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Tasdiq Ahmed Khan
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Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीय दया राम साहिब, ग़ज़ल पसंद करने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया "
Jan 27
Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"जनाब अजय साहिब, ग़ज़ल पसंद करने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया "
Jan 27
Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"जनाब समर साहिब आदाब,  टाइप गलती कीबोर्ड की वजह से है मेरा ग़ज़ल का प्रयास आपको अच्छा लगा. बहुत बहुत शुक्रिया "
Jan 27
Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"जनाब अमित जी, हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया. नुक्ते की परेशानी तो मेरे कीबोर्ड की वजह से है  सानी मिसरे में आप है तो "ऊला" को तुम हटा दो कर दूँ. शेर की बारीकियां समझ कर राय दीजिए "
Jan 27
Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"ग़ज़लजो है मशहूर धोका धडी के लिएमैं ने उसको चुना आशिकी के लिएहिज्र और मुफ़लिसी के सिवा दोस्तोंइम्तिहाँ हैं कई ज़िन्दगी के लिएज़ाहिरा गर नहीं तो तसव्वुर में ही आप आ जाइए दो घड़ी के लिएइस फरेबी ज़माने में ढूँढा मगरकोई मिलता नहीं दोस्ती के लिएकारवां…"
Jan 27
Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-148
"जनाब अमीर साहिब आदाब, हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया. हम तो प्रयास ही कर रहे हैं. "
Oct 28, 2022
Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-148
"मुहतरमा रचना साहिबा, ग़ज़ल पसंद करने और आपकी इस हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया "
Oct 28, 2022
Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-148
"जनाब समर साहिब आदाब, हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया ये टाइप में ग़लती हो गई. फोड़ लें ही है "
Oct 28, 2022
Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-148
"ग़ज़लमुहब्बत के जब ख़्वाब हम देखते हैं lतुझे ही हमेशा सनम देखते हैं lकभी जिस डगर से गुज़र कर गया तूवहीं तेरे नक़्शे क़दम देखते हैं lयही चाहे दिल फोड़ लूँ अपनी आँखेंनज़र उनकी हम जब भी नम देखते हैं lन जाने कहाँ होश हो जाते हैं गुमतुम्हें जब ख़ुदा की…"
Oct 28, 2022
Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-90 (विषय: प्रतीक्षा)
"लघुकथा - इन्तज़ार (प्रतीक्षा)बनारस दोस्त की शादी में शिरकत करने के लिए अजय रेल्वे स्टेशन पर ट्रेन रवाना होने के समय सुबह 8 बजे से आधा घंटा पहले ही पहुंच गया lइन्क्वायरी विंडो पर पता चला ट्रेन आधा घंटा लेट है, अजय प्रतीक्षालय में जाकर प्रतीक्षा करने…"
Sep 30, 2022
Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-147
"जनाब नाथ साहिब, ग़ज़ल पसंद करने और आपकी इस हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया "
Sep 27, 2022
Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-147
"मुहतरमा रिचा साहिबा,  ग़ज़ल पसंद करने और आपकी इस हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया"
Sep 27, 2022
Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-147
"जनाब अशोक कुमार साहिब, ग़ज़ल पसंद करने और आपकी इस हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया "
Sep 27, 2022
Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-147
"जनाब अनिल साहिब, ग़ज़ल पसंद करने और आपकी इस हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया. रदीफ़ तो वही है जनाब "
Sep 27, 2022
Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-147
"जनाब अमीर साहिब आदाब, ग़ज़ल पसंद करने और आपकी इस हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया "
Sep 27, 2022
Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-147
"जनाब रवि भसीन साहिब, ग़ज़ल पसंद करने और आपकी इस हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया  हिन्दी में सारे शब्द नहीं मिलते इस लिए ये कमी रह जाती हैं "
Sep 27, 2022

Profile Information

Gender
Male
City State
Ajmer
Native Place
qannauj
Profession
Govt. servant
About me
i have interest in writing urdu/hindi gazal &geet etc.

Tasdiq Ahmed Khan's Blog

ग़ज़ल - जो हसीनों से दिल लगाते हैं

ग़ज़ल
जो हसीनों से दिल लगाते हैं
वो हमेशा फरेब खाते हैं
सिर्फ़ कहते हैं वो यही है ग़म
मुझको अपना कहाँ बनाते हैं
ज़द में उनका मकां भी आएगा
जो पड़ोसी का घर जलाते हैं
बेवफ़ाई है आपकी फ़ितरत
हम तो करके वफा निभाते हैं
दिल में उठती है इक क़यामत सी
जब ख़यालों में उनको लाते हैं
पूछता ही नहीं उसे कोई
वो नजर से जिसे गिराते हैं
होश रहता नहीं हमें तस्दीक
उनसे जब भी नजर मिलाते हैं

(मौलिक एवं अप्रकाशित) 

Posted on August 23, 2022 at 11:24am — 1 Comment

हमको जाँ से ज़ियादा है प्यारा वतन

हमको जाँ से ज़्यादा है प्यारा वतन

सारी दुनिया से बहतर हमारा वतन

आपसी भाइचारे का हो खात्मा

कैसे करले भला ये गवारा वतन

यौमे आज़ादगी का है मंज़र हसीं

ढंक गया है तिरंगों से सारा वतन

सिर्फ़ हिन्दू मुसलमान सिख ही नहीं

सबकी जाँ सबकी आंखों का तारा वतन

दौर - ए - मुश्किल है इसकी हिफाज़त करो

दे रहा है सभी को सहारा वतन

रखिए फिरका परस्तों पे पैनी नज़र

कर नहीं दें ये फिर पारा पारा वतन

इसकी मिट्टी में शामिल है मेरा भी…

Continue

Posted on August 23, 2022 at 11:00am — 8 Comments

ग़ज़ल - क़यामत का मंज़र दिखाने लगे हैं

गज़ल(122-122-122-122)

क़यामत का मंज़र दिखाने लगे हैं

अचानक ही वो मुस्कुराने लगे हैं

ये क्या कम है सुनते न थे जो हमारी

वो अब हाथ हम से मिलाने लगे हैं

बुरा हो जवानी का आयी है जबसे

वो सूरत ही मुझ से छुपाने लगे हैं

दिए जो जलाये उजाले की ख़ातिर

वही आग घर को लगाने लगे हैं

अमीरों के बंगले बचाने की ख़ातिर

वो मुफ़लिस के छप्पर जलाने लगे हैं

सरे बज्म हँस हँस के मत बात कीजिए

सभी लोग तियूरी चढ़ाने लगे हैं

ग़ज़ब है वफा जिनसे मैं कर…

Continue

Posted on November 9, 2019 at 8:59am — 6 Comments

गज़ल _तुम चाहे गुज़र जाओ किसी राह गुज़र से

(मफ ऊल_मफाईल_मफाईल_फ ऊलन) 

.

तुम चाहे गुज़र जाओ किसी राह गुज़र से

लेकिन नहीं बच पाओगे तुम मेरी नजर से

.

वो खौफ़ ए ज़माना से या रुस्वाई के डर से

देता रहा आवाज मैं निकले न वो घर से

.

तू जुल्म से आ बाज़ अभी वक़्त है ज़ालिम

पानी भी बहुत हो चुका ऊँचा मेरे सर से

.

फँसता है सदा हुस्न के वो जाल में यारो

वाकिफ़ जो नहीं उनके दग़ाबाज़ हुनर से

.

मालूम करें आओ कठिन कितना है रस्ता

कुछ लोग अभी लौट के आए हैं सफ़र…

Continue

Posted on September 10, 2019 at 10:00am — 5 Comments

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At 9:21pm on September 3, 2017, SALIM RAZA REWA said…
जनाब तस्दीक साहब अपना मोबाइल नंबर देने की मेहरबानी करें
At 3:51pm on February 17, 2016, Sushil Sarna said…

आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी,माह के सक्रिय सदस्य के रूप में ओ बी ओ द्वारा चयनित होने पर आपको हार्दिक बधाई। 

At 11:43pm on February 16, 2016,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय

तस्दीक अहमद खान जी,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में विगत माह आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 9:11pm on October 22, 2015, Ganga Dhar Sharma 'Hindustan' said…
आपका इस बज्म में तहेदिल से इस्तक़बाल है......|
At 6:28pm on October 20, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…
ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है।
 
 
 

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Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय दिनेश कुमार जी नमस्कार। बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने। बधाई स्वीकार करें। "
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"आदरणीय अजय गुप्ता 'अजेय' जी नमस्कार। अच्छी ग़ज़ल कहने के लिए बधाई स्वीकार…"
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