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दिनेश कुमार
  • Male
  • पुण्डरी। हरियाणा
  • India
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दिनेश कुमार replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"सभी आदरणीय साथियों का दिली आभार।  हालांकि ये etiquette के खिलाफ़ है कि आप सब का अलग अलग आभार व्यक्त न करना। आप अन्यथा न लीजिएगा। मेरी तबीयत ठीक नहीं रहती। मुशायरे में अन्य साथियों की ग़ज़ल पर टिप्पणी न कर पाने का भी अफ़सोस है। सादर 🙏"
Thursday
दिनेश कुमार replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"हर काम टालने की ये लत खा गई मुझे  सब कुछ मियाँ गँवा के समझ आ गई मुझे मैं मुस्कुराने का ही सबब दूँढता रहा  औ'र रंजो-ग़म की ज़िंदगी ठुकरा गई मुझे पानी में रह के बैर मगर से कभी न कर मेरी अना ये बात भी समझा गई मुझे लफ़्ज़ों में मैं…"
Thursday
दिनेश कुमार replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-156
"आदरणीय अशोक सर जी।  जो आपने उदाहरण दिए हैं, उन में तो कुछ  भी दोष नहीं है।  लेकिन 2112--1212 ///// 2112--1212 bahr में  पहले 2112--1212 के बाद pause आना चाहिए सादर। "
Jun 23
दिनेश कुमार replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-156
"बहुत ख़ूब आदरणीय भाई निलेश जी। दिली दाद, वाह वाह वाह वाह मतला बहुत ज़बरदस्त हुआ है। क्या कहने। दफा, तैयार,  के वज़न पर आपका जवाब जानकारी बढाएगा। सादर"
Jun 23
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल ( दिनेश कुमार )
"आ. भाई दिनेश जी, अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
May 28
दिनेश कुमार replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"बहुत ख़ूब आ रवि शुक्ला जी। बेहतरीन ग़ज़ल के लिए दिली दाद। वाह वाह "
May 27
दिनेश कुमार replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"नमस्कार आदरणीय समर सर। आप हमेशा स्वस्थ रहें। "
May 27
दिनेश कुमार replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"आ अनीस साहब। ग़ज़ल का बढ़िया प्रयास। वाह 1)काम पर घर से जब निकलते हैं दिन भर अपमान ही निगलते हैं Subject का अभाव लगा मुझे। 2)मैं तो ख़ुद से ही ख़ुश नहीं हूँ फिर किसलिए आप मुझ से जलते हैं 3) सब की नज़रों में मैं ही रहता हूँ  आप जब साथ मेरे चलते…"
May 27
दिनेश कुमार replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"आ अशोक सर, आपको मालूम ही है, मेरी जानकारी काम चलाऊ ही है बस। शब्दों को जोड़ तोड़ के bahar में फिट करना ही थोड़ा बहुत आया है। आपकी बात से इन्कार नहीं। सादर।"
May 27
दिनेश कुमार replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"बहुत बहुत शुक्रिया आपका आ अशोक सर जी।  मैं प्रश्न ठीक नहीं पूछ पाया। पूछना था कि  क्या ana को स्वाभिमान के अर्थ में नहीं use kar सकते ? बाक़ी आपकी सब बात शिरोधार्य। "
May 27
दिनेश कुमार replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"बहुत शुक्रिया आ अमित जी। सुझाव के लिए दिली मेहरबानी। सादर। मन नहीं मान रहा मिसरों का क्रम बदलने पर। पता नहीं क्यूं।"
May 27
दिनेश कुमार replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"बहुत बहुत शुक्रिया आपका आ भाई निलेश जी।  जी, आइंदा दीया लिखना ध्यान रखूंगा। सादर"
May 27
दिनेश कुमार replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"जी, शुक्रिया आपका रिचा यादव जी। "
May 27
दिनेश कुमार replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"बहुत बहुत शुक्रिया आपका आ अशोक जी। सुझावों के लिए दिली मेहरबानी।  *जोश ,हिम्मत ,जुनून ,सब्र अना क्या ana का पॉजिटिव रूप में इस्तेमाल नहीं हो सकता , सर ? *क्या करिश्मा है दोस्त कुदरत का चींटियों के भी पर निकलते हैं  पहले मैंने भी इसी तरह…"
May 27
दिनेश कुमार replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"शुक्रिया आ नाथ साहब। "
May 27
दिनेश कुमार replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"बहुत बहुत शुक्रिया आ समर सर। सुझावों पर गौरावश्य करूंगा"
May 27

Profile Information

Gender
Male
City State
कैथल हरियाणा
Native Place
कैथल
Profession
अध्यापक

दिनेश कुमार's Blog

ग़ज़ल ( दिनेश कुमार )

2122--1122--1122--22

मेरी क़िस्मत में अगरचे नहीं धन की रौनक़

सब्र-ओ-तस्लीम से हासिल हुई मन की रौनक़



एक दूजे की तरक़्क़ी में करें हम इमदाद

भाई-चारा ही बढ़ाता है वतन की रौनक़



किसको फ़ुर्सत है जो देखे, तेरी सीरत का जमाल

हर तरफ़ जल्वा-नुमा अब है बदन की रौनक़



मुश्किलें कितनी भी पेश आएं तेरी राहों में

जीत की शक्ल में चमकेगी जतन की रौनक़



ये परखते हैं ग़ज़लगो के तख़य्युल की उड़ान

सामईन अस्ल में हैं बज़्म-ए-सुख़न की…

Continue

Posted on May 17, 2023 at 10:30am — 4 Comments

ग़ज़ल -- फ़लक में उड़ने का क़ल्बो-जिगर नहीं रखता / दिनेश कुमार

1212---1122---1212---22

.

फ़लक में उड़ने का क़ल्बो-जिगर नहीं रखता

मैं वो परिन्दा हूँ जो बालो-पर नहीं रखता

.

न चापलूसी की आदत, न चाह उहदे ( पदवी ) की

फ़क़ीर शाह के क़दमों में सर नहीं रखता

.

उरूज और ज़वाल एक से हैं जिसके लिये

वो हार जीत का दिल पर असर नहीं रखता

.

मिला नसीब से जो कुछ भी, वो बहुत है मुझे

पराई चीज़ पे मैं बद-नज़र नहीं रखता

.

नशा दिमाग़ पे दौलत का जिसके जन्म से हो

वो अपने पाँव कभी फ़र्श पर नहीं रखता

.

वो इस…

Continue

Posted on November 16, 2018 at 3:04pm — 8 Comments

ग़ज़ल -- नेकियाँ तो आपकी सारी भुला दी जाएँगी / दिनेश कुमार

2122---2122---2122---212

.

नेकियाँ तो आपकी सारी भुला दी जाएँगी

ग़लतियाँ राई भी हों, पर्वत बना दी जाएँगी

.

रौशनी दरकार होगी जब भी महलों को ज़रा

शह्र की सब झुग्गियाँ पल में जला दी जाएँगी

.

फिर कोई तस्वीर हाकिम को लगी है आइना

उँगलियाँ तय हैं मुसव्विर की कटा दी जाएँगी

.

इनके अरमानों की परवा अह्ले-महफ़िल को कहाँ

सुबह होते ही सभी शमएँ बुझा दी जाएँगी

.

नाम पत्थर पर शहीदों के लिखे तो जाएँगे

हाँ, मगर क़ुर्बानियाँ उनकी भुला दी…

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Posted on November 7, 2018 at 10:22am — 15 Comments

ग़ज़ल --- ख़ुद-परस्ती का दायरा क्या था / दिनेश कुमार

2122---1212---22

ख़ुद-परस्ती का दायरा क्या था

मैं ही मैं था, मेरे सिवा क्या था

.

झूठ बोला तो बच गई गरदन

हक़-बयानी का फ़ाएदा क्या था

.

चाह मंज़िल की थी निगाहों में

ठोकरें क्या थीं आबला क्या था

.

पर निकलते ही थे उड़े ताइर !

ये रिवायत थी, सानेहा क्या था

.

दर्द, ग़ुस्सा, मलाल, मजबूरी

आख़िर उस चश्मे-तर में क्या क्या था

.

क्यों मैं बर्बादियों का सोग करूँ

जब मैं आया, यहाँ मेरा क्या…

Continue

Posted on July 13, 2018 at 12:30am — 14 Comments

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Comment Wall (7 comments)

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At 8:41am on June 20, 2016, सुरेश कुमार 'कल्याण' said…
आदरणीय श्री दिनेश कुमार जी सर्वश्रेष्ठ रचना के लिए हार्दिक बधाई।
At 2:19pm on June 18, 2016, Dr Ashutosh Mishra said…

आदरणीय दिनेश जी आपकी रचना को यह सम्मान मिलना ही था इस उपलब्धि पर आपको हार्दिक बधाई

At 1:01pm on June 18, 2016,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय दिनेश कुमार जी.
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी  ग़ज़ल - सर से छप्पर ले गया को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |

आपको प्रसस्ति पत्र यथा शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक 
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 8:03pm on February 20, 2015, khursheed khairadi said…

आदरणीय दिनेश जी ,आपकी सक्रियता निर्विवाद रूप से स्वीकार्य है |मेरी ग़ज़लों पर भी आपका स्नेह निरंतर बरसता रहा है |आपको महीने का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है |आपकी उत्कृष्ट रचनाओं ने मंच को साहित्य से परिपूर्ण किया है और आगे भी करती रहेगी |सादर अभिनंदन |

At 1:19pm on February 18, 2015, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

AADARNEE DINESH JEE

सक्रिय सदस्य चुने जाने पर आपको हार्दिक बधाई i सादर i

At 10:53pm on February 15, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आदरणीय दिनेश भाई जी "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) चुने जाने पर बहुत बहुत  बधाई स्वीकार करें |

At 9:07pm on February 15, 2015,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय
दिनेश कुमार जी,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

 
 
 

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