ग़ज़ल
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लतीफ़ भाई मंच के सम्मानित सदस्यों के प्रति आपके ये उद्गार काबिले तारीफ हैं। ईश्वर आपकी लेखनी को ऐसे ही बनाए रखे और आप अपने सुख़न से आदाब की खिदमत करते रहें!
बहुत बहुत बधाइयाँ
आदरणीय लतीफ़ जी आपने जो सबको एक एक मोती की तरह एक ग़ज़ल सूत्र में पिरोया है आप भी उस ग़ज़ल का एक नायाब मोती हैं आपका इस मंच और इससे जुड़े सदस्यों के प्रति आपका प्रेम इस ग़ज़ल में उभर कर आया है इतना मान देने के लिए दिल से आभारी हूँ स्नेह बनाए रखियेगा
आभार आदरणीय -
कुत्सित कलुषित कलेजे पावन हों-
उज्जल प्राचुर्य प्रांजल 'रवि-कर' दे |
आदरणीय लतीफ़ खान जी
मंच के प्रति और सभी सदस्यों के प्रति अपने स्नेह भावों को बहुत सुन्दर ग़ज़ल में अभिव्यक्त किया है आपने. इस स्नेह हेतु आपका आभार.
वाह !
लतीफ़ साहिब
आपने तो कमाल कर दिया
हार्दिक बधाई एवं शुभकामना
जय हो लतीफ़ भाई
आपने ओ.बी.ओ.के प्रभामंडल में प्रकाशित रश्मियों को विकरित(प्रकाश को फैलाना ) कर दिया है
आपका ये सम्मान वाजिब है आप भी इस प्रभामंडल के चमकते सितारे से कम नहीं
आप राजहरा से हैं आप से मिलने और गजल के गुर समझने की तमन्ना है ..राजहरा जैसे क्षेत्र में बिजली नेट जैसी समस्या आम है एसी कठिन परिस्थितियों से जूझ कर आप यहाँ सम्ल्लित होतें है ये बहुत बड़ी बात है
मुसयारे में आप की गजल को पढ़ा परन्तु व्यक्तिगत कारणों से प्रतिक्रिया नहीं दे पाया
आपके गजल लाजवाब रहते हैं
हमें आप पर फक्र होता है
आदरणीय खान साहब वाह बड़ी ही खूबसूरती के साथ एक ही ग़ज़ल में इतने सारे चमचमाते तारों को सजा दिया।
जोड़ रक्खा है आपने सबको,
कौन अब आपको ये ब्रेकर दे;
हम नहीं इन से सूरमाओं में,
मन में इस कोई ज्ञान ही भर दे;
सादर लतीफ़ भाई साहिब...
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