For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Mamta gupta
Share on Facebook MySpace

Mamta gupta's Friends

  • Euphonic Amit
  • Aazi Tamaam
  • Samar kabeer

Mamta gupta's Groups

 

Mamta gupta's Page

Latest Activity

Mamta gupta commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल
"जी सर आपकी बेहतरीन इस्लाह के लिए शुक्रिया 🙏 🌺  सुधार की कोशिश करती हूँ "
Nov 7
Samar kabeer commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल
"मुहतरमा ममता गुप्ता जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । 'जज़्बात के शोलों को हवा क्यूँ नहीं देतेतुम आग महब्बत की लगा क्यूँ नहीं देते' ऊला में शोलों का ज़िक्र है और सानी में आग लगाने की बात है, ग़ौर करें । 'जो हम से वफ़ा…"
Nov 6
Mamta gupta posted a blog post

ग़ज़ल

मुझ को मेरी मंज़िल से मिला क्यूँ नहीं देते आख़िर मुझे तुम अपना पता क्यूँ नहीं देतेजज़्बात के शोलों को हवा क्यूँ नहीं देते तुम आग मुहब्बत की लगा क्यूँ नहीं देतेजब आप को बे इंतिहा मुझ से है मुहब्बत फिर हाथ मेरी सम्त बढ़ा क्यूँ नहीं देतेजो बन के सितारे हैं रवां आँख से आँसू ये ज़ीस्त की ज़ुल्मत को मिटा क्यूँ नहीं देतेजो मेरी हया की है अलामत मेरे सर पर परचम इसी आँचल को बना क्यूँ नहीं देतेहोंटों पे मेरे लिख के तबस्सुम की इबारत आँसू मेरी पलकों के मिटा क्यूँ नहीं देतेजो हम से वफ़ा करने की ग़लती हुई साहब मुजरिम…See More
Oct 16
Mamta gupta joined Admin's group
Thumbnail

सुझाव एवं शिकायत

Open Books से सम्बंधित किसी प्रकार का सुझाव या शिकायत यहाँ लिख सकते है , आप के सुझाव और शिकायत पर Team Admin जरूर विचार करेगी .....See More
Oct 11
Mamta gupta and Euphonic Amit are now friends
Oct 10
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Mamta gupta's blog post गजल
"आ. ममता जी, अभिवादन। सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई। "
Aug 4
Mamta gupta commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल_
"आदरणीय सर नमन 🙏 🌺 आपकी हौसला-अफजाई तथा बेहतरीन इस्लाह का तहेदिल से शुक्रिया ।मै सुधार करती हूँ ।"
Aug 3
Samar kabeer commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल_
"मुहतरमा ममता गुप्ता जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । 'राज़-ए-दिल पर न किसी से भी बताया हमने' इस मिसरे में 'से' की जगह "को" करना उचित होगा, ग़ौर करें । 'शम्मा उल्फ़त की जो तुम ने थी जलाई…"
Aug 1
Mamta gupta posted a blog post

ग़ज़ल_

2122 1122 1122 22आँख से अश्कों का दरिया तो बहाया हमनेराज़-ए-दिल पर न किसी से भी बताया हमनेउन का हर एक सितम हँसते हुए सह डालाइस तरह रस्म-ए-मुहब्बत को निभाया हमनेशम्मा उल्फ़त की जो तुम ने थी जलाई दिल मेंउस को बुझने से कई बार बचाया हमनेहैफ़ उस ने ही न की क़द्र वफ़ाओं की मेरीजिस की उल्फ़त में ही दुनिया को भुलाया हमनेनक़्श मिटते ही नहीं दिल से मुहब्बत के तेरीकितनी ही बार मगर इन को मिटाया हमनेतीरगी ग़म की कभी हमको डराने जो लगीतेरी यादों के दिए को ही जलाया हमनेअपनी क़िस्मत के सितारे भी चमकने से लगेजब से ऐ…See More
Jul 30
Samar kabeer and Mamta gupta are now friends
Jul 23
Mamta gupta commented on Mamta gupta's blog post गजल
"आदरणीय सर सादर नमन  🙏  मुझसे गलती से आपके कमेन्ट के साथ कई लोगों के कमेंट डिलीट हो गए इसके लिए क्षमा चाहती हूँ आपने ग़ज़ल को संवारने के लिए बहुत अच्छे सुझाव दिए हैं बहुत बहुत शुक्रिया आपका 🌺🌺 मै सुधार करती हूँ 🙏"
Jul 20
Samar kabeer commented on Mamta gupta's blog post गजल
"मुहतरमा ममता गुप्ता जी आदाब, इससे पहले भी कमेंट किया था जो आपकी ग़लती से डिलीट हो गया । ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । 'बे सरो-पाई है क्या और बे घरी क्या चीज़ है' इस मिसरे में 'बे सरोपाई' कोई शब्द नहीं है,एक शब्द है…"
Jul 19
Mamta gupta commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल : मिज़ाज़-ए-दश्त पता है न नक़्श-ए-पा मालूम
"अच्छी ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें आदरणीय"
Jul 19
Mamta gupta commented on Mamta gupta's blog post गजल
"आदरणीय @Euphonic Amit उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया आपका"
Jul 19
Euphonic Amit commented on Mamta gupta's blog post गजल
"अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई "
Jul 15
Mamta gupta posted a blog post

गजल

बह्र-2122 2122 2122 212काफ़िया- गुमरही "ई" स्वररदीफ़-"क्या चीज़ है"ग़ज़ल-समझा राहे-दिल से हट कर गुमरही क्या चीज़ है।बे सरो-पाई है क्या और बे घरी क्या चीज़ है।।प्यार रब की बन्दगी है प्यार रब की है रज़ा।प्यार से बढ़ कर जहाँ में दूसरी क्या चीज़ है।।ख़ुश्क होठों पर ये रखते हैं तराने प्यार के।आशिक़ों से पूछ लो दीवानगी क्या चीज़ है।।उनको छेड़ा इक ज़रा तो हो गया चेहरा गुलाल।खुल गया मुझ पर उभरती रौशनी क्या चीज़ है।।उलझी उलझी रहती हूँ उसके ख़यालो-ख़्वाब में।मैं नहीं ये जानती हूँ बे ख़ुदी क्या चीज़ है।।काश रब हम को भी उन के…See More
Jul 15

Profile Information

Gender
Female
City State
Balrampur
Native Place
Utraula
Profession
Self employed
About me
Xnzh

Mamta gupta's Blog

ग़ज़ल

मुझ को मेरी मंज़िल से मिला क्यूँ नहीं देते

आख़िर मुझे तुम अपना पता क्यूँ नहीं देते

जज़्बात के शोलों को हवा क्यूँ नहीं देते

तुम आग मुहब्बत की लगा क्यूँ नहीं देते

जब आप को बे इंतिहा मुझ से है मुहब्बत

फिर हाथ मेरी सम्त बढ़ा क्यूँ नहीं देते

जो बन के सितारे हैं रवां आँख से आँसू

ये ज़ीस्त की ज़ुल्मत को मिटा क्यूँ नहीं देते

जो…

Continue

Posted on October 12, 2024 at 11:30pm — 2 Comments

ग़ज़ल_

2122 1122 1122 22

आँख से अश्कों का दरिया तो बहाया हमने

राज़-ए-दिल पर न किसी से भी बताया हमने

उन का हर एक सितम हँसते हुए सह डाला

इस तरह रस्म-ए-मुहब्बत को निभाया हमने

शम्मा उल्फ़त की जो तुम ने थी जलाई दिल में

उस को बुझने से कई बार बचाया हमने

हैफ़ उस ने ही न की क़द्र वफ़ाओं की मेरी

जिस की उल्फ़त में ही दुनिया को भुलाया हमने

नक़्श मिटते ही नहीं दिल से मुहब्बत के तेरी

कितनी ही बार मगर इन को मिटाया…

Continue

Posted on July 30, 2024 at 9:10pm — 2 Comments

गजल

बह्र-2122 2122 2122 212

काफ़िया- गुमरही "ई" स्वर

रदीफ़-"क्या चीज़ है"



ग़ज़ल-



समझा राहे-दिल से हट कर गुमरही क्या चीज़ है।

बे सरो-पाई है क्या और बे घरी क्या चीज़ है।।



प्यार रब की बन्दगी है प्यार रब की है रज़ा।

प्यार से बढ़ कर जहाँ में दूसरी क्या चीज़ है।।



ख़ुश्क होठों पर ये रखते हैं तराने प्यार के।

आशिक़ों से पूछ लो दीवानगी क्या चीज़ है।।



उनको छेड़ा इक ज़रा तो हो गया चेहरा गुलाल।

खुल गया मुझ पर उभरती रौशनी क्या चीज़… Continue

Posted on July 13, 2024 at 11:28am — 5 Comments

जो भी ज़िक्रे ख़ुदा नहीं करते

जो भी ज़िक्रे ख़ुदा नहीं करते

वो किसी के हुआ नहीं करते



नेमतें पा के लोग क्युं आख़िर

शुक्रे ख़ालिक़ अदा नहीं करते



राहे हक़ पर जो गामज़न हैं बशर

वो किसी का बुरा नहीं करते



दिल मेरा ग़मज़दा नहीं होता

वो जो मुझसे दग़ा नहीं करते



जाने क्या हो गया है अब उनको

मुझसे हँस कर मिला नहीं करते



याद आती नहीं अगर उन की

हम कभी रत-जगा नहीं करते



लाख कोशिश करो मिटाने की

नक़्शे उल्फ़त मिटा नहीं करते



ज़ुल्म से 'नाज़'… Continue

Posted on June 22, 2021 at 1:22pm — 10 Comments

Comment Wall

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

  • No comments yet!
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service