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दोहा सप्तक. . . धर्म
धर्म बताता जीव को, पाप- पुण्य का भेद ।
कैसे जीना चाहिए, हमें सिखाते वेद ।।
दया धर्म का मूल है, यही सत्य अभिलेख ।
करे अनुसरण जीव जो, बदले जीवन रेख ।।
सदकर्मों से है भरा, हर मजहब का ज्ञान।
चलता जो इस राह पर, वो पाता पहचान ।।
पंथ हमें संसार में, सिखलाते यह मर्म ।
जीवन में इन्सानियत, सबसे उत्तम कर्म ।।
चलते जो संसार में, सदा धर्म की राह ।
नहीं निकलती कष्ट में, उनके मुख से आह ।।
धर्म - कर्म से जो भरे,…
ContinuePosted on January 18, 2025 at 1:09pm
दोहा सप्तक. . . जीत -हार
माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार ।
संग जीत के हार पर, जीवन का शृंगार ।।
हार सदा ही जीत का, करती मार्ग प्रशस्त ।
डरा हार से जो हुआ, उसका सूरज अस्त ।।
जीत हार के सूत में, उलझा जीवन गीत ।
दूर -दूर तक जिंदगी, ढूँढे सच्चा मीत ।।
कभी हार है जिंदगी, कभी जिंदगी जीत ।
जीवन भर होता ध्वनित, इसमें गूँथा गीत ।।
मतलब होता हार का, फिर से एक प्रयास ।
हर कोशिश में जीत की, मुखरित होती आस ।।
निष्ठा पूर्वक जो करें , …
ContinuePosted on January 16, 2025 at 3:00pm
शर्मिन्दगी ....
"मैने कहा, सुनती हो ।"रामधन ने अपनी पत्नी को आवाज देते हुए कहा ।
"क्या हुआ, कुछ कहो तो सही ।"
"अरे होना क्या है । अपने पड़ोसी रावत जी की बेटी संजना ने अपने ब्वाय फ्रेंड के साथ भाग कर कोर्ट मैरिज करके इस उम्र में अपने माँ-बाप को शर्मसार कर दिया ।बेचारे! अच्छा हुआ, अपनी कोई बेटी नही केवल एक बेटा राहुल है ।" रामधन ने कहा।
इतने में डोर बेल बजी टननन ।
"कौन? " रामधन जी दरवाजे खोलते हुए बोले ।
" रामधन जी, अपने संस्कारवान बेटे को…
ContinuePosted on January 15, 2025 at 1:12pm
दोहा सप्तक . . . . पतंग
आवारा मदमस्त सी, नभ में उड़े पतंग ।
बीच पतंगों के लगे, अद्भुत दम्भी जंग ।।
बंधी डोर से प्यार की, उड़ती मस्त पतंग ।
आसमान को चूमते, छैल-छबीले रंग ।।
कभी उलझ कर लाल से, लेती वो प्रतिशोध ।
डोर- डोर की रार का, मन्द न होता क्रोध ।।
नीले अम्बर में सजे, हर मजहब के रंग ।
जात- पात को भूलकर, अम्बर उड़े पतंग ।।
जैसे ही आकाश में, कोई कटे पतंग ।
उसे लूटने के लिए, आते कई दबंग ।।
किसी धर्म की है हरी, किसी धर्म की…
ContinuePosted on January 14, 2025 at 8:40pm
आदरणीय सुशील सरना जी ,
सादर अभिवादन , आपके नाम और सावन पर लिखे सभी दोहे मन मोह गए । दोनों कविताएं 'मौसम को' व प्रश्न गंभीर भावों को लिए हुए है। साधुवाद ।
आदरणीय सुशील सरना जी.
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी "कविता : कितना अच्छा होता" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
आपको प्रसस्ति पत्र यथा शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
आपका मेल बॉक्स ब्लॉक होने के कारण मेल सेंड नहीं हो रहा है.
आदरणीय सुशील सरना सर, विलम्ब से प्रत्युत्तर हेतु क्षमा. आपको मेल कर दिया है. सादर
आ० सरना भाई जी, सादर प्रणाम!
आपका हार्दिक स्वागत है. मित्रता से भाग्योदय होता है , मैं धन्य हुआ. सादर
आदरणीय सुशील जी ..महीने का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर मेरी तरफ से हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर
आ० सुशील सरना भाई जी, सादर प्रणाम! आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" चुने जाने पर बहुत-बहुत बधाई. सादर
आदरणीय
सुशील सरना जी,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में विगत माह आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
मोहतरम जनाब सुशील सरना साहिब , यह आप सब की हौसला अफ़ज़ाई का नतीजा है , जिसके लिए आप का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
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