For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दरवाज़े पर आँधी आके ठहर गई (नवगीत )

 
तिनका तिनका जोड़ बनाया एक घरौंदा 
दरवाजे पर आँधी आके ठहर गई

 

बर्बादी की धीमे-धीमे
आहट पाकर 
स्वप्नकपोतों की
आँखों में भय के साये 
सहमे सहमे भीरु 
कातर बुनकर देखो 
कोने में जा बैठे 
दुबके सकुचाये 

 

क्रूर काल के पंजों से
बचने की ख़ातिर 
ग्रीवा मोड़े 
कुछ पंखों में सिमट गये 

सुनकर नींव की
सिसकी 
सिहर सिहर कर मन में 
कुछ पलकों की
दीवारों पर चिपट गये

 

भूख प्यास में 
कितनी भोर दुपहर गई 
दरवाज़े पर आँधी आके ठहर गई

 

उम्मीदों के गमलों 
के कमसिन पौधों को 
पतझड़ के
बुलडोजर आकर पीस गये 
उधड़ी बखिया 
खेतों की मेडो की जैसे 
माटी के वो घाव
पुराने टीस गये

 

खुशियों की नन्हीं 
प्यारी सी 
भोली मुनिया 
साँसे लेती ज़ल्दी ज़ल्दी

हांफ रही 
देख मुखौटों के पीछे
आतंकी चेहरे 
मूक खड़ी है़ भीतर
भीतर कांप रही 

 

किश्ती के सपनों को
लील लहर गई 
दरवाज़े पर आँधी आके ठहर गई \

 

 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

Views: 554

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on July 17, 2019 at 7:41pm

" खुशियों की नन्हीं 
प्यारी सी 
भोली मुनिया 
साँसे लेती ज़ल्दी ज़ल्दी

हांफ रही 
देख मुखौटों के पीछे
आतंकी चेहरे 
मूक खड़ी है़ भीतर
भीतर कांप रही "

बच्चियों के ऊपर इंसानी भेड़ियों के आतंक का भयावय और मार्मिक दृश्य बहुत थोड़े से शब्दों में : वाह ! वाह !! बहुत खूब !!!! 
एक सार्थक नवगीत के सुन्दर सृजन के लिए बधाई स्वीकारें आदरणीया  rajesh kumari जी | 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 12, 2019 at 11:06am

आद० समर कबीर भाई जी आपकी प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हो गया नवगीत पसंद करने पर बहुत बहुत आभार आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 12, 2019 at 11:05am

आद० सुशील सरना जी आपको नवगीत पसंद आया मेरा लेखन सार्थक हो गया बहुत बहुत आभारी हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 12, 2019 at 11:04am

आद० बृजेश कुमार जी आपको नवगीत पसंद आया दिल से आभार आपका 

Comment by Samar kabeer on April 7, 2019 at 5:53pm

बहना राजेश कुमारी जी आदाब,अच्छा नवगीत लिखा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sushil Sarna on April 5, 2019 at 2:48pm

किश्ती के सपनों को
लील लहर गई
दरवाज़े पर आँधी आके ठहर गई \

आदरणीया राजेश कुमारी जी आपने बहुत ही गहन भावों को समाहित करते हुए सुंदर और प्रवाहमयी नव गीत का सृजन किया है। हार्दिक बधाई।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 4, 2019 at 11:32am
वाह आदरणीया क्या सुन्दर सरस गीत हुआ..भावों से ओतप्रोत..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"एक ग़ज़ल २२   २२   २२   २२   २२   …"
24 minutes ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
12 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service