पिकहा बाबा ----प्रेस वार्ता
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 2, 2012 at 5:58pm — 6 Comments
तीन दुर्मिल सवैया छंद :-
===================
(1)
चित चॊर चकॊर मरॊर दई, झकझॊर दई पँसुरी पँसुरी,
कस माखनचॊर गही बहियां, चटकाइ दई अँगुरी अँगुरी,…
Added by कवि - राज बुन्दॆली on December 2, 2012 at 1:30pm — 14 Comments
Added by अरुन 'अनन्त' on December 2, 2012 at 1:26pm — 14 Comments
ओ. बी. ओ. के सभी गुरुजनों, मित्रों एवं पाठकों को मेरा विन्रम प्रणाम. आज ओ. बी. ओ. पर काफी दिनों के बाद मेरा आना हुआ है. और ऐसा महसूस हो रहा है कि एक भूला-भटका राही अपने खुशहाल घर वापस आ गया, जहाँ बड़ों का आशीष है, स्नेह है, सहयोग है और कदम- 2 पर साथ है. हाइकु लिखने की पहली कोशिश है मालुम नहीं ठीक है या गलत, आशा करता हूँ कि आप सब मार्गदर्शन अवश्य करेंगे.
सादर
अरुन शर्मा
पराया धन
बढ़ाता परेशानी
मन में चिंता
बुरी नज़र
जलाती तिल…
Added by अरुन 'अनन्त' on December 2, 2012 at 11:30am — 12 Comments
रवि किरणों को कंटक सम चुभता
नोच डाला गिद्धों ने जो गिरी का बदन
करते हैं दोहन उसकी भुजाओं का
कैसे दिखाए नदी शिव को अपना वदन
जब चाहा संहार किया काटी ग्रीवा
आज चुपचाप बिलखते हैं अरण्य सघन
मासूम गंगा की छीन ली पावनता
बहाते गन्दगी धुलते मैले कुचैले वसन
शून्य धरा शून्य अम्बर बचा क्या
प्रदूषित जल ,पर्यावरण , प्रदूषित पवन
क्या दोगे धरोहर अगली पीढ़ी को
कुछ तो बचा लो ,सुनो क्या कहे …
ContinueAdded by rajesh kumari on December 2, 2012 at 10:34am — 10 Comments
जो हमें बरसों से हरदम चीट ही करते रहे
मसअले दर मसअले वो ट्वीट ही करते रहे
खर्च करने के लिए इमदाद में आई रकम
पंचतारा होटलों में मीट ही करते रहे
जो हमें समझा किये कीड़े मकोडों की तरह
हम खुदा की तरह उनको…
ContinueAdded by Rana Pratap Singh on December 2, 2012 at 8:50am — 9 Comments
Added by Ashok Kumar Raktale on December 1, 2012 at 10:58pm — 8 Comments
बहर : २१२ २१२ २१२ २१२
बरगदों से जियादा घना कौन है
किंतु इनके तले उग सका कौन है
मीन का तड़फड़ाना सभी देखते
झील का काँपना देखता कौन है
घर के बदले मिले खूबसूरत मकाँ
छोड़ता फिर जहाँ में भला कौन है
लाख हारा हूँ तब दिल की बेगम मिली
आओ देखूँ के अब हारता कौन है
प्रश्न इतना हसीं हो अगर सामने
तो फिर उत्तर में नो कर सका कौन है
Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 1, 2012 at 8:30pm — 13 Comments
Added by लतीफ़ ख़ान on December 1, 2012 at 6:28pm — 13 Comments
“हैलो क्षिप्रा, कैसी हो? मैं निशा बोल रही हूँ, मॉडर्न स्कूल की प्रिंसिपल! आज सभी स्कूलों के लिए आयोजित पोस्टर कम्पीटीशन में तुम जज हो न?”
ओहो! निशा! कैसी हो? कितने समय बाद याद किया? क्या तुम भी आ रही हो?क्षिप्रा नें पूछा.
“मेरे स्कूल के बच्चे प्रतिभागिता कर रहे हैं , बच्चों को मोटिवेट करने के लिए आना तो चाहती हूँ, पर मेरे स्कूल में भी एक समारोह है, अब देखो! अच्छा तुम कितने बजे तक पहुँचोगी?”निशा नें पूछा .
“मैं ग्यारह बजे तक पहुचूंगी, आ सको तो आना, मिलते हैं फिर.”…
ContinueAdded by Dr.Prachi Singh on December 1, 2012 at 6:00pm — 21 Comments
-1-
बीज रूप ॐ मिला,जग को आधार मिला,
शक्ति रूप में हुआ है,तेरा विस्तार माँ !
हर युग में कपूत , देते रहे कष्ट धूप ,
उनका भी हित…
Added by भावना तिवारी on December 1, 2012 at 1:46pm — 11 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 1, 2012 at 1:30pm — 14 Comments
“अनिता, यार जल्दी करो, ऐसे तो दोपहर का शो भी निकल जाएगा !” विजय अपनी पत्नी अनिता से बोला !
“बस अब सब्जी कट ही गई, इसे गैस चढ़ाकर तैयार हो जाऊंगी, टेंसन नॉट, समय पर पहुँच जाएंगे !” अनिता सब्जी काटते हुवे कह रही थी कि तभी, “आह...!” अचानक चाकू हाथ पर लग गया !
“अरे अनिता..... ध्यान कहाँ था..? छोड़ो ये सब्जी, चलो मै दवा लगा देता हूँ !” विजय चौकता हुवा बोला, और फिर जख्म पर दवा लगाकर पट्टी किया ! इसके बाद सब्जी काटकर गैस पर चढ़ा दिया ! इधर अनिता तैयार होने की कोशिश…
ContinueAdded by पीयूष द्विवेदी भारत on December 1, 2012 at 1:18pm — 20 Comments
प्रेम नशा अरु प्रेम मजा सब, प्रेम कथा अरु प्रेम हि भक्ति व,
प्रेम हि भाव व प्रेम सुभाव व,प्रेम हि त्याग व प्रेम हि शक्ति व,…
ContinueAdded by Ashok Kumar Raktale on December 1, 2012 at 8:53am — 6 Comments
मदिरा सवैया
मोषक राज किये यतियों पर ये कहना अतिरंजन है।
कौन बचा दुनिया भर में कह दे उसका चित कंचन है।
शोषक भी सब शोषित भी सब मौसम का परिवर्तन है।
कारण है निजता चढ़ के सिर नाच रही कर गर्जन है॥
दुर्मिल सवैया
अवलंबन हो निज का तब जीवन ये सुख की रसधार लगे।
प्रभुवंदन से मन पावन हो तरणी भव के उसपार लगे।
धरती सम हो उर तो नित "मैं कुछ दूँ सबको" यह भाव जगे।
अनुशीलन है बसता जिसमें उसमें नव के प्रति चाव जगे॥
Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on December 1, 2012 at 8:21am — 10 Comments
दिल में खौफ़े खुदा भी लाया जाए
अच्छे बुरे का फर्क जाना जाए
कब्ल इसके उंगली उठाओ सब पर
अपने दिल को भी तो खंगाला जाए
यूँ तो उनकी की है फजीहत सबने
प्यार उनसे कभी जताया जाए
निकले बाहर गरीबों की आवाज़ें
उनको भी तो कभी सुन लिया जाए
पहले इसके बिगड़ जायें हालात
जुल्मों को वक़्त रहते रोका जाए
Added by नादिर ख़ान on November 30, 2012 at 10:35pm — 4 Comments
आसमाँ के देखता है ख्वाब आम आदमी
चाहता है माहो-आफताब आम आदमी
खुद चुभन सहे मगर करे नहीं वो उफ़ तलक
कायनाते खार में गुलाब आम आदमी
रात दिन गुजारता है धूप छाँव भूल कर
काम कर रहा है बेहिसाब आम आदमी…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on November 30, 2012 at 3:30pm — 8 Comments
“हैलो पूर्वा, शाम साढ़े सात बजे तक तैयार रहना, आज मिस्टर अग्रवाल की बिटिया का महिला संगीत है और रात को डिनर के लिए चलना है” अक्षय नें अपनी पत्नी से फोन पर कहा. पूर्वा नें हामी भरी और पार्टी के कपडे निकालने के लिए अल्मारी खोली. उफ़! कितनी भारी भारी साड़ियाँ, पर आज तो कुछ सौम्य सा पहनने का मन है, सोचते हुए पूर्वा नें पाकिस्तानी कढाई का एक बेहद खूबसूरत सूट निकला और तैयार होने लगी.
आँखों का हल्का सा मेकअप, आई लाईनर, काजल, बालों का ताजगी भरा स्टाईल, चन्दन का इत्र, छोटी सी बिंदी, हल्की सी…
ContinueAdded by Dr.Prachi Singh on November 29, 2012 at 9:58am — 27 Comments
Added by Shyam Narain Verma on November 28, 2012 at 1:11pm — 4 Comments
छन्न पकैया छन्न पकैया, सॉरी भैया धोनी।
स्पिन ट्रैक से क्या होता है, टलती थोड़े होनी॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, भाग देख लो फूटे।
अपने सौवें ही दंगल में, वीरू दादा टूटे॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, थोड़ा चले पुजारा।
लदफद होती सेना को जो, देते रहे सहारा॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, क्या करते हो सच्चू।
अपने ही घर में अपनी क्या, पिटवाओगे बच्चू॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, अन्ना दीखे भज्जी।
कुक पूरे सरकारी बन के, उड़ा रहे थे धज्जी॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, दिखी…
ContinueAdded by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 27, 2012 at 7:13pm — 12 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |