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नगर भर चले दौड़ काली हवा
है खुश खूब झकझोर डाली हवा।१।
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गिरे फूल कलियाँ विवश भूमि पर
बजा पात कहती है ताली हवा।२।
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कभी दान जीवन सभी को दिया
हुई आज लेकिन सवाली हवा।३।
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कहाँ से प्रदूषण धरा का मिटे
नहीं सीख पायी जुगाली हवा।४।
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कँपा शीत में नित बढ़ी जब तपन
गयी लौट कुल्लू मनाली हवा।५।
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तनिक तो कहीं बात होती है कुछ
किसी की चली कब है…
Posted on March 6, 2024 at 11:04am — 6 Comments
१२२/१२२/१२२/१२
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हमें एक नदिया मिली नाम की
न थी वो किसी प्यास के काम की।१।
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जिसे देश कहते हैं सब राम का
वहीं पर फजीहत हुई राम की।२।
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दुखाती है मन जो महज याद से
करो अब न बातें उसी शाम की।३।
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बिना उस के ये भी परायी गली
शरण में चलें कौन से धाम की।४।
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मिटायेगी वाणी सभी दूरियाँ
मिठासें रखो बस पके आम की।५।
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चलो अब तो साँसों इसे छोड़कर
घड़ी आ गयी तन…
Posted on February 29, 2024 at 10:42pm
जिन्हें भाव जग में खले दीप के
वही कहते आरे चले दीप के।१।
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यहाँ बाँध घन्टी गले दीप के
तमस जी रहा है तले दीप के।२।
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बहुत लोग भटके यहाँ साँझ को
नहीं एक हम ही छले दीप के।३।
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चले है तमस यूँ दिखा आँख जो
लगे सब को अब दिन ढले दीप के।४।
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कहाँ कब जले घर नहीं है पता
इरादे कहाँ अब भले दीप के।५।
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परायों से बढ़ आज अपनो से भय
न बाती ही कालिख …
Posted on February 28, 2024 at 2:42pm
अँधेरे उजाले मिले प्यार से
चकित है मनुज उनके व्यवहार से।१।
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नहीं काम आता किसी के कोई
मिटे दुख भला कैसे संसार से।२।
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हटा मैल मन का तनिक भी नहीं
नहा कर चले नित्य हरिद्वार से।३।
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न बदला है कोई किसी के कहे
जो बदला स्वयं अपने आचार से।४।
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अकेले न तुम हो असंतुष्ट अब
हमें भी तो शिकवा है दो चार से।५।
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शिखर चाहते हैं सजाना बहुत…
Posted on February 27, 2024 at 11:14pm
सादर आभार आदरणीय
अपने आतिथ्य के लिए धन्यवाद :)
मुसाफिर सर प्रणाम स्वीकार करें आपकी ग़ज़लें दिल छू लेती हैं
जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’ जी
प्रिय भ्राता धामी जी सप्रेम नमन
आपके शब्द सहरा में नखलिस्तान जैसे - हैं
शुक्रिया लक्ष्मण जी
हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी!आपने मुझे इस क़ाबिल समझा!
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