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मौज ख़ुद आपको साहिल पे लगाने से रही (४१)


मौज ख़ुद आपको साहिल पे लगाने से रही 
और क़ुदरत भी कोई जादू दिखाने से रही 
***
हौसला आपका दे साथ करम हो रब का 
फिर किसी सिम्त बला कोई सताने से रही 
***
हो सके जितना हक़ीक़त ये समझ लो सारे 
मौत मर्ज़ी से कभी आपकी आने से रही 
***
इम्तिहाँ रोज़ ही देने हैं यहाँ जीने को 
रोने धोने से तरस ज़िंदगी खाने से रही 
***
हो अगर कोई तसव्वुर में तभी ख़्वाब सजे 
कोई मूरत तो कभी ख़्वाब सजाने से रही 
***
होशियारी भी ज़रूरी है सदा जीवन में 
गर पड़ी कोई भी खू जल्द वो जाने से रही 
***
हर ख़ुशी क़ीमती है ज़श्न मना लो वरना
लौट कर कोई ख़ुशी फिर से तो आने से रही 
***
जीत सकते हैं हर इक दिल को मुहब्बत से सदा 
यार नफ़रत तो किसी घर को बसाने से रही 
***
क्या करेगा वो तरक्की जहाँ में शख़्स 'तुरंत' 
सिर्फ जिसको है शिकायत ही ज़माने से रही 
***
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

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Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 5, 2019 at 12:37am

आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज'  साहेब 

खाकसार का कलाम पसन्द करने और हौसला आफजाई का बेहद शुक्रिया 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 4, 2019 at 11:22am

बढ़िया ग़ज़ल कही है आदरणीय..बधाई

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 3, 2019 at 1:13pm

आदरणीय Samar kabeer साहेब | 

तह-ए-दिल  से  शुक्रिया  क़बूल  करें  . ज़र्रा -नवाज़ी  है  आपकी  |

Comment by Samar kabeer on April 3, 2019 at 12:03pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

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