For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Ashok Kumar Raktale
  • Male
  • Ujjain,M.P.
  • India
Share on Facebook MySpace

Ashok Kumar Raktale's Friends

  • Anamika singh Ana
  • Kalipad Prasad Mandal
  • KALPANA BHATT ('रौनक़')
  • प्रदीप नील वसिष्ठ
  • सतविन्द्र कुमार राणा
  • Sheikh Shahzad Usmani
  • S.S Dipu
  • TEJ VEER SINGH
  • Hari Prakash Dubey
  • seemahari sharma
  • harivallabh sharma
  • Amit Kumar "Amit"
  • अनिल कुमार 'अलीन'
  • Pradeep Kumar Shukla
  • गिरिराज भंडारी
 

Ashok Kumar Raktale's Page

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, उत्तम दोहावली रच दी है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"   आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, प्रदत्त विषय पर सुन्दर दोहे रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. फिर भी  मुखर होत अनंग = होकर  मुखर अनंग  उड़े अबीर गुलाल .........किसी भी चरण में लगातार दो जगण गेयता बाधित करते हैं.  थाल…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"अद्भुत अनजाने रंगों की मन पर उलट गई गागर यही सोचती रही प्रेम का क्या ये ही ढाई आखर.......वाह ! वाह ! बहुत सुन्दर गीत रचा है आपने आदरणीया प्रतिभा पांडे जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"ग़ज़ल   हम से पूछो न  हाल  होली का करता बे-बस ख़याल होली का   कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का   रंग जाते  हैं  खुद-ब-खुद चहरे जब भी होता धमाल होली का   उससे ज्यादा नशा नहीं…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale added a discussion to the group पुस्तक समीक्षा
Thumbnail

पुस्तक समीक्षा : मोहरे (उपन्यास)

समीक्षा पुस्तक   : मोहरे (उपन्यास)लेखक              : दिलीप जैनमूल्य               :  रुपये 150/-प्रकाशक           : बोधि प्रकाशन, जयपुर (राज.)आय एस बी एन : 978-93-5536-602-3                    ‘मोहरे’ जो स्वयं नहीं चलते. उनको चलाया जाता है किसी और के द्वारा.शतरंज के खिलाड़ी और शतरंज के  जानकार, ‘मोहरे’ शब्द से भलीभाँति परिचित होंगे.‘मोहरे’ मात्र शतरंज के खेल में ही नहीं होते.            हम इन्हें अपने आम जीवन में भी देखते हैं. भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में, बाज़ार में, सरकारी और गैर सरकारी महकमों…See More
Feb 25
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 153 in the group चित्र से काव्य तक
"  कुकुभ छन्द *  नर नारायण दोनों ही जग में, आकर सुख-दुख सहते हैं। कभी  झोपड़ी  को  घर  करते, कभी  महल  में  रहते हैं। खेल  भाग्य  का  है  यह सारा, ये   नन्हें   क्या…"
Jan 21
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Ashok Kumar Raktale's blog post ठहरा यह जीवन
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। बहुत भावप्रवण गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Dec 31, 2023
Samar kabeer commented on Ashok Kumar Raktale's blog post ठहरा यह जीवन
"जनाब अशोक रक्ताले जी आदाब, बहुत उम्द: नवगीत लिखा आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
Dec 31, 2023
Sushil Sarna commented on Ashok Kumar Raktale's blog post ठहरा यह जीवन
"वाह बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर, हार्दिक बधाई"
Dec 27, 2023
pratibha pande commented on Ashok Kumar Raktale's blog post ठहरा यह जीवन
"अगवा सारी हुईं उमंगे बेबस हैं तनमन।//वाह... बहुत भावप्रवण नवगीत..हार्दिक बधाई आदरणीय अशोक जी #"
Dec 27, 2023
Ashok Kumar Raktale's blog post was featured

ठहरा यह जीवन

गहरे तल पर ठहरे तम-सा,ठहरा यह जीवन।*मौन तोड़ती एक न आहट,घूरे बस निर्जन।कौन रुका इस सूने पथ पर,जो होगी खनखन।घर आँगन दालानों की भी,छाँव नहीं कोई।दूर-दूर तक वीराना है,गाँव नहीं कोई।चले हवाएँ गला काटतीं,सर्द बहुत अगहन।*कहीं चढ़ाई साँस फुलाएकहीं ढाल फिसलन।क़दम-क़दम पर भटकाने को,ख़ड़ी एक उलझन।लम्बा रस्ता पार न होता,कितना चल आये।चार क़दम पर हाँफ गये सब,अपने ही साये।छ्ल-छल करती आँखों ने भी पायी बस बिछड़न ।*धड़कन की लय टूट रही है,मन मनके टूटे।ख़ुशियों को ईर्ष्या की पल-पल,चढ़ी बाढ़ लूटे।संघर्षों का अन्त नहीं…See More
Dec 26, 2023
Ashok Kumar Raktale posted a blog post

ठहरा यह जीवन

गहरे तल पर ठहरे तम-सा,ठहरा यह जीवन।*मौन तोड़ती एक न आहट,घूरे बस निर्जन।कौन रुका इस सूने पथ पर,जो होगी खनखन।घर आँगन दालानों की भी,छाँव नहीं कोई।दूर-दूर तक वीराना है,गाँव नहीं कोई।चले हवाएँ गला काटतीं,सर्द बहुत अगहन।*कहीं चढ़ाई साँस फुलाएकहीं ढाल फिसलन।क़दम-क़दम पर भटकाने को,ख़ड़ी एक उलझन।लम्बा रस्ता पार न होता,कितना चल आये।चार क़दम पर हाँफ गये सब,अपने ही साये।छ्ल-छल करती आँखों ने भी पायी बस बिछड़न ।*धड़कन की लय टूट रही है,मन मनके टूटे।ख़ुशियों को ईर्ष्या की पल-पल,चढ़ी बाढ़ लूटे।संघर्षों का अन्त नहीं…See More
Dec 26, 2023
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 152 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी आपका हृदय से आभार. सादर "
Dec 24, 2023
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 152 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार चौपाई रचने का सुन्दर प्रयास किया है आपने. किन्तु  दोनों/दुकानों या आये/आये या बच्चे /बेचे जैसे तुक विचारणीय हैं. सादर "
Dec 24, 2023

Profile Information

Gender
Male
City State
Ujjain
Native Place
Ujjain
Profession
service
About me
I am a technical person and always talk in right angle.

Ashok Kumar Raktale's Photos

  • Add Photos
  • View All

Ashok Kumar Raktale's Blog

ठहरा यह जीवन

गहरे तल पर ठहरे तम-सा,

ठहरा यह जीवन।

*

मौन तोड़ती एक न आहट,

घूरे बस निर्जन।

कौन रुका इस सूने पथ पर,

जो होगी खनखन।

घर आँगन दालानों की भी,

छाँव नहीं कोई।

दूर-दूर तक वीराना है,

गाँव नहीं कोई।

चले हवाएँ गला काटतीं,

सर्द बहुत अगहन।

*

कहीं चढ़ाई साँस फुलाए

कहीं ढाल फिसलन।

क़दम-क़दम पर भटकाने को,

ख़ड़ी एक उलझन।

लम्बा रस्ता पार न होता,

कितना चल आये।

चार क़दम पर…

Continue

Posted on December 25, 2023 at 10:00pm — 4 Comments

ग़ज़ल

 22  22  22  22  22  2

 

मोद-सुमन  जो नित्य हृदय के पास रहे

सौरभ  का  भी  जीवन  में  आवास  रहे

 

मार्ग भले  ही छोटा  या  फिर  लम्बा हो

पैरों पर  प्रति  पल  अपने  विश्वास  रहे…

Continue

Posted on September 28, 2022 at 7:30pm — 12 Comments

गाड़ी निकल रही है

गीत

*

कच्चे रास्तों गडारों से,

गाड़ी निकल रही है।

*

जा रहे हैं किधर कोई,

बूझता ही नहीं।

फूट रहे हैं सर क्योंकर,…

Continue

Posted on September 23, 2022 at 10:30am — 8 Comments

‘गुनगुन करता गीत नया है’

गुनगुन करता गीत नया है,

क़दम बढ़ाता मीत नया है

*

दर्द दिखा हर ओर भरा है,

अचरज है हर पोर भरा है,

शब्दों में खामोशी जितनी,

भीतर उतना शोर भरा है।

कानों ने…

Continue

Posted on September 22, 2022 at 10:30pm — 7 Comments

Comment Wall (24 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 3:43pm on September 4, 2016, kanta roy said…
सार्थक रचना का सम्मानित होना अच्छा लगता ही है।
"मन उस आँगन ले जाय" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित होने के लिये बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय अशोक जी।
At 11:52pm on August 17, 2016,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी.
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी  गीतिका : मन उस आँगन ले जाय को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |

आपको प्रसस्ति पत्र यथा शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक 
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 5:31pm on July 23, 2014, seemahari sharma said…
बहुत बहुत आभार आदरणीय अशोक रकताले जी।
At 8:43pm on June 15, 2014, mrs manjari pandey said…
आदरणीय रक्ताले जी बहुत बहुत धन्यवाद। वस्तुतः विषय तो चिंतनीय है ही .
At 5:01pm on July 26, 2013, Dr Ashutosh Vajpeyee said…

ashok ji apne Mujhe aur Om neerav ji ko FB par Block kar diya is baat se ham logon ko ateev kasht hua hai ham dono hi yah jaan lena chahtey hain ki kis apradh ke liye apne hame yah dand diya aur kavita lok group kyon chhoda,,,,uttar ki prateeksha me me vyagra hoon

At 10:35am on June 10, 2013, D P Mathur said…

आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले सर हौंसला बढ़ाने के लिए आपका आभार !

At 6:13pm on May 8, 2013, Dr Dilip Mittal said…

आदरणीय इसी तरह आशीर्वाद बनाए रखें 

हार्दिक आभार 
At 7:40pm on May 4, 2013, Dr Dilip Mittal said…

आपके प्रोत्साहन भरे भावों के लिए शुक्रिया 

At 1:51pm on February 27, 2013, Meena Pathak said…

सादर आभार 

At 11:53pm on February 22, 2013, बृजेश नीरज said…

आपने मुझे मित्रता योग्य समझा इसके लिए आपका आभार!

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

AMAN SINHA posted blog posts
16 minutes ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: सही सही बता है क्या

1212 1212सही सही बता है क्याभला है क्या बुरा है क्यान इश्क़ है न चारागरतो दर्द की दवा है क्यालहू सा…See More
17 minutes ago
Sushil Sarna posted blog posts
17 minutes ago
दिनेश कुमार posted blog posts
17 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service