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कुमार गौरव अजीतेन्दु
  • Male
  • पटना, बिहार
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कुमार गौरव अजीतेन्दु's Discussions

क्या भाजपा अगले लोकसभा के आम चुनावों में अपनी वर्त्तमान सीटें बरक़रार रख पायेगी?
4 Replies

आपलोग आश्चर्यचकित होंगे की मैंने अपनी परिचर्चा में बजाये ये पूछने के कि भाजपा अगले आम चुनावों में जीत पायेगी या नहीं, ये पूछा है की भाजपा अपनी वर्त्तमान सीटें बचा पायेगी या नहीं, तो सम्मानित सदस्यों…Continue

Tags: राजनीति

Started this discussion. Last reply by कुमार गौरव अजीतेन्दु May 19, 2012.

 

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कुमार गौरव अजीतेन्दु's Blog

गीत - जी रही हैं दूरियाँ

भींगते तकियों से आँसू पी रही हैं दूरियाँ

मस्त हो नजदीकियों में जी रही हैं दूरियाँ

अनदिखी कितनी लकीरें खींच आँगन में खड़ीं

अनसुनेपन को बना बिस्तर दलानों में पड़ीं

बैठ फटती तल्खियों को सी रही हैं दूरियाँ

तोड़ देतीं फूल गर खिलता कभी एहसास का

कर रहीं रिश्तों के घर को महल जैसे ताश का

इन गुनाहों की सदा दोषी रही हैं दूरियाँ

प्यार में जब घुन लगा तो खोखलापन आ गया

भूतबँगले सा वहाँ भी खालीपन ही छा गया

ऐसे ही माहौल में…

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Posted on November 28, 2013 at 6:30pm — 11 Comments

ग़ज़ल - चाँदनी छिटकी हुई पर मन मेरा खामोश है

चाँदनी छिटकी हुई पर मन मेरा खामोश है।

बेखबर इस रात में सारा जहाँ मदहोश है।

वक्त आगे भागता, जम से गये मेरे कदम,

हाँ, सहारा दे रहा तन्हाई का आगोश है।

हँस रहा चेह्रा मेरा तुम तो बस इतना जानते,

क्योंकि गम दिल संग सीने में ही परदापोश है।

माँगता मैं रह गया, दे दो बहारों कुछ मुझे,

अनसुना कर बढ़ गईं, इसका बड़ा आक्रोश है।

अब कहाँ रौनक बची "गौरव" उमंगों की यहाँ,

घट रहा साँसों सहित धड़कन का पल-पल जोश…

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Posted on November 10, 2013 at 9:30am — 28 Comments

ग़ज़ल - लोग हैं तैयार खुद की लाश ढोने के लिए

ख्वाब के मोती हकीकत में पिरोने के लिए।

लोग हैं तैयार खुद की लाश ढोने के लिए।

झोंपड़े में सो रहा मजदूर कितने चैन से,

है नहीं कुछ पास उसके क्योंकि खोने के लिए।

आसमां की वो खुली, लंबी उड़ानें छोड़कर,

क्यों तरसते हैं परिंदे कैद होने के लिए।

जिंदगी भर खून औरों का बहाते जो रहे,

जा रहे हैं तान सीना पाप धोने के लिए।

जगमगाते हैं दिखावे से शहर के सब मकान,

सादगी तो रह गई है मात्र कोने के लिए।

पुष्प सारे चल…

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Posted on November 2, 2013 at 12:25pm — 28 Comments

ग़ज़ल - जीवन में मत जमीर को पलभर सुलाइए (बह्र - 221 2121 1221 212)

जीवन में मत जमीर को पलभर सुलाइए।

सोने लगे तो फेंक के पानी जगाइए।

बेगैरतों के शह्र में रहते जो शौक से,

अपने घरों की लाज को उनसे बचाइए।

अनमोल रत्न शील ही होता जहान में,

यूँ कौड़ियों के मोल इसे मत लुटाइए।

जिसने दिये हों सात वचन सात जन्मों के,

केवल उसी के सामने घूँघट उठाइए।

बीमारियाँ चरित्र की लगती हैं छूत से,

पीड़ितजनों के पास जियादा न जाइए।

बस दागदार करते जो घर की दीवारों को,

वैसे चिराग हाथ से…

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Posted on August 3, 2013 at 7:17pm — 16 Comments

Comment Wall (13 comments)

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At 10:10am on August 5, 2013, जितेन्द्र पस्टारिया said…

आदरणीय अजितेंदु जी,

बहुत बहुत आभार आपका, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

At 11:14am on January 1, 2013, MAHIMA SHREE said…

गौरव जी    ,  नमस्कार

मेरी ओर से आपको सपरिवार  नववर्ष की बहुत  बधाईयाँ  और  मंगलकामनाएं  तथा  प्रतियोगिता में विजयी होने के लिए भी आपको बधाई

At 10:24am on January 1, 2013, Er. Ambarish Srivastava said…

अनुज कुमार गौरव जी, आपके व आपके समस्त परिवार के लिए लिए भी यह नव वर्ष २०१३ अत्यंत मंगलकारी हो |

At 10:48pm on December 31, 2012,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

नये साल में और बेहतर उपलब्धियाँ हासिल हों... .

At 12:52pm on October 7, 2012, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

स्नेही, गौरव जी, हार्दिक बधाई 

At 10:12am on October 2, 2012, लक्ष्मण रामानुज लडीवाला said…

माह के सक्रीय सदश्य चुने जाने के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारे  कुमार गौरव अजितेंदु जी | मेरा गत माह का निजी अनुभव बताता है कि ओ बी ओ द्वारा प्राप्त पुरस्कार से उत्साहित होकर आपकी सक्रियता और उत्तरदायित्व के प्रति उत्साह और बढेगा जिससे आपकी लेखनी और निखरेगी मेरी हार्दिक शुभ कामनाए  

At 9:00am on October 2, 2012, Abhinav Arun said…

आदरणीय श्री कुमार गौरव अजीतेंदु जी आपको ओ बी ओ का माह का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनाएं !!

At 8:38pm on October 1, 2012,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय कुमार गौरव अजीतेंदु जी
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करे | कृपया अपना पता और नाम(जिस नाम से ड्राफ्ट/चेक निर्गत होगा), बैंक खता विवरणी एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका प्यार इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 8:06pm on July 9, 2012, Albela Khatri said…

आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीय कुमार गौरव अजीतेंदु जी

At 9:08am on June 30, 2012, Er. Ambarish Srivastava said…

जन्म दिन की शुभ कामनाओं के लिए आपका हार्दिक आभार मित्रवर !

 
 
 

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