(मफ ऊल_मफाईल_मफाईल_फ ऊलन)
.
तुम चाहे गुज़र जाओ किसी राह गुज़र से
लेकिन नहीं बच पाओगे तुम मेरी नजर से
.
वो खौफ़ ए ज़माना से या रुस्वाई के डर से
देता रहा आवाज मैं निकले न वो घर से
.
तू जुल्म से आ बाज़ अभी वक़्त है ज़ालिम
पानी भी बहुत हो चुका ऊँचा मेरे सर से
.
फँसता है सदा हुस्न के वो जाल में यारो
वाकिफ़ जो नहीं उनके दग़ाबाज़ हुनर से
.
मालूम करें आओ कठिन कितना है रस्ता
कुछ लोग अभी लौट के आए हैं सफ़र…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on September 10, 2019 at 10:00am — 5 Comments
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 10, 2019 at 12:00am — 2 Comments
Added by विनय कुमार on September 9, 2019 at 5:56pm — 2 Comments
संपर्क टूटा विक्रम से तो
ना समझ ये विफल रहा
आर्बिटर अभी चक्कर लगा रहा
धैर्य रख, थोड़ा इंतज़ार तो कर
चिंता नहीं बस चिंतन कर ||
मार्ग विक्रम भटक गया
भ्र्स्ट ही शायद कारण हो
खंड-खंड होकर बिखर भी गया तो
खोजने का प्रयास तो कर
चिंता नहीं बस चिंतन कर ||
वैज्ञानिकों का अपने हौंसला बढ़ा
साहस के उनके तारीफ तो कर
चूक कहाँ हो गई प्रयास मे
इस बात पर थोड़ा गौर तो कर
चिंता नहीं बस…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on September 9, 2019 at 11:06am — 3 Comments
जिंदगी ये तो बता, तू इतनी क्यूँ उदास है
मुझसे है नाराज़ या फिर,औऱ कोई बात है
मैंने तो तुझसे कभी कुछ खास मांगा भी नहीं
ले रही फिर बारहा तू लंबी क्यूं उच्छवास है
जो तेरी ख़्वाहिश थी शायद वो मिला तुझको नहीं
फ़िक्र ना कर तेरे…
ContinueAdded by प्रदीप देवीशरण भट्ट on September 9, 2019 at 11:00am — 2 Comments
22 22 22 22 22 22 2
ईंटें पत्थर कंकड़ बजरी ले कर आऊँगा
सुन; तेरे शीशे के घर पर सब बरसाऊँगा
फूँक-फाँक कर वर्ग विभाजन वाला हर अध्याय
क्या है सनातन सब को यह अहसास कराऊँगा
जान रहा, जग की रानी है मुद्रा-माया धारी
किन्तु मनुज से प्रीत ज़रूरी रोज़ सिखाऊँगा
मठ अधिपति को पूज रहे, जबकि नहीं हो निर्बल
वायु-अनल से युक्त बली हो, याद धराऊँगा
तीव्र प्रज्ज्वलित शब्द हैं मेरे ताप भयंकर है
किंतु स्वर्ण-मन-शोधन को मैं…
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 9, 2019 at 11:00am — 2 Comments
2×15
इस दुनिया में एक तमाशा जाने कितनी बार हुआ
वो दरिया में डूब गया जो तैर समंदर पार हुआ
अच्छे दिन की चाहत वालों ऐसी भी क्या बेताबी
चार नियम बनते ही बोले जीना ही दुश्वार हुआ
एक पहाड़ी पर शीशे के घर में बैठा बाजीगर
नाच नचाकर देख रहा है कौन बड़ा फनकार हुआ
तुमने अपने मातम पर भी खर्च किया मोटा पैसा
और किसी निर्धन के घर में मुश्किल से त्यौहार हुआ
चार कदम की दूरी पर थी मंजिल…
ContinueAdded by मनोज अहसास on September 8, 2019 at 10:40pm — 1 Comment
चाँद से अब दोस्ती का सिलसिला चलता रहेगा
कब तलक वह मुस्कुराता भेदमय मामा रहेगा?1
कौड़ियों का खेल हम करते नहीं, सब जानते हैं
मुँह दिखाई तक हमारा हर कदम पहला रहेगा।2
दूरियों का गम नहीं करते कभी हम इश्क वाले
पाँव रखने में सतह पर जोर कुछ ज्यादा रहेगा।3
आज इसरो की तपिश में तन-बदन पिघला जरा-सा
कल सुहाने और होंगे साथ में नासा रहेगा।4
क्यूँ लजाना कोटि नजरें प्यार से फिर फिर निहारें
मन हुआ जाता व्यथित, पर हाथ में खाका रहेगा।5
वक्त की रुसवाइयों का…
ContinueAdded by Manan Kumar singh on September 8, 2019 at 4:45pm — 2 Comments
पूर्तिहीन संवाद
आकुलित असंवेदित भाव
अपाहिज हुई वह जो होती थी
स्नेह की अपेक्षित शाम
गई कहाँ वह ममतामयी प्रतीक्षातुर बाहें
दिशायों से आती तुम्हारे आने की आहट
ऊब गई है, उकता गई है कब से
नपुंसक दुखजनित अजनबी हुई आस्था
महिमामयी स्मृतियों के आस-पास
मटमैली रौशनी सुनसान गहरी उदास
फिर क्यूँ जोड़ती हैं हमें देहहीन परछाइयाँ
आसाधारण अपूर्ण प्रवाही दिशाहीन हवा-सी
कसकती…
ContinueAdded by vijay nikore on September 8, 2019 at 3:58pm — 2 Comments
मेरे सवाल .... अतुकांत कविता
वो तेरी प्यार भरी बातें,
तेरा रौबीला रूप,
गज़ब की मुस्कान औ दंभ,
बहुत रोका, बहुत सँभाला,
कुछ भी ना कर सकी,
ख़ुद ही ख़ुद से हार गयी।
अब वो प्यारी बातें मेरी हुईं,
तेरा रौब, मेरा सौंदर्य साथ हुए,
तू मुस्कुराया, में खिलखिलाकर हंसी,
तेरा वो दंभ, मेरा हुआ,
सात फेरों ने ज़िन्दगी दी,
तू मेरा औ मैं तेरी हुई।
कहा किया सदा, साथ ना छूटेगा,
मैं अकेली पड़…
ContinueAdded by Usha on September 7, 2019 at 3:30pm — 2 Comments
2×15
सबका इक दिन आता है दिन मेरा भी आ जायेगा
जीवन पूरा होते-होते जीना भी आ जायेगा
आहें भरना सीख गए तो लिखना भी आ जायेगा
इन शब्दों में इक दिन उसका चेहरा भी आ जायेगा
इसको मन की लाचारी भी कहते हैं दुनिया वाले
खुद से बातें करते करते कहना भी आ जायेगा
आलू पर मिट्टी लिपटी थी ,मिट्टी से जब आया था
दुनिया में कुछ रोज रहेगा छिलका भी आ जायेगा
जिसकी चाहत में इतने दिन आस लगाकर जिंदा थे
मिल…
Added by मनोज अहसास on September 6, 2019 at 11:41pm — 2 Comments
ग़ज़ल(२२१ २१२१ १२२१ २१२ )
.
रब है ज़रूर आपको दिखता भले न हो
हर सू है नूर आपको दिखता भले न हो
**
होता ज़रूर है किसी में कम किसी में ख़ूब
दिल का गुरूर आपको दिखता भले न हो
**
जोश-ओ-जुनून से किये हासिल कई मुक़ाम
होता फ़ितूर आपको दिखता भले न हो
**
मौज़ूदगी है उनकी तसव्वुर में आपके
जलवा-ए-हूर आपको दिखता भले न हो
**
अनजान कोई रह सके क्या उसके दर्द से
दिल चूर चूर आपको दिखता भले न हो
**
हर वक़्त डोलता रहे…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 6, 2019 at 11:30pm — 3 Comments
Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on September 6, 2019 at 12:30pm — 1 Comment
कर्ज़ का मर्ज़ होता है कैसा
समझ कभी ना पाया था
जब तक कर्ज में नहीं था डूबा
ऋणकर्ता का मजाक बनाया था
समय बदलते देर ना लगती
अपनी मूर्खताओ की वजह से
मैं भी जब बाल-बाल बंधवाया
तब समझ में आया था ||
माँ कहती थी कर्ज ना लेना
गरीबी में तुम रह लेना
मुँह छोटा ओर पेट बड़ा
कर्ज का होता है बेटा
आसानी से ये नहीं चुकता
अच्छे-अच्छे को ले डूबता
पर आसानी से नहीं चुकता
इतना समझ लेना बेटा…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on September 5, 2019 at 5:00pm — 4 Comments
आदरणीय योगराज जी , आदरणीय सौरभ जी , आदरणीय समर भाई जी , तथा जिस मित्र ने भी कभी भी मेरा मार्ग दर्शन किया सभी को समर्पित ,करती हूँ ये रचना .
जीवन निर्माता भाग्य विधाता सब दुःख हरता ईश्वर है़
तृण तृण परिभाषित राह प्रदर्शित पग- पग करता गुरुवर है़
गिर जाने पर हाथ बढ़ाना
हर मुश्किल में पार लगाना
गहन तमस में घिर जाने पर
भटकों को यूँ राह दिखाना
तेरी अनुकंपा के आगे
कष्टों की धुंध का छट जाना
पतझड़ के मारे तरुओं पर
हरित हरित…
Added by rajesh kumari on September 5, 2019 at 4:30pm — 6 Comments
झिझको नहीं ठिठको नहीं
लो पकड़ लो मेरा हाथ
मैं तुम्हे ले चलता हूँ
तम से प्रकाश की ओर
प्रकाश तुम्हें दिखाएगा
जीवन के अनंत आयाम
तुम कसौटी पर परखना
औऱ चुन लेना कोई एक
वो एक ही पर्याप्त है
जीवन को दिशा देने के लिए
अन्य के जीवन में
प्रकाश फ़ैलाने के लिए॥
- प्रदीप देवीशरण भट्ट - मौलिक व अप्रकाशित
Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on September 5, 2019 at 3:50pm — 4 Comments
नयनों का जिस क्षण हुआ, नयनों से सम्पर्क।
नयन नयन के हो गए, हुआ न कोई तर्क।।
हुआ न कोई तर्क, नयन नयनों पर छाए।
निकट नयन को देख, नयन नत-नत शरमाए।।
नयना ही आधार, नयन के है चयनों का।
नयन नयन का मेल, निरामय है नयनों का।।
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
#हरिओम श्रीवास्तव#
Added by Hariom Shrivastava on September 3, 2019 at 7:04pm — 4 Comments
तू है यहीं..।।
दिन नया-नया सा है, ख़्वाहिशें सब पुरानी सी।
तेरा इंतज़ार था, इंतज़ार है, और इंतज़ार रहेगा।।
चाहतें हैं जो बदलती नहीं, आहें हैं, मिटती नहीं।
अहसास करवटें बदल-बदल कर सताते हैं।।
हर शाम पूछती है, बेधड़क दरवाज़ा खटखटाती है।
वो ख़ुद लौटा है, या सिर्फ़ उसकी यादें लौटी है?
यादें और यादें, तुम ही रुक जाओ, कम्बख़्त ।
मुस्कराहटें ना सही, आँसू ही दे जाओ ज़रा।।
हर मशविरा वो देता है, आगे बढ़ जाओ।
बतला…
Added by Usha on September 3, 2019 at 10:30am — 4 Comments
अजीब अवस्था है
कोई खुरदरी विवशता है
और है अद्भुत चित्ताकर्षण ....
पलकों के आसपास
गहन दूरता का आवरण
कि जैसे हो फैल रहा
मूर्छा का मौन वातावरण
अपरिचित भीड़ में खो गईं
कितनी परिचित संज्ञाएँ
सरोवर-सदृश संवेदनाएँ
फिर भी न जाने कैसे
दरिद्र हुई धड़कन में भी आदतन
कोई वादा निभाने के बहाने ही शायद
डरी हुई बाहें फैलाए
व्याकुलतर गति से छू लेती हैं
आज भी…
ContinueAdded by vijay nikore on September 3, 2019 at 7:27am — 4 Comments
2×15
मेरे मन की लाचारी में जल जायें ना मेरे हाथ
मुझको फिर से पावन कर दे तू हाथों में लेके हाथ
मम्मी,पापा,बहना,भाई,बीवी,बच्चे और साथी
काम-समय अपने हाथों में दिखते मुझको सबके हाथ
सुन लेने की आदत को कमजोरी समझा जाता है
सच्चे साबित हो जाते हैं पल-पल हाथ नचाते हाथ
सच कहने की चाहत तो है लेकिन इन झूठों के बीच
कैसे सबको बतलाऊं मैं मेरे भी हैं काले हाथ
अपना मानना,अपना कहना,अपना होना बात कई
लेकिन…
Added by मनोज अहसास on September 2, 2019 at 11:10pm — 2 Comments
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