For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
Share on Facebook MySpace

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Friends

  • Om Parkash Sharma
  • Aazi Tamaam
  • Om Prakash Agrawal
  • AMAN SINHA
  • सालिक गणवीर
  • रवि भसीन 'शाहिद'
  • Pratibha Pandey
  • babita garg
  • Ajay Tiwari
  • बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
  • amod shrivastav (bindouri)
  • TEJ VEER SINGH
  • Samar kabeer
  • Rahul Dangi Panchal
  • harivallabh sharma
 

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Page

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post बेटी दिवस पर दोहा ग़ज़ल. . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।  अबला बेटी करने से वाक्य रचना अधिक उपयुक्त लगेगी देखिएगा। सादर..."
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on KALPANA BHATT ('रौनक़')'s blog post डर के आगे (लघुकथा)
"आ. कल्पना बहन, सादर अभिवादन। अच्छी कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही खूबसूरत सृजन हुआ है सर । हार्दिक बधाई"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for Radheshyam Sahu 'Sham'
"आ. भाई राधेश्याम जी, आपका ओबीओ परिवार में हार्दिक स्वागत है।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२२२ २२२२ २२२२ २**पर्वत पीछे गाँव पहाड़ी निकला होगा चाँद हमें न पा यूँ कितने दुख से गुजरा होगा चाँद।१।*आस नयी जब लिए अटारी झाँका होगा चाँदमन कहता है झुँझलाहट से बिफरा होगा चाँद।२।*हम होते तो कोशिश करते बात हमारी औरशिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद।३।*चाँद बिना हम यहाँ  नगर  में जैसे काली रातअबके पूनौ हम बिन भी तो आधा होगा चाँद।४।*बातें करती होगी बैठी याद हमारी पासकैसे कह दें तन्हाई  में तन्हा होगा चाँद।५।*ज्ञात पलायन भले हमारा लेकिन बाँधे आसझील किनारे साँझ  सकारे सँवरा होगा चाँद।६।*हालातों ने विवश किया जो आये उसको छोड़भूल गये हम शायद  ये  ही  समझा होगा चाँद।७।*कोई राह निकालो भगवन इतनी है अरदासनदी उफनती बता रही नित रोता होगा चाँद।८।**मौलिक/अप्रकाशितलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'(१-१०-२३)See More
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दो चार रंग छाँव के हमने बचा लिए - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई आशीष जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to अजय गुप्ता 'अजेय's discussion आयोजन कैलंडर संबंधित
"आपकी बात से मैं भी सहमत हूँ। कई बार तिथि याद नहीं रह पाती। इससे निरंतरता बनी रहेगी। "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"आ. भाई सुशील जी, सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई। धर्म के प्रतिमान में मेरे हिसाब से मात्राएँ कम हो रही हैं। शंका समाधान करें।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आ. भाई दिनेश जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई ।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आ. भाई अमित जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत तटिप्पणी के लिए आभार। सुझाव अच्छे हैं। हार्दिक धन्यवाद।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। "
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"इ. भाई शिज्जू शकूर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आ. भाई दण्डपाणि जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन व त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आ. रचना बहन, सुन्दर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आ. भाई जैफ़ जी, अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आ. भाई दण्डपाणि जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आ. भाई संजय जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। गुणी जनों के सुझाव अच्छे हैं।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"उस को खुशी है खूब कि वो पा गयी मुझे लेकिन सितम कि जाल सा उलझा गयी मुझे।१। * बहती नदी था यार मैं कमसिन हसीन इक शदियों पुरानी झील सा ठहरा गयी मुझे।२। * अनुनय हजार करके वो दिल ले गयी मगर दिल भर गया तो दर्प से लौटा गई मुझे।३। * आजन्म यूँ तो लोक में…"
Thursday

Profile Information

Gender
Male
City State
Delhi
Native Place
Dharchaula,uttarakhand
Profession
teaching

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog

शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२२२ २२२२ २२२२ २

**

पर्वत पीछे गाँव पहाड़ी निकला होगा चाँद

हमें न पा यूँ कितने दुख से गुजरा होगा चाँद।१।

*

आस नयी जब लिए अटारी झाँका होगा चाँद

मन कहता है झुँझलाहट से बिफरा होगा चाँद।२।

*

हम होते तो कोशिश करते बात हमारी और

शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद।३।

*

चाँद बिना हम यहाँ  नगर  में जैसे काली रात

अबके पूनौ हम बिन भी तो आधा होगा चाँद।४।

*

बातें करती होगी बैठी याद हमारी पास

कैसे कह दें तन्हाई  में तन्हा होगा…

Continue

Posted on October 1, 2023 at 12:33pm — 2 Comments

कुछ हो मत हो नेता दिख -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२/२२/२२/२

*

कुछ हो मत  हो  नेता दिख

मुख से निकला वादा दिख।१।

*

दुनिया को  गर  खुश रखना

उसके हित बस खटता दिख।२।

*

शीष  नवायें  सब  तुझ  को

इच्छा  है   तो   दादा  दिख।३।

*

लोकतन्त्र  की   रीत  निभा

राजा  होकर  जनता  दिख।४।

*

खबरों   में   गर   आना   है

नियमित से बस उल्टा दिख।५।

*

भीड़  जुटानी  अगल बगल

जीने  से  बढ़  मरता  दिख।६।…

Continue

Posted on September 12, 2023 at 7:49am — 3 Comments

जब दंगों का मंजर देखा -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२२२/ २२२२


जब  दंगों  का  मंजर  देखा
सब आँखों में बस डर देखा।१।
*
जलती बस्ती  अनजानी थी
पर उसमें भी निज घर देखा।२।
*
मानव तो  मानव  जैसे ही
मंदिर मस्जिद अन्तर देखा।३।
*
अपने दुख  तब  से बौने हैं
औरों का दुख ढोकर देखा।४।
*
चीख उठीं दीवारें सारी
सन्नाटा जब छूकर देखा।५।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Posted on August 31, 2023 at 5:40am

आजादी का मान रखो



जब आजादी पायी है तो, आजादी का मान रखो।

देश, तिरंगे, लोकरीति की, सबसे ऊँची शान रखो।।

*

पुरखों ने बलिदान दिया था, खुली हवा हम पायें।

मस्त गगन में विचरें, खेलें, मिलकर लय में गायें।।

राजनीति की चकाचौंध में, कभी नहीं भरमायें।

भले-बुरे की, सोचें समझें, तब निर्णय पर आयें।।

*

सिर्फ स्वार्थ की अति से बेबश, पुरखे दास बने तब।

स्वार्थ न फिर सिर चढ़े हमारे, सोते जगते ध्यान रखो।

*

भूमि एक थी, धर्म एक तब, किन्तु एकता टूटी।

इस कारण ही सब ने आकर, इज्जत…

Continue

Posted on August 15, 2023 at 6:42am — 2 Comments

Comment Wall (22 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 10:59am on January 25, 2023, Anita Bhatnagar said…

सादर आभार आदरणीय 

At 3:37pm on December 21, 2021, KullarSaddik said…

अपने आतिथ्य के लिए धन्यवाद :)

At 8:45am on January 16, 2021, Aazi Tamaam said…

मुसाफिर सर प्रणाम स्वीकार करें आपकी ग़ज़लें दिल छू लेती हैं

At 8:39pm on December 3, 2020,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’ जी 

At 11:39pm on November 22, 2020, DR ARUN KUMAR SHASTRI said…

प्रिय भ्राता धामी जी सप्रेम नमन
आपके शब्द सहरा में नखलिस्तान जैसे - हैं

At 8:37am on May 14, 2020, Om Prakash Agrawal said…
आदरणीय
सराहना हेतु सहृदय आभार एवं धन्यवाद
At 4:12pm on May 7, 2020, सालिक गणवीर said…
हौसला अफजाई के लिए आपका ममनून हूँ आदरणीय
At 10:58am on October 18, 2019, dandpani nahak said…
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत शुक्रिया
At 2:30pm on September 28, 2019, dandpani nahak said…
आदरणीय लक्ष्मण धामी ' मुसाफिर' जी बहुत बहुत शुक्रिया हौसला अफ़जाई का आपने समय निकाला मैं बहुत शुक्रगुज़ार हूँ
At 10:47am on August 24, 2019, dandpani nahak said…
बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्षमण धामी जी
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post बेटी दिवस पर दोहा ग़ज़ल. . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।  अबला बेटी करने से वाक्य रचना…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on KALPANA BHATT ('रौनक़')'s blog post डर के आगे (लघुकथा)
"आ. कल्पना बहन, सादर अभिवादन। अच्छी कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही खूबसूरत सृजन हुआ है सर । हार्दिक बधाई"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।सहमत देखता हूँ"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for Radheshyam Sahu 'Sham'
"आ. भाई राधेश्याम जी, आपका ओबीओ परिवार में हार्दिक स्वागत है।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२२२ २२२२ २२२२ २**पर्वत पीछे गाँव पहाड़ी निकला होगा चाँद हमें न पा यूँ कितने दुख से गुजरा होगा…See More
13 hours ago
Radheshyam Sahu 'Sham' is now a member of Open Books Online
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दो चार रंग छाँव के हमने बचा लिए - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई आशीष जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार।"
20 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"बहुत आभार इस बारीक़ विश्लेषण के लिए आदरणीय उस्मानी जी। आपकी बातों पर ग़ौर करके अवश्य इन्हें रचना…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"आपका हार्दिक आभार आ. उस्मानी जी। "
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"आदाब। आपकी पैनी दृष्टि से रचित यह कड़वे सच वाली रचना वाकई कुछ भिन्नता लिये हुए है। हार्दिक बधाई जनाब…"
yesterday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service