For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पूरी रात वह सो नहीं पाया था, आँखों आँखों में ही बीती थी पिछली रात. लेकिन कमाल यह था कि न तो कोई थकान थी और न ही कोई झल्लाहट. उसे अच्छी तरह से याद था कि इसके पहले जब भी रात को जागना पड़ जाए या किसी वजह से रात को देर तक नींद नहीं आये तो अगला पूरा दिन उबासी लेते और थकान महसूस करते ही बीतता था. उसे हमेश यही लगता रहा कि कहीं वह छोटा सा बच्चा उससे दब न जाए और उसी चक्कर में वह हर आधे घंटे पर उठ उठकर उसे देखता रहा. और वह बच्चा भी पूरी रात उसके बिस्तर पर घूमता रहा, कभी सिरहाने तो कभी पैरों की तरफ.पूरी रात वह सो नहीं पाया था, आँखों आँखों में ही बीती थी पिछली रात. लेकिन कमाल यह था कि न तो कोई थकान थी और न ही कोई झल्लाहट. उसे अच्छी तरह से याद था कि इसके पहले जब भी रात को जागना पड़ जाए या किसी वजह से रात को देर तक नींद नहीं आये तो अगला पूरा दिन उबासी लेते और थकान महसूस करते ही बीतता था. उसे हमेश यही लगता रहा कि कहीं वह छोटा सा बच्चा उससे दब न जाए और उसी चक्कर में वह हर आधे घंटे पर उठ उठकर उसे देखता रहा. और वह बच्चा भी पूरी रात उसके बिस्तर पर घूमता रहा, कभी सिरहाने तो कभी पैरों की तरफ.इतना आसान नहीं था उस बच्चे को घर ले आना, घर के बाकी बच्चे तो कबसे यही चाहते थे और उससे गुहार भी लगा रहे थे. लेकिन पत्नी के विरोध के चलते वह ला नहीं पा रहा था. इसी बीच पडोसी ने भी एक प्यारा सा पपी लाकर जैसे उनकी पीड़ा को बढ़ा दिया. अब जब भी वह या बच्चे उस प्यारे पपी को देखते, उनकी इच्छा एकदम से अपने यहाँ भी लाने की होती. पिछले कई दिनों से लगभग रोज ही इस विषय पर चर्चा की शुरुआत होती लेकिन पत्नी के विरोध के चलते बात ख़त्म हो जाती. ये अलग बात थी कि वह बच्चों की आँखों में उदासी और बेचारगी नहीं देख पाता था. किसी तरह से तमाम मानमनौअल के चलते घर में पपी आया और उस प्यारे बच्चे को लेकर सोने के लिए काफी बहस हुई. आखिरकार फैसला उसके पक्ष में हुआ और वह प्यारा बच्चा उसके साथ ही सोया. पूरे दिन में वह रात के बारे में ही सोचता रहा कि आखिर ऐसा कैसे हुआ कि उसकी नींद रात भर खुलती रही. वर्ना तो वह सोने के लिए पूरे खानदान में बदनाम था, रात में एक बार सो गया तो बम भी फट जाए, उसकी नींद नहीं खुलती थी. फिर उसे याद आया बच्चों के जन्म के बाद पत्नी के रात भर जागने और सोने का. जरा सी आहट पर ही वह जाग जाती थी, कितनी बार वह बच्चों के लिए रात भर जागती रहती थी लेकिन सुबह चेहरे पर शिकन का नामोनिशान नहीं होता था. उसे बहुत आश्चर्य होता था कि आखिर वह ऐसे कैसे रह लेती है, वह पूछता भी था लेकिन पत्नी मुस्कुराकर टाल जाती थी.इन्हीं विचारों में वह डूब उतरा रहा था कि पत्नी की आवाज ने उसकी तन्द्रा तोड़ी "कहाँ खो गए जनाब, आज तो काफी अच्छा महसूस हो रहा होगा". उसने भी मुस्कुराते हुए जवाब दिया "हाँ आज बहुत अच्छा महसूस हो रहा है, आखिर आज मैंने मातृत्व को महसूस किया है". 


मौलिक एवम अप्रकाशित 

Views: 591

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on February 11, 2021 at 3:46pm

इस हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत आभार आ मुहतरम समर कबीर साहब

Comment by विनय कुमार on February 11, 2021 at 3:46pm

इस हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत आभार आ तेज वीर सिंह जी

Comment by विनय कुमार on February 11, 2021 at 3:45pm

इस हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत आभार आ नाथ सोनांचली जी

Comment by विनय कुमार on February 11, 2021 at 3:45pm

इस हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत आभार आ लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी

Comment by विनय कुमार on February 11, 2021 at 3:43pm

इस हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत आभार आ कृष मिश्रा जान गोरखपुरी जी

Comment by TEJ VEER SINGH on February 11, 2021 at 12:13pm

बहुत खूबसूरत रचना | आद0 विनय कुमार जी हार्दिक बधाई।

Comment by नाथ सोनांचली on February 9, 2021 at 6:50pm

आद0 विनय कुमार जी सादर अभिवादन।

अच्छी लघुकथा हुई है, बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 9, 2021 at 6:38pm

आ. भाई विनय कुमार जी, अच्छी कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on February 9, 2021 at 6:12pm

जनाब विनय कुमार जी आदाब, अच्छी लघुकथा हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 9, 2021 at 4:12pm

बहुत खूबसूरत रचना हुई है भाई विनय कुमार जी हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद और कामयाब अश'आर पर…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. शिज्जू भाई "
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,आपको धुआ स्वीकार नहीं हैं तो यह आपका मसअला है. मैंने धुआँ क़ाफ़िया  प्रयोग में…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल के फीचर किए जाने की हार्दिक बधाई।"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह, आदरणीय हरिओम जी, वाह।  आप कुण्डलिया छंद के निष्णात हैं। आपके सहभागिता के लिए हार्दिक…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  आपकी छंद रचना और सहभागिता के लिए धन्यवाद।  योगी जन सब योग को,…"
17 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
18 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार योग के लाभ बताते सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं…"
18 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  छंदों की प्रशंसा और सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र पर आपने सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं.…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service