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Chetan Prakash
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Chetan Prakash posted a blog post

एक ताज़ा ग़ज़ल

2122 1122 1122 22ख़्वाब से जाग उठे शाह सदा दी जाए पकड़े जायें अभी क़ातिल वो सज़ा दी जाएबख़्श दी जाए कहीं जान ख़वातीनों की अब तो ज़ालिम को कड़ी कोई सज़ा दी जाएघूमते हैं वो दरिन्दे भी नकाबों में अब तो जितना जल्दी हो उन्हें मौत बजा दी जाएलोग अच्छे ही परेशान हैं वहशी दरिन्दों इन्तिहाँ हो गयी अब लौ वो बुझा दी जाएज़ात इन्साँ की पशेमाँ है ज़रायम से 'चेतन' तूफाँ कोई तो उठा कर वो दवा दी जाएमौलिक व अप्रकाशित प्रोफ. चेतन प्रकाश 'चेतन'See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"1222 1222 122 ज़माने से हमेशा आशना हूँ ख़ुदा या मैं यहाँ आया भला हूँ मैं अपने आप में ही मुब्तिला हूँ सदा खोया ख़ुदी वो गुमशुदा हूँ जो भी मिलता है मुझसे ख़ुश रहा है कि मैं तो सब से मीठा बोलता हूँ मिरी आवारगी ना पूछ तू यार ! कभी भँवरा कभी हारा…"
Friday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदाब आदरणीय समर कबीर साहब !"
Friday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक" छंदोत्सव अंक 151 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ः प्रात श्रद्धालु चढ़ायें, जल ....सूर्य नारायण, गंगा की जल... धार । लाली ..छाई ..हुई पूर्व, क्षितिज - सतह गंगा, सोना सी आर पार ।। पुरुष ..अथवा नारी, सभी ..संस्कृति पुजारी, करते..जल - पान । साथ - साथ तट पर, गाते गीत आरती के , आन -…"
Nov 19
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-157
"मनहरण घनाक्षरी छंदः दीपावली.. मनाईये, सखा संगी साथी मात्र, खुशियाँ भी होंगी चेरी, सभी आनन्द पार । प्रकाश पर्व ये मने, अमावस कार्तिक ही, गूँजे धरा आकाश पटाखों, आती गृह बहार ।। दीपों की माला सी जागी, किस्मत भारत... आज, सुबह उगेगा.. सूर्य, गंगा ..होते…"
Nov 12
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-157
"रोला छंदावली ः चलो अंजनी लाल, सजायें .....राम सवारी । लौट रहे प्रभु काज, जीत रण लंका भारी ।। मधुर बज रही तान, अयोध्या मंगलकारी । सजते स्वागत द्वार, चहुँओर है फुलवारी ।। गाते है... गुणगान, राम का सब नर - नारी । सिया राम आधार, जगत का दुनिया सारी…"
Nov 11
Chetan Prakash posted a blog post

एक ताज़ा गज़ल

2121 2122 2121 212खो गया सुकून दिल का कार हो गया जहाँ गुम गया सनम भँवर में ख़ार हो गया जहाँकामयाबी तौलती दुनिया भरोसे जऱ ज़मी फार्म जिनके हैं नहीं गुड़मार हो गया जहाँज़िन्दगी जिसे कहा हमने कहीं छुपा गया है निशान अपने ज़ालिम पार हो गया जहाँकार-ए-दुनिया और कुछ हैं और कुछ दिखें ख़ुदा मारकाट हाल कारोबार हो गया जहाँतोड़ हद रहे सभी अब तो अदब जहान में लाज लुट रही घरों मुरदार हो गया जहाँलाखआँख नम दिखे जज़्बात मर गये कहीं प्यार खो रहा अभी इसरार हो गया जहाँमशविरा करूँ तो किससे राबते रहे नहीं गुम गये…See More
Nov 9
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"122 122 122 12 ख़ुदा अब तो थोड़ी खुशी भेज दे तू मेरे लबों पर हँसी भेज दे नहीं ख़त मिला कोई तेरा सनम तू कासिद को लेकर वही भेज दे कि मैं मुस्करा सकता या रब यहाँ मेरी दिलनशीं को कभी भेज दे कि कम दिखते जज़्बात वो प्यार में वो आँखों ख़ुदा रा नमी भेज…"
Oct 27
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 150 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ः शक्ति-पात देश हुआ, नारी हो गई मुखर, चलन बदल गया, पति-पत्नि कार का । बदल हवा चले तो, बदलता समाज है, पति सेवा करे पत्नि , शौक है बहार का ।। मालिश सर में करे, पत्नि के पति है आज , बैठा है वो खाट पर, पत्नि धरा प्यार है । बह रही..…"
Oct 21
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-156
"दोहावली जन्म हुआ हित काटने, पूर्व जन्म के पाप । पूर्व जन्म का... कर्ज है, जिसे उतारें आप ।। ना जाने कब से हुआ, जीवन.. का आरम्भ । धार बँधी है नाव यह, मुड़ती नाविक दम्भ ।। नाविक मानव जात है, चंचल सदा स्वभाव । मन चालित इस नाव से, कैसे हो,, सद्भाव…"
Oct 15
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदाब, अमित जी, आप आदतन जिस तरह शेर दर शेर समीक्षा करते है, उसी तरह तबसिरा करें, कृपया !"
Sep 27
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"देखा जो ध्यान से उसे वो भा गई मुझे चलना था साथ- साथ ही जतला गई मुझे थी ख़ानदानी जन्म से समझा गई मुझे आसान था निभाना भी बतला गई मुझे मौसम था ख़ुशगवार वो फूलों पे तितलियाँ कलियों पे बैठे भँवरे नदी लहरा गई मुझे रहबर नहीं वो देश के जो बिकते थोक में…"
Sep 27
Sushil Sarna commented on Chetan Prakash's blog post एक और ग़जल ः
"वाह आदरणीय जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई सर"
Sep 24
Chetan Prakash posted a blog post

एक और ग़जल ः

2121 2122 2122 212ढूढ़ ले हबीब कोई ज़िन्दगी तो हो सकेसाथ हो नसीब कोई ज़िन्दगी तो हो सकेछोड़ देता रोना-धोना मस्त जीता ज़िन्दगीदोस्त हो करीब कोई ज़िन्दगी तो हो सकेमरता जीता मुश्किलों तू आदमी है बदगुमाँसाध ले सलीब कोई ज़िन्दगी तो हो सकेज़ीस्त बोझ बन गई हर शख़्स वो है झींकताजाम हो अजीब कोई जिन्दगी तो हो सकेखो चुका ख़ुलूस आदम हो गया बे होश हैदोस्त हो ग़रीब कोई ज़िन्दगी तो हो सकेउम्र सारी वो गँवा दी द़ुश्मनी जीते हुएबख़्श दे रकीब कोई ज़िन्दगी तो हो सकेप्रोफ चेतन प्रकाश चेतनमौलिक व अप्रकाशितSee More
Sep 24
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 149 in the group चित्र से काव्य तक
"कुण्डलिया छंदः आई घड़ी.. चुनाव की, जनता आती याद । कमियाँ जो शासन रहीं, पूरी हों फरियाद ।। पूरी हों... फरियाद, खेलते रहो... युवाओ । बिना छाछ औ दूध, रोटी रहित घी खाओ ।। खूब करो तुम होड़, पानी पियो.... जा राई । भूख बढ़ेगी..... पेट., घड़ी भारत की आई…"
Sep 24
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 149 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहा छंद करने वाले रो रहे, मुश्किल बढ़ीं हजार । नाकारा वो मस्त है, बैठे मौज.. बहार ।। बाँट रहे..राजस्व.... हैं, लाभार्थी....... परिवार । करदाता ही पिस रहा, कठिन हुआ व्यवहार ।। रीढ़ रहा जो देश की, मध्यम वो परिवार । महँगाई.. वो झेलता, ढोता है..…"
Sep 23

Profile Information

Gender
Male
City State
Baraut
Native Place
Hapur
Profession
Teaching
About me
I'm a poet rather born than made or trained since my childhood

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एक ताज़ा ग़ज़ल

2122 1122 1122 22

ख़्वाब से जाग उठे शाह सदा दी जाए

पकड़े जायें अभी क़ातिल वो सज़ा दी जाए

बख़्श दी जाए कहीं जान ख़वातीनों की

अब तो ज़ालिम को कड़ी कोई सज़ा दी जाए

घूमते हैं वो दरिन्दे भी नकाबों में अब तो

जितना जल्दी हो उन्हें मौत बजा दी जाए

लोग अच्छे ही परेशान हैं वहशी दरिन्दों

इन्तिहाँ हो गयी अब लौ वो बुझा दी जाए

ज़ात इन्साँ की पशेमाँ है ज़रायम से 'चेतन'

तूफाँ कोई तो उठा कर…

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Posted on November 27, 2023 at 12:57pm

एक ताज़ा गज़ल

2121 2122 2121 212

खो गया सुकून दिल का कार हो गया जहाँ

गुम गया सनम भँवर में ख़ार हो गया जहाँ

कामयाबी तौलती दुनिया भरोसे जऱ ज़मी

फार्म जिनके हैं नहीं गुड़मार हो गया जहाँ

ज़िन्दगी जिसे कहा हमने कहीं छुपा गया

है निशान अपने ज़ालिम पार हो गया जहाँ

कार-ए-दुनिया और कुछ हैं और कुछ दिखें ख़ुदा

मारकाट हाल कारोबार हो गया जहाँ

तोड़ हद रहे सभी अब तो अदब जहान में

लाज लुट रही घरों मुरदार हो गया…

Continue

Posted on November 8, 2023 at 8:30pm

एक और ग़जल ः

2121 2122 2122 212



ढूढ़ ले हबीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके

साथ हो नसीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



छोड़ देता रोना-धोना मस्त जीता ज़िन्दगी

दोस्त हो करीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



मरता जीता मुश्किलों तू आदमी है बदगुमाँ

साध ले सलीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



ज़ीस्त बोझ बन गई हर शख़्स वो है झींकता

जाम हो अजीब कोई जिन्दगी तो हो सके



खो चुका ख़ुलूस आदम हो गया बे होश है

दोस्त हो ग़रीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



उम्र सारी वो गँवा दी… Continue

Posted on September 24, 2023 at 9:46am — 1 Comment

एक ताज़ा गज़ल

1222    1222    1222    1222

सुहाना सुब्ह मौसम है तुम्हें अब ग़म नहीं होता

खिली है धूप गुलशन में सवेरा कम नहीं होता

वो काली रात है तारी अँधेरा कम नहीं होता

ये कैसा वक़्त आया है सनम हमदम नहीं होता

परायापन बना हासिल कि रिश्तों दम नहीं होता

न प्यारा कोई है दुनिया कभी दुख कम नहीं होता

तुम्हारी आँख का पानी अभी क्यों सूखता जानाँ

हमे तो शर्म आती हैं पशेमाँ दम नहीं होता

तुम्हारे शह्र के हालात वो…

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Posted on September 15, 2023 at 8:22am — 2 Comments

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At 6:35am on July 22, 2021, रणवीर सिंह 'अनुपम' said…
आदरणीय, चेतन जी, "दोहे : कैसे- कैसे  लोग" शीर्षक के तहत लिखे गए दोहे बहुत सुंदर हैं और बहुत अच्छे लगे।

निम्न चरण विधान में न होने से इनमें लय भंग है। जिसे दूर करने की जरूरत है।

जन्म-भूमि स्वर्ग सम हो
(कारण-नवीं मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

कृतघ्न पक्के लोग
(कारण-आरंभ में जगण "कृतघ्न"आ रहा है, जो नहीं होना चाहिए)

कर रहे बस भोग
(कारण-एक मात्राभार कम है, साथ ही पाँचवीं मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

न हों कभी बदनाम
(कारण-पहली मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

विद्या  हमें  सिखाती है,
(कारण-13 मात्राओं की जगह 14 मात्राएँ हैं, जो नहीं होनी चाहिए)

कर अन्याय प्रतिकार
(कारण-11 की जगह 12 मात्राएँ हैं जो नहीं होनी चाहिए)
At 11:46pm on November 22, 2020, DR ARUN KUMAR SHASTRI said…

भाई चेतन जी
नमन -
इस्लाह का
सलीका आ जायेगा
मैंने आज तलक
मुकम्मल तो कोई देखा नहीं
गलतियां निकालोगे-
तो सीखूंगा ही ।।
मैं तो अधूरा था
अधूरा रहा
और हूँ अब तलक
आज आया हूँ आपकी बज्म में
कुछ सिखा दोगे -
तो सीखूंगा भी ।।

At 11:59am on June 27, 2020, Samar kabeer said…

जनाब चेतन प्रकाश जी,ये टिप्पणी आप मुशाइर: में दें,तो मुझे जवाब देने में आसानी होगी ।

 
 
 

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Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"स्वागतम"
8 hours ago
Chetan Prakash posted a blog post

एक ताज़ा ग़ज़ल

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Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
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