2122 2121 1212 22
तुम जो साड़ी में यूँ खिलता गुलाब लगती हो
दिल ये कहता है की बस लाजवाब लगती हो
**
किस तराज़ी से तराशा है तुम्हें रब ने भी
दिल पे लगती हो तो सीधे जनाब लगती हो
**
हो गई सारी फ़ज़ा देख कर यूँ ही ताजा
चाँद जैसा है बदन पर खुशाब लगती हो
**
रोज़ करते हैं इबादत अज़ब करिश्मा है
आयतों की…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on February 12, 2021 at 10:30am — No Comments
कुछ रोज ठहर जाते तो अच्छा होता,
हमें छोड़ जाने से मुकर जाते तो अच्छा होता,
यूं तो कई लोग तन्हा सफर करते हैं लेकिन,
इस सफर में तुम भी साथ आते तो अच्छा होता...
वैसे तो तेरे दुपट्टे के सिरहाने पर भी नींद अच्छी आती है,
पर तेरी गोद में सर रखकर सोते तो अच्छा होता,
गुज़ार तो सकते ही है तेरे इंतजार में ये जिंदगी,
मगर वक्त रहते तुम मिल जाते तो अच्छा होता...
हम तो कहने को थे कि तुम हीं हो हमारी आखिरी मंज़िल,
लेकिन तुम भी…
ContinueAdded by Aditya lok on February 12, 2021 at 10:02am — 1 Comment
1222 1222 1222 1222
कहानी कोई हो अपने मुआफ़िक़ मोड़ लेते हैं
सभी किरदारों से किरदार अपना जोड़ लेते हैं
बड़ी तकलीफ़ देती हैं के चलती हैं ये साँसें भी
बड़े फाज़िल हैं हम भी रोज़ खुशियाँ जोड़ लेते हैं
ब-ज़िद हैं आस्तीं के साँप…
Added by Aazi Tamaam on February 11, 2021 at 10:00am — 2 Comments
2122 2122 2122 212
प्यार भी करता रहा दिल को जलाता भी रहा
जिंदगी भर मेरी चाहत आज़माता भी रहा
बेबसी की दास्तां किसको सुनाये दिल भला
उम्र भर गम भी रहा और मुस्कुराता भी रहा
बेकरारी में कोई पागल रहा कुछ इस कदर
लौ जलाता भी रहा और लौ बुझाता भी रहा
दिल्लगी भी क्या गज़ब की दास्तां है…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on February 11, 2021 at 12:00am — 4 Comments
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 10, 2021 at 3:30pm — 6 Comments
पूरी रात वह सो नहीं पाया था, आँखों आँखों में ही बीती थी पिछली रात. लेकिन कमाल यह था कि न तो कोई थकान थी और न ही कोई झल्लाहट. उसे अच्छी तरह से याद था कि इसके पहले जब भी रात को जागना पड़ जाए या किसी वजह से रात को देर तक नींद नहीं आये तो अगला पूरा दिन उबासी लेते और थकान महसूस करते ही बीतता था. उसे हमेश यही लगता रहा कि कहीं वह छोटा सा बच्चा उससे दब न जाए और उसी चक्कर में वह हर आधे घंटे पर उठ उठकर उसे देखता रहा. और वह बच्चा भी पूरी रात उसके बिस्तर पर घूमता रहा, कभी सिरहाने तो कभी पैरों की तरफ.पूरी…
ContinueAdded by विनय कुमार on February 8, 2021 at 11:11pm — 8 Comments
Added by Sushil Sarna on February 7, 2021 at 2:30pm — 3 Comments
२२१/२१२१/१२२१/२१२
पहने हुए हैं जो भी मुखौटा किसान का
हित चाहते नहीं हैं वो थोड़ा किसान का।१।
*
बन के हितेशी नित्य हित अपना साधते
बाधित करेंगे ये ही तो रस्ता किसान का।२।
*
नीयत है इनकी खोटी ये करने चले हैं बस
दस्तार अपने हित में दरीचा किसान का।३।
*
होती इन्हें तो भूख है अवसर की नित्य ही
चाहेंगे पाना खून पसीना किसान का।४।
*
स्वाधीन हो के देश में किस ने उठाया है
रुतबा किया सभी ने है नीचा किसान का।५।
*
सब के टिकी हुई है ये…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 7, 2021 at 10:28am — 10 Comments
जैसी भी हो बडी़ ख़ूबसूरत होती है ज़िन्दगी
जिन्दगी में नित नए मोती पिरोती है ज़िन्दगी
कहीं चंदा सी चमचम कहीं तारों सी झिलमिल
और कहीं सूरज सी रौशन होती है ज़िन्दगी
फूलों सी महकती कहीं, कहीं काँटों सी उलझ जाती ज़िन्दगी
कहीं नदिया की चंचल धारा,कहीं सागर सी ठहरी ज़िन्दगी
सुख दुख में अपने पराए की पहचान कराती है ज़िन्दगी
वक्त बदले तो राजा को भी रंक बनाती है ज़िन्दगी
ना जाने कैसे कैसे रंग दिखाती है ज़िन्दगी
कभी सुख कभी दुख के…
ContinueAdded by Veena Gupta on February 7, 2021 at 3:25am — 1 Comment
2122 1122 2(11)2
ये अलग बात है इनकार मुझे
तेरे साये से भी है प्यार मुझे।
**
सामने सबके बयाँ करता नहीं
रोज दिल कहता है, सौ बार मुझे।
**
लफ्ज़ दर लफ्ज़ मैं बिक जाऊं अगर
तू खरीदे सरे बाजार मुझे।
**
था हर इक दिन कभी त्यौहार की तर्ह
भूल अब जाता है इतवार मुझे।
**
चाहकर मैं तुझे, मुजरिम हूँ तेरा
क्यूँ नहीं करता गिरफ़्तार मुझे
…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 6, 2021 at 11:30pm — 10 Comments
2212 - 1222 - 212 - 122
इक है ज़मीं हमारी इक आसमाँ हमारा
इक है ये इक रहेगा भारत हमारा प्यारा
हिन्दू हों या कि मुस्लिम सारे हैं भाई-भाई
होंगे न अब कभी भी तक़्सीम हम दुबारा
यौम-ए-जम्हूरियत पर ख़ुशियाँ मना रहे हैं
हासिल शरफ़ जो है ये, ख़ूँ भी बहा हमारा
अपने शहीदों को तुम हरगिज़ न भूल जाना
यादों को दिल में उनकी रखना जवाँ…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on February 6, 2021 at 7:27pm — 5 Comments
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 6, 2021 at 12:30pm — No Comments
राधे इस बार गाँव लौटा तो उसने देखा कि उसके दबंग पड़ौसी ने वाकई उसके दरवाजे पर अपना ताला जड़ दिया था ।
दर असल जयसिंह उसे कहता, " काम जब करते ही शहर में हो तो मकान हमें दे दो" कभी कहता, " मान जाओ, नहीं तो तुम्हारे जाते ही अपना ताला डाल दूंगा ।"
राधे को एकाएक कुछ सूझा, बच्चों और पत्नि को वहीं खड़े रहने को कहा, खुद भागा-भागा अपने दोस्त करीमू के पास जा पहुँँचा और बोला, " भाई करीमू, चल, चल जल्दी कर, बच्चे ठंडी रात मे घर से बाहर खड़े है, ताला खोल" ! चाबी मुझ से रास्ते मे खो गयी, इस…
Added by Chetan Prakash on February 5, 2021 at 5:00pm — 2 Comments
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 4, 2021 at 7:00pm — 2 Comments
1212 1212 1212 1212
नज़र कहीं निशाना ताज़ हो रहा बवाल है
मदद नहीं किसान की गरीब घर सवाल है।
ज़मीं सदा इन्हीं की मौत है गरीब की यहाँ
वो मर रहा है भूख से जनाब याँ बवाल है।
कि आइये कभी गंगा तटों जमुन जहान में
वो ज़िन्दगी रहती कहाँ सनम कहाँ कवाल है।
लड़़ो मरो हक़ूक हित दिखाइये वो जख्म भी
जो माँगते थे मिल गया वो फिर कहाँ सवाल है ।
तुम्हारी ही बिरादरी तुम्हारे ही युवा जहाँ
जवान खौफ वो रहा…
Added by Chetan Prakash on February 4, 2021 at 6:30pm — 2 Comments
हम तो हल के दास ओ राजा
कम देखें मधुमास ओ राजा।१।
*
रक्त को हम हैं स्वेद बनाते
क्या तुमको आभास ओ राजा।२।
*
अन्न तुम्हारे पेट में भरकर
खाते हैं सल्फास ओ राजा।३।
*
पीता हर उम्मीद हमारी
कैसी तेरी प्यास ओ राजा।४।
*
हम से दूरी मत रख इतनी
आजा थोड़ा पास ओ राजा।५।
*
खेती - बाड़ी सब सूखेगी
जो तोड़ेगा आस ओ राजा।६।…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 4, 2021 at 9:56am — 23 Comments
शेर की सवारी
और ज्यादा दिन
मौत है नजदीक तेरी
गिन रहा दिनमान है,
तोड़ देगा आन तेरी
यही उसका काम है
जिन्दगी देता अगर
मौत उसका फरमान है।
कहावते और मुहावरे
बुज़ुर्ग दे गये बावरे
सुनोगे उनको
गुनोगे सबको
जीवन सफल हो जाएगा
उद्धार होगा तुम्हारा
देश भी रह जाएगा
दोस्त,
कहानियाँ गर पढ़ो तो
तो पंचतंत्र की
जीवन अमृत हो जाएगा
तू अमर हो जाएगा
साथी,
परमार्थ भी हो जाएगा ।
धर्म हो या संस्कृति…
Added by Chetan Prakash on February 4, 2021 at 7:30am — 4 Comments
हर लहर से बढ़ के अब तो रार साथी तेज कर
पार जाने के लिए पतवार साथी तेज कर।१।
*
ये लहर ऐसे न साथी साथ देगी अब यहाँ
झील के पानी में थोड़ी मार साथी तेज कर।२।
*
जुल्म के पत्थर इसी से कट गिरेंगे देखना
पहले पत्थर पर कलम की धार साथी तेज कर।३।
*
काट दी है जीभ इन की चीखना सम्भव नहीं
सच कहेंगी बेड़ियाँ झन्कार साथी तेज…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 3, 2021 at 7:58pm — 10 Comments
2212 - 1222 - 212 - 122
दामन बचा के हमने दिल पर उठाए ग़म भी
बेदाग़ हो गये हैं सब कुछ लुटा के हम भी
कुछ ख़्वाब थे हसीं कुछ अरमाँ थे प्यारे प्यारे
अहल-ए-वफ़ा से तालिब थे तो वफ़ा के हम भी
उस शख़्स-ए-बावफ़ा से सबने वफ़ा ही पाई
ये बात और है के हम को मिले हैं ग़म भी
गर्दिश में हूँ अगरचे रौशन है दिल की महफ़िल
लब ख़ुश्क़ हैं तो क्या है आँखे हैं मेरी नम भी
ज़ुल्फ़ों की छाँव मिलती पलकों का साया…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on February 2, 2021 at 11:28pm — 6 Comments
तेरे आकर्षण का पल पल प्रतिकर्ष सताता है
सामजिक ताना बाना मिरी उलझन बढ़ाता है //
नदिया के पास जाऊं तो शीतल हो जाऊं
साथ दो अगर तो मैं मुस्कान बन जाऊं //
आकर्षक सा छद्म आव्हान मुझे बुलाता है //
सामजिक ताना बाना मिरी उलझन बढ़ाता है //
तुमसे कहने का मैं कोई मौका न छोड़ता
बस एक इशारा मिलता तो ही तो बोलता //
ऊहा पोह के सागर में अब गोता खाता हूँ
सामजिक ताना बाना मिरी उलझन बढ़ाता है //
दर्द की बात न करूंगा दर्द अब बेमानी हुआ
चाय…
ContinueAdded by DR ARUN KUMAR SHASTRI on February 2, 2021 at 4:45pm — 2 Comments
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