हार्दिक बधाई।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 149 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।  आ. भाई सौरभ जी की बात का संज्ञान लें। सादर.."
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 149 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। आपके सुझाव उत्तम हैं। पुनः आभार"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 149 in the group चित्र से काव्य तक
"आपके मत से पूर्णतः सहमत हूँ"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 149 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को उद्घाटित करती सार्थक रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 149 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आ. भाई सौरभ जी। निजी व्यस्तताओं के कारण अवसर नहीं मिला। जल्दबाजी में कुछ प्रयास कर पोस्ट किया है। मार्गदर्शन करें। सादर..."
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 149 in the group चित्र से काव्य तक
"शिक्षा जन की व्यर्थ सी, मिले नहीं जब काम। विज्ञापित  करतीं   भले, सरकारें  निज  नाम।। * पूँजीवादी  दौर  अब, मिश्रित  गया व्यतीत। जन कल्याणी  शेष  ना, सरकारों  की रीत।। * रोजगार की राह में, एम.…"
Saturday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कुछ हो मत हो नेता दिख -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"वाह आदरणीय जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post होता है इंक़िलाब सदा इंतिहा के बाद (ग़ज़ल)
"आ. भाई धर्मेंद्र जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। बहुत बहुत हार्दिक बधाई।"
Sep 21
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post सावन गीत....कजरी
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर कजरी हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sep 21
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Dr. Vijai Shanker's blog post सत्य और झूठ -- डॉ० विजय शंकर
"आ. भाई विजय शंकर जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sep 21
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कुछ हो मत हो नेता दिख -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई विजय शंकर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sep 14
Dr. Vijai Shanker commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कुछ हो मत हो नेता दिख -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"बहुत ही सटीक प्रस्तुति, लोकतन्त्र की रीत निभाराजा होकर जनता दिख।४।* , आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , बहुत बहुत बधाई ,सादर."
Sep 13
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

कुछ हो मत हो नेता दिख -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२/२२/२२/२ * कुछ हो मत  हो  नेता दिख मुख से निकला वादा दिख।१। * दुनिया को  गर  खुश रखना उसके हित बस खटता दिख।२। * शीष  नवायें  सब  तुझ  को इच्छा  है   तो   दादा  दिख।३। * लोकतन्त्र  की   रीत  निभा राजा  होकर  जनता  दिख।४। * खबरों   में   गर   आना   है नियमित से बस उल्टा दिख।५। * भीड़  जुटानी  अगल बगल जीने  से  बढ़  मरता  दिख।६। * आज  समय  विज्ञापन का मत दे कुछ भी दाता दिख।७। * अगर  तरक्की  नाम  रखा बस कागज  में  होता दिख।८। ** लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' मौलिक/अप्रकाशितSee More
Sep 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post शिक्षक दिवस - कुण्डलिया छंद // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। शिक्षक दिवस पर उत्तम छन्द हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sep 8
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा त्रयी : मजबूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई। "
Sep 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post ग़ज़ल
"आ. भाई चेतन जी,सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कुछ टंकण त्रुटियाँ रह गयी हैं। कुछ सुधार के साथ यह और निखर सकती है। यथा /मिटेंगे अंथकार //अंधकार//निशाना चूक जाए ना बचे रहो सुजान से// इसका भाव स्पष्ट नहीं हो पाया है।//ऐसा विचार हो कहीं…"
Sep 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post आजादी का मान रखो
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। "
Sep 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post चौपाई छंद - जीवन
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर चौपाई छन्द हुए हैं। हार्दिक बधाई। "
Sep 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Usha Awasthi's blog post फूलों की चोरी
"आ. ऊषा जी,सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sep 2

Profile Information

Gender
Male
City State
Delhi
Native Place
Dharchaula,uttarakhand
Profession
teaching

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog

कुछ हो मत हो नेता दिख -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२/२२/२२/२

*

कुछ हो मत  हो  नेता दिख

मुख से निकला वादा दिख।१।

*

दुनिया को  गर  खुश रखना

उसके हित बस खटता दिख।२।

*

शीष  नवायें  सब  तुझ  को

इच्छा  है   तो   दादा  दिख।३।

*

लोकतन्त्र  की   रीत  निभा

राजा  होकर  जनता  दिख।४।

*

खबरों   में   गर   आना   है

नियमित से बस उल्टा दिख।५।

*

भीड़  जुटानी  अगल बगल

जीने  से  बढ़  मरता  दिख।६।…

Continue

Posted on September 12, 2023 at 7:49am — 3 Comments

जब दंगों का मंजर देखा -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२२२/ २२२२


जब  दंगों  का  मंजर  देखा
सब आँखों में बस डर देखा।१।
*
जलती बस्ती  अनजानी थी
पर उसमें भी निज घर देखा।२।
*
मानव तो  मानव  जैसे ही
मंदिर मस्जिद अन्तर देखा।३।
*
अपने दुख  तब  से बौने हैं
औरों का दुख ढोकर देखा।४।
*
चीख उठीं दीवारें सारी
सन्नाटा जब छूकर देखा।५।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Posted on August 31, 2023 at 5:40am

आजादी का मान रखो



जब आजादी पायी है तो, आजादी का मान रखो।

देश, तिरंगे, लोकरीति की, सबसे ऊँची शान रखो।।

*

पुरखों ने बलिदान दिया था, खुली हवा हम पायें।

मस्त गगन में विचरें, खेलें, मिलकर लय में गायें।।

राजनीति की चकाचौंध में, कभी नहीं भरमायें।

भले-बुरे की, सोचें समझें, तब निर्णय पर आयें।।

*

सिर्फ स्वार्थ की अति से बेबश, पुरखे दास बने तब।

स्वार्थ न फिर सिर चढ़े हमारे, सोते जगते ध्यान रखो।

*

भूमि एक थी, धर्म एक तब, किन्तु एकता टूटी।

इस कारण ही सब ने आकर, इज्जत…

Continue

Posted on August 15, 2023 at 6:42am — 2 Comments

देश समूचा पूँजी अपनी - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

हिन्दू भैया!,मुस्लिम भैया!, क्यों करते हो दंगा।

हो जाता है  इस से  जग में, देश  हमारा नंगा।।

एक साथ में रहते  देखो, बीतीं  कितनी सदियाँ।

फिर भी नहीं सुहाने देती, इक दूजे को अँखियाँ।।

*

क्यों इतनी घृणा को मन में, पाल रहे हो अपने।

क्यों अपने हाथों से अपने, जला रहे हो सपने।।

जो मजहब के बने पुरोधा, कितना मजहब मानें।

झाँक कभी जीवन में उनके, ये सच भी तो जानें।।

*

वँटवारे की पीर सहन की, पुरखों ने जो सब के।…

Continue

Posted on August 8, 2023 at 4:28pm

Comment Wall (22 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 10:59am on January 25, 2023, Anita Bhatnagar said…

सादर आभार आदरणीय 

At 3:37pm on December 21, 2021, KullarSaddik said…

अपने आतिथ्य के लिए धन्यवाद :)

At 8:45am on January 16, 2021, Aazi Tamaam said…

मुसाफिर सर प्रणाम स्वीकार करें आपकी ग़ज़लें दिल छू लेती हैं

At 8:39pm on December 3, 2020,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’ जी 

At 11:39pm on November 22, 2020, DR ARUN KUMAR SHASTRI said…

प्रिय भ्राता धामी जी सप्रेम नमन
आपके शब्द सहरा में नखलिस्तान जैसे - हैं

At 8:37am on May 14, 2020, Om Prakash Agrawal said…
आदरणीय
सराहना हेतु सहृदय आभार एवं धन्यवाद
At 4:12pm on May 7, 2020, सालिक गणवीर said…
हौसला अफजाई के लिए आपका ममनून हूँ आदरणीय
At 10:58am on October 18, 2019, dandpani nahak said…
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत शुक्रिया
At 2:30pm on September 28, 2019, dandpani nahak said…
आदरणीय लक्ष्मण धामी ' मुसाफिर' जी बहुत बहुत शुक्रिया हौसला अफ़जाई का आपने समय निकाला मैं बहुत शुक्रगुज़ार हूँ
At 10:47am on August 24, 2019, dandpani nahak said…
बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्षमण धामी जी
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"सुप्रभात सर्।"
50 seconds ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"अपनी ही रौशनी में वो नहला गई मुझे  इक चाँदनी थी चाँद-सा चमका गई मुझे  काँधे पे मेरे…"
26 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें।  इतनी सी बात थी कि…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"उस्ताद-ए-मुहतरम आदरणीय समर कबीर साहिब को मेरा सादर चरणस्पर्श "
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"221 2121 1221 212 फिर से गुनाहगार वो ठहरा गई मुझे क्या जाने किस की आह थी जो खा गई मुझे /1 इतनी सी…"
8 hours ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"स्वागत है"
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"स्वागतम"
8 hours ago
Euphonic Amit commented on Balram Dhakar's blog post ग़ज़ल: अगर कोशिश करेंगे आबोदाना मिल ही जाएगा।
"आदरणीय बलराम धाकड़ जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है।  कुछ बिंदुओं से अवगत करवाना…"
8 hours ago
Dr. Vijai Shanker commented on Sushil Sarna's blog post बेटी दिवस पर दोहा ग़ज़ल. . . .
"धरती अरु आकाश पर , लिख दी अपनी जीत,बेटी ने अब छू लिया , धरा से आसमान ।। आदरणीय सुशील सरना जी,…"
11 hours ago
Dr. Vijai Shanker commented on Dr. Vijai Shanker's blog post क्षणिकायें 01/23 - डॉ० विजय शंकर
"आदरणीय कल्पना भट्ट जी, क्षणिकाओं को स्वीकृति प्रदान करने के लिए आभार , बधाई के लिए धन्यवाद , सादर ."
12 hours ago
Dr. Vijai Shanker commented on Dr. Vijai Shanker's blog post क्षणिकायें 01/23 - डॉ० विजय शंकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी , रचना को पसंद करने के लिए आभार एवं आपको शुभकामनाएँ,सादर."
12 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') commented on Dr. Vijai Shanker's blog post क्षणिकायें 01/23 - डॉ० विजय शंकर
"सुंदर अभिव्यक्ति हुई है डॉ विजय शंकर जी। बधाई स्वीकारें"
15 hours ago

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service