मफ़ऊल फ़ाइलातुन मफ़ऊल फ़ाइलातुन
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आख़िर ये इश्क़ क्या है जादू है या नशा है
जिसको भी हो गया है पागल बना दिया है
oo
हाथो में तेरे हमदम जादू नहीं तो क्या है
मिट्टी को तू ने छूकर सोना बना दिया है
oo
उस दिन से जाने कितनी नज़रें लगी हैं मुझपर
जिस दिन से तूने मुझको अपना बना लिया है
oo
खिलता हुआ ये चेहरा यूँ ही रहे सलामत
तू ख़ुश रहे हमेशा मेरी यही…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on April 4, 2019 at 9:13am — 6 Comments
221 2121 1221 212
फरियाद कोई उनसे सुनाई नहीं जाती ।
आंखों से मगर ,बात छुपाई नहीं जाती ।
मैं जानता हूं ,तू मेरे हक में नहीं है पर
दिल से तेरी तस्वीर मिटाई नहीं जाती ।
जो बात जला देती है दिल को मेरे अक्सर
वो बात किसी से भी बताई नहीं जाती।
तुझपे न असर होगा किसी बात का मेरी
फिर भी मेरे होठों से दुहाई नहीं जाती ।
बारिश में बिखर जाते हैं जिनके सभी खुश रंग
तस्वीर वो अश्कों से सजाई नहीं…
Added by मनोज अहसास on April 3, 2019 at 5:06pm — 3 Comments
ग़ज़ल
मिलन की रात का लम्हा छुपा है
नज़र में बस तेरा चेहरा छुपा है
दुआ लेकर निकलना रोज़ घर से
यहाँ हर मोड़ पर ख़तरा छुपा है
लबों पर प्यास लेकर फिरने वाले
तेरे अंदर भी इक दरिया छुपा है
महकती है हमेशा ज़ीस्त यूँ भी
कि सांसों में तेरा गजरा छुपा है
सनम मत जा अभी ख़्वाबों से मेरे
अभी तो चाँद भी आधा छुपा है
'अहद' लिखना न होगा बंद मेरा
अभी दिल में बहुत लावा छुपा है !
मौलिक और…
ContinueAdded by AMIT on April 3, 2019 at 2:06pm — 7 Comments
तिनका तिनका जोड़ बनाया एक घरौंदा
दरवाजे पर आँधी आके ठहर गई
बर्बादी की धीमे-धीमे
आहट पाकर
स्वप्नकपोतों की
आँखों में भय के साये
सहमे सहमे भीरु
कातर बुनकर देखो
कोने में जा बैठे
दुबके सकुचाये
…
ContinueAdded by rajesh kumari on April 3, 2019 at 12:00pm — 7 Comments
दिखलाते हैं जो सदा, व्हाट्सएप पर ओज।
गुडमार्निंग गुडनाइट जो, करें नियम से रोज।।
करें नियम से रोज, किंतु जब सम्मुख मिलते।
तब फिर इनके होंठ, नहीं रत्तीभर हिलते।।
आगे बढ़कर हाथ, नहीं यह कभी मिलाते।
वटसिपिया व्यवहार, नैट पर ये दिखलाते।।
(मौलिक व अप्रकाशित)
**हरिओम श्रीवास्तव**
Added by Hariom Shrivastava on April 3, 2019 at 11:06am — 2 Comments
122 122 122 122
वो मक़तल में कैसी फ़ज़ा माँगते हैं ।।
जो क़ातिल से उसकी अदा माँगते हैं ।।
जुनूने शलभ की हिमाकत तो देखो ।
चरागों से अपनी क़ज़ा माँगते हैं।।
उन्हें भी मिला रब सुना कुफ्र में है ।
जो अक्सर खुदा से जफ़ा माँगते हैं ।।
असर हो रहा क्या जमाने का उन पर ।
वो क्यूँ बारहा आईना माँगते हैं ।।
अजब कसमकश है मैं किससे कहूँ अब ।
यहां बेवफ़ा ही वफ़ा माँगते हैं…
Added by Naveen Mani Tripathi on April 2, 2019 at 6:42pm — 8 Comments
नारी तो केवल है नारी है
नर भी तो केवल है नर
दोनोँ के विचार अलग हैं
दोनोँ के किरदार अलग
ना इसका कुछ हिस्सा ज्यादा
ना ही उसका है कुछ कम
कभी…
ContinueAdded by प्रदीप देवीशरण भट्ट on April 2, 2019 at 6:30pm — 4 Comments
"अरे पागल हो गए हो क्या, उस ऑटो को क्यों जाने दिया. इतना टेंशन हैं चारोतरफ और हम लोग यहाँ फंसे हुए हैं जहाँ तीन दिन पहले ही दंगे हुए थे", राजेश एकदम बौखला गया.
"चिंता मत करो, अब स्थिति कुछ ठीक हैं, दूसरा आ जायेगा", उसने इत्मीनान से कहा और सामने सड़क पर देखने लगा.
तभी एक दूसरा ऑटो आता दिखाई पड़ा, ऑटो ड्राइवर को देखकर ही राजेश को समझ आ गया कि यह गैर मज़हबी है और वह थोड़ा पीछे हो गया.
"आ जाओ, चलना नहीं हैं क्या", कहते हुए वह राजेश का हाथ खींचते हुए ऑटो में बैठ गया.
कुछ समय बाद…
Added by विनय कुमार on April 2, 2019 at 5:36pm — 10 Comments
ओ बी ओ को 9वीं सालगिरह की सौगात
ग़ज़ल (फाइलुन _फाइलुन _फाइलुन _फाइलुन /फाइलात)
मेरा दिल दे रहा है दुआ ओ बी ओ l
तू फले फूले यूँ ही सदा ओ बी ओ l
कोई सीखे कथा, छंद या शायरी
इन सभी का है तू रहनुमा ओ बी ओ l
भाई सौरभ हों राना या मिथलेश हों
इनके दम से तू आगे बढ़ा ओ बी ओ l
सीखने का दिया मंच तूने हमें
क्यूँ न तेरा करूँ शुक्रिया ओ बी ओ l
आज ख़ुश हैं बहुत यूँ नहीं योगराज
गोद में इनकी फूला फला ओ बी…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on April 2, 2019 at 12:01pm — 10 Comments
ओबीओ को समर्पित एक क़त'आ
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जब से तेरी मेहरबानी हो गई
ख़ूबसूरत ज़िन्दगानी हो गई
हम हुए तेरे दिवाने इस तरह
जिस तरह 'मीरा' दिवानी हो गई
...........
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
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जिंदगी को गुनगुना कर चल दिए
मौत को अपना बना कर चल दिए
oo
उम्र भर की दोस्ती जाती रही
आप ये क्या गुल खिलाकर चल…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on April 2, 2019 at 10:00am — 6 Comments
मतदाता को फाँसने, डाल रहे हैं जाल।
नेता आपस में सभी, कीचड़ रहे उछाल।।
कीचड़ रहे उछाल, मची है ता ता थैया।
नागनाथ हैं एक, दूसरे साँप नथैया।।
हर नेता ही रोज, निराले ख्वाब दिखाता।
सारे नटवरलाल, करे अब क्या मतदाता।।
(मौलिक व अप्रकाशित)
**हरिओम श्रीवास्तव**
Added by Hariom Shrivastava on April 1, 2019 at 11:31pm — 8 Comments
मौज ख़ुद आपको साहिल पे लगाने से रही
और क़ुदरत भी कोई जादू दिखाने से रही
***
हौसला आपका दे साथ करम हो रब का
फिर किसी सिम्त बला कोई सताने से रही
***
हो सके जितना हक़ीक़त ये समझ लो सारे
मौत मर्ज़ी से कभी आपकी आने से रही
***
इम्तिहाँ रोज़ ही देने हैं यहाँ जीने को
रोने धोने से तरस ज़िंदगी खाने से रही
***
हो…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 1, 2019 at 11:00pm — 4 Comments
ग़ज़ल (यही ज़माने को खल रहा है )
(मफा इलातुन _मफा इलातुन)
यही ज़माने को खल रहा हैl
वो मेरे हम राह चल रहा है l
वो हैं मुखातिब तो मुझसे लेकिन
कलेजा यारों का जल रहा है l
नज़र में है सिर्फ उसके मंज़िल
जो गिरते गिरते संभल रहा है l
रखें निगाहों पे कैसे काबू
वो सामने से निकल रहा है l
बदल के शीशा है फायदा क्या
तेरा भी अब हुस्न ढल रहा है l
खयाल में आ रहा है दिलबर
न यूँ…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on April 1, 2019 at 8:25pm — 4 Comments
तुझे इस वर्ष नौवें की ओ बी ओ बधाई है,
हमारे दिल में चाहत बस तेरी ही रहती छाई है।
मिला इक मंच तुझ जैसा हमें अभिमान है इसका,
हमारी इस जहाँ में ओ बी ओ से ही बड़ाई है।
सभी इक दूसरे से सीखते हैं और सिखाते हैं,
हमारी एकता की ओ बी ओ ही बस इकाई है।
सभी झूमें, सभी गायें यहाँ ओ बी ओ में मिल के,
सभी हम भक्त तेरे हैं तू ही प्यारा कन्हाई है।
लगा जो मर्ज लिखने का, दिखाते ओ बी ओ को ही,
उसी के पास इसकी क्यों कि इकलौती दवाई…
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on April 1, 2019 at 12:00pm — 6 Comments
है उजागर ये हक़ीक़त ओ बी ओ
मुझको है तुझसे महब्बत ओ बी ओ
तेरे आयोजन सभी हैं बेमिसाल
तू अदब की एक जन्नत ओ बी ओ
कहते हैं अक्सर ,ये भाई योगराज
तू है इक छोटा सा भारत ओ बी ओ
सीखने वाले यही कहते सदा…
ContinueAdded by Samar kabeer on April 1, 2019 at 11:00am — 40 Comments
डियर संस्कार,
चौंक तो गये होगे! मोबाइल एप्स से, सोशल मीडिया पर या ऑनलाइन अपनी बात कहने के बजाय इस ख़त से ही अपने अंजाम से वाक़िफ़ करा रहा हूं तुम्हें। आख़िर तुमने ही तो सुसाइड के लिए मज़बूर कर दिया! ख़ूब घमंड था मुझे अपनी ऑनलाइन पढ़ाई पर! माडर्न अपडेटिड छात्र समझने लगा था मैं अपने आपको। स्कूल की पढ़ाई, ट्यूशनों की पढ़ाई और फिर सोशल मीडिया, मोबाइल गेम, आधुनिक दोस्त-यारी, फ़ोटो-वीडियोग्राफ़ी इन सब में मशगूल रहते हुए ऑनलाइन अपने हसीन करियर की हसीन रणनीति बनाया करता था मैं! रात भर…
ContinueAdded by Sheikh Shahzad Usmani on March 31, 2019 at 11:00am — 4 Comments
भीड भरे रस्ते पे एक दिन, बरसोँ पुराना दोस्त मिला । चेहरे से मुस्कान थी गायब, स्वर भी कुछ रुखा सा मिला । ।
मैंने पूछा कैसे हो तुम, वो बोला कुछ ठीक नहीं । मैंने पूछा और हाल-ए-इश्क, सोच के बोला ली भीख नही । ।
उसके इस उत्तर से अचम्भित, ठिठक गया मैं चलते-चलते । फिर काँधे पे हाथ रख पूछा, किसी से नहीं क्या मिलते-जुलते… |
Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on March 30, 2019 at 7:00pm — 6 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on March 29, 2019 at 10:04pm — No Comments
हम तो कहीँ और नहीँ गये हैं बच्चोँ,
अभी भी मौज़ूद हैं ह्म तुम्हारे अंदर ।
ज़ुल्म को देखकर भी चुपचाप कैसे बैठे हो,
क्या धधकता नहीं है ज्वाला तुम्हरे अंदर । ।
हर इक शय में सियासत भरी हुई है…
ContinueAdded by प्रदीप देवीशरण भट्ट on March 29, 2019 at 3:00pm — 1 Comment
1-
अर्थ धर्म या काम मोक्ष में, अर्थ प्रथम है आता।
फिर भी पैसा मैल हाथ का,क्योंकर है कहलाता।।
सब कुछ भले न हो यह पैसा, पर कुछ तो है ऐसा।
जिस कारण जीवनभर मानव,करता पैसा-पैसा।।
2-
बिना अर्थ सब व्यर्थ जगत में,क्या होता बिन पैसा।
निर्धन से वर्ताव यहाँ पर, होता कैसा-कैसा।।
धनाभाव ने हरिश्चंद्र को,समय दिखाया कैसा।
बेटे के ही क्रिया-कर्म को, पास नहीं था पैसा।।
3-
इसी धरा पर पग-पग दिखती,पैसे की ही माया।
पैसा-पैसा करते भटके, पंचतत्व की…
Added by Hariom Shrivastava on March 29, 2019 at 12:21pm — 2 Comments
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