For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिगंबर नासवा
  • Male
  • दुबई
  • United Arab Emirates
Share on Facebook MySpace

दिगंबर नासवा's Friends

  • amod shrivastav (bindouri)
  • बृजेश नीरज
  • Bhasker Agrawal
  • Manoj Kumar Jha
  • sanjiv verma 'salil'

दिगंबर नासवा's Groups

 

दिगंबर नासवा's Page

Latest Activity

दिगंबर नासवा and amod shrivastav (bindouri) are now friends
Apr 13, 2020
दिगंबर नासवा commented on SALIM RAZA REWA's blog post रौशन है उसके दम से - सलीम 'रज़ा' रीवा
"पागल सी हो गईं हैं शरारों की रौशनी ... वाह ... बेहद लाजवाब शेर ... डोली दाद कबूल फरमाएं ..."
Nov 28, 2019
दिगंबर नासवा commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लम्हों की तितलियाँ - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर ' ( गजल )
"बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल हुयी है मुसाफिर जी ... मज़ा आया पढने के बाद ... मेरी दिली दाद कबूल फरमाएं ..."
Nov 28, 2019
दिगंबर नासवा commented on Balram Dhakar's blog post ग़ज़ल: वक़्त की शतरंज पर किस्मत का एक मोहरा हूँ मैं।
"वाह ... धाकड़ है आपकी ग़ज़ल धाकड़ जी ... हर शेर जैसे धड़कता हुआ दिल ... जिंदाबाद ... जिंदाबाद ..."
Nov 21, 2019
दिगंबर नासवा commented on SALIM RAZA REWA's blog post जब तलक ख़ुद ख़ुदा नहीं चाहे - सलीम रज़ा
"वाह ... कुछ शेर तो कमाल हैं ... दूर की बात कहते हुए ... बहुत बधाई इस ग़ज़ल की ..."
Nov 21, 2019
दिगंबर नासवा commented on Naveen Mani Tripathi's blog post ग़ज़ल
"एक अच्छा प्रयास है आपका ... मेरी बहुत बधाई ..."
Nov 21, 2019
दिगंबर नासवा commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उन  के बंटे जो  खेत तो  कुनबे बिखर गए
"वाह ... बेहतरीन ग़ज़ल ... दिली दाद कबूल फरमाएं ..."
Nov 21, 2019
Ajay Tiwari commented on दिगंबर नासवा's blog post गज़ल - दिगंबर नासवा
"आदरणीय दिगंबर जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई."
Jul 20, 2019
दिगंबर नासवा commented on दिगंबर नासवा's blog post गज़ल - दिगंबर नास्वा - 4
"आभार आमोद जी ...  आपका सुझाव भी बेहतरीन है ... "
Apr 29, 2019
amod shrivastav (bindouri) commented on दिगंबर नासवा's blog post गज़ल - दिगंबर नास्वा - 4
"आ दिगंबर सहाब जी प्रणामहजज परिवार की बहर में अच्छी रचना की बधाई स्वीकारें पते पर क्यों नहीं भेजे गए हम दराज़ों में पड़े ख़त सोचते हैं"
Apr 26, 2019
amod shrivastav (bindouri) commented on दिगंबर नासवा's blog post गज़ल - दिगंबर नास्वा - 4
"आ दिगंबर सहाब जी प्रणाम हजज परिवार की बहर में अच्छी रचना की बधाई स्वीकारें"
Apr 26, 2019
दिगंबर नासवा commented on मनोज अहसास's blog post एक ग़ज़ल मनोज अहसास
"अच्छी ग़ज़ल हुई है मनोज जी ... "
Apr 24, 2019
दिगंबर नासवा commented on दिगंबर नासवा's blog post गज़ल - दिगंबर नास्वा - 4
"बहुत आभार है लक्ष्मण जी ..."
Apr 24, 2019
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on दिगंबर नासवा's blog post गज़ल - दिगंबर नास्वा - 4
"आ. भाई दिगम्बर जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बवाई।"
Apr 24, 2019
दिगंबर नासवा commented on दिगंबर नासवा's blog post गज़ल - दिगंबर नास्वा - 4
"बहुत आभार आदरणीय समर कबीर ..."
Apr 23, 2019
Samar kabeer commented on दिगंबर नासवा's blog post गज़ल - दिगंबर नास्वा - 4
"जनाब दिगंबर नासवा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।"
Apr 23, 2019

Profile Information

Gender
Male
City State
Dubai
Native Place
Faridabad
Profession
CA

दिगंबर नासवा's Blog

गज़ल - दिगंबर नास्वा - 4

१२२२ १२२२ १२२ 

उदासी से घिरी तन्हा छते हैं

कई किस्से यहाँ के घूरते हैं

 

परिंदों के परों पर घूमते हैं

हम अपने घर को अकसर ढूंढते हैं

 

नहीं है इश्क पतझड़ तो यहाँ क्यों

सभी के दिल हमेशा टूटते हैं

 

मेरा स्वेटर कहाँ तुम ले गई थीं

तुम्हारी शाल से हम पूछते हैं

 

नए रिश्तों में कितनी भी हो गर्मी

कहाँ रिश्ते पुराने छूटते हैं

 

कभी तो राख़ हो जाएंगी यादें

तुम्हे सिगरेट समझ कर फूंकते…

Continue

Posted on April 19, 2019 at 8:22pm — 6 Comments

गज़ल - दिगंबर नासवा -3

१२२२ १२२२ १२२२ १२२ 

तेरी हर शै मुझे भाए, तो क्या वो इश्क़ होगा

मुझे तू देख शरमाए, तो क्या वो इश्क़ होगा

 

कभी हो इश्क़ तो रुन-झुन कहीं महसूस होगी

इशारे कर के समझाए तो क्या वो इश्क़ होगा 

 

पिए ना जो कभी झूठा, मगर मिलने पे अकसर

गटक जाए मेरी चाए, तो क्या वो इश्क़ होगा

 

सभी से हँस के बोले, पीठ पीछे मुंह चिढ़ाए

मेरे नज़दीक इतराए, तो क्या वो इश्क़ होगा

 

हज़ारों बार हाए, बाय, उनको बोलने पर   

पलट के बोल दे…

Continue

Posted on February 17, 2019 at 2:28pm — 7 Comments

गज़ल - दिगंबर नासवा -२

इस नज़र से उस नज़र की बात लम्बी हो गई

मेज़ पे रक्खी हुई ये चाय ठंडी हो गई

 

आसमानी शाल ने जब उड़ के सूरज को ढका

गर्मियों की दो-पहर भी कुछ उनींदी हो गई

 

कुछ अधूरे लफ्ज़ टूटे और भटके राह में     

अधलिखे ख़त की कहानी और गहरी हो गई

 

रात के तूफ़ान से हम डर गए थे इस कदर

दिन सलीके से उगा दिल को तसल्ली हो गई

 

माह दो हफ्ते निरंतर, हाज़री देता रहा

पन्द्रहवें दिन आसमाँ से यूँ ही कुट्टी हो…

Continue

Posted on February 8, 2019 at 1:30pm — 8 Comments

गज़ल - दिगंबर नासवा

मखमली से फूल नाज़ुक पत्तियों को रख दिया

शाम होते ही दरीचे पर दियों को रख दिया

 

लौट के आया तो टूटी चूड़ियों को रख दिया

वक़्त ने कुछ अनकही मजबूरियों को रख दिया

 

आंसुओं से तर-बतर तकिये रहे चुप देर तक  

सलवटों ने चीखती खामोशियों को रख दिया

 

छोड़ना था गाँव जब रोज़ी कमाने के लिए

माँ ने बचपन में सुनाई लोरियों को रख दिया 

 

भीड़ में लोगों की दिन भर हँस के बतियाती रही 

रास्ते पर कब न जाने सिसकियों को रख…

Continue

Posted on January 23, 2019 at 9:30am — 13 Comments

Comment Wall (7 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 9:21am on April 20, 2011, nemichandpuniyachandan said…
Happy Birthday to you.
At 10:03pm on November 29, 2010,
सदस्य टीम प्रबंधन
Rana Pratap Singh
said…

At 5:57pm on November 25, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 2:23pm on November 24, 2010, Ratnesh Raman Pathak said…

At 8:44pm on November 23, 2010,
सदस्य टीम प्रबंधन
Rana Pratap Singh
said…

At 5:53pm on November 23, 2010, Admin said…

At 5:08pm on November 23, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
14 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
14 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
23 hours ago
Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
Dharmendra Kumar Yadav posted a blog post

ममता का मर्म

माँ के आँचल में छुप जातेहम सुनकर डाँट कभी जिनकी।नव उमंग भर जाती मन मेंचुपके से उनकी वह थपकी । उस पल…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Nov 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service