174 members
393 members
27 members
376 members
97 members
221 2121 1221 212
बाद एक हादिसे के जो चुप से रहे हैं हम
अपनी ही सुर्ख़ आँख में चुभते रहे हैं हम
ये और बात है की मुकम्मल न हो सका
इक ख़त किसी के नाम जो लिखते रहे हैं हम
सबसे जरूरी काम में पीछे रहे मगर
बाक़ी हर एक बात में आगे रहे हैं हम
वैसे तो हमसे जीतना मुमकिन न था मगर
अपनी रज़ा से आप से पीछे रहे हैं हम
इक रोज़ तन्हा छोड़ गए आप तो हमें
दर्द उम्र भर ये हिज़्र का सहते रहे हैं…
ContinuePosted on January 26, 2024 at 9:30pm — 2 Comments
11212 11212
इसी में तो मेरा जहान है
ये जो खंडरों सा मकान है
यूँ ही बोलने से बचा करें
यूँ कि तुंद-ख़ू ये ज़बान है
नया खून है वो है जोश में
अभी ज़िंदगी में उफान है
न है आसमाँ न है तू ज़मीं
तुझे ख़ुद पे कितना गुमान है
तेरी जाति क्या है बिसात क्या
तेरा ज़िस्म ख़ाक समान है
न क़ुसूर कोई 'तमाम' अब
न बची उमंग न जान है
मौलिक व अप्रकाशित
(आज़ी…
ContinuePosted on January 18, 2024 at 4:30am — 6 Comments
2122 1212 22
फ़स्ल-ए-गुल है समाँ है मस्ताना
आज फिर दिल हुआ है दीवाना
यूँ तो हर आँख में नशा लेकिन
उनकी आँखों में पूरा मयखाना
जबसे आये हैं उनको महफ़िल में
भूल बैठे…
ContinuePosted on December 11, 2022 at 9:30pm — 2 Comments
12112 12112
सुरूर है या शबाब है ये
के जो भी है ला जवाब है ये
फ़क़ीर की है या पीर की है
के चश्म जो आब-ओ-ताब है ये
कज़ा है अगर सरक गया तो
जो चेहरे पे नकाब है ये
अजीब है सफ़ह-ए-ज़िंदगी भी
न पूछो की क्या जनाब है ये
कभी है ख़ुशी तो है कभी ग़म
बस एक ऐसी किताब है ये
हैं अश्क से आज चश्म जो नम
महब्बतों का हिसाब है ये
न जाने कोई है माज़रा क्या
की…
ContinuePosted on May 22, 2022 at 8:00am — 10 Comments
आ. भाई आज़ी तमाम जी, सादर अभिवादन । मेरी गजलें आपको अच्छी लगीं यह हर्ष का विषय है । आपके इस स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद।
मंच पर अपनी रचनाओं का आनन्द लेने का अवसर प्रदान करें और अन्य रचनाकारों का भी अपनी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन करते रहिए ।
जनाब आज़ी साहिब,तरही मुशाइर: में शामिल सभी ग़ज़लों पर लाइव ही तफ़सील से गुफ़्तगू होती है, शिर्कत फ़रमाएँ, और कोई उलझन हो तो मुझसे 09753845522 पर बात कर सकते हैं ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |