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SALIM RAZA REWA
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Nov 8
SALIM RAZA REWA commented on SALIM RAZA REWA's blog post निछावर जिसपे मैंने ज़िंदगी की- ग़ज़ल
" आपकी  महब्बत का बेहद शुक्रगुज़ार हूँ, मोहतरम लक्ष्मण धामी साहब,"
Nov 7
SALIM RAZA REWA commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सब से हसीन ख्वाब का मंजर सँभालकर - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"भाई लक्ष्मण धामी जी, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़बूल करें, आप इस मंच में बहुत पुराने क़लमकार है , नुक़्ते का हमेशा ख़्याल रखा करें, ग़ज़ल अच्छी है कुछ मशविरे हैं अगर पसंद आए . ,,,,,,,
सब से हसीन (ख़्वाब )का (मंज़र) सँभालकर
 नयनों में उस के प्यार…"
Nov 7
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on SALIM RAZA REWA's blog post निछावर जिसपे मैंने ज़िंदगी की- ग़ज़ल
"आ. भाई सलीम जी, अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
DR ARUN KUMAR SHASTRI commented on SALIM RAZA REWA's photo
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SALIM RAZA

"वाह क्या पर्सनैलिटी है जनाब वाह बहुत खूब - मैंने आपको फ्रेंड req भेजी है कृपया कुबूल कीजिए गजल सीखने के लिए  यदि इजाजत मिले तो शुक्र गुजार  हो ऊ गा साहिब "
Oct 30
SALIM RAZA REWA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"जनाब बहुत शुक्रिया अपनी अपनी सोच है, समझने के बाद शायद अच्छी लगे  - "
Oct 28
SALIM RAZA REWA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
" अरुण जी, अपने  अपना ख़्याल लिखा है , ग़ज़ल क्या है इसके लिए आसान तरीक़ा है, आप अपने शहर के कोई उस्ताद शायर , से मिलें और ग़ज़ल के बारे में सीखें।  ग़ज़ल क्या है , ग़ज़ल शेरों से बनती हैं। हर शेर में दो पंक्तियां होती हैं। शेर की हर…"
Oct 28
SALIM RAZA REWA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"शुक्रिया  जनाब , प्रयास तक पहुँचने के लिए ।"
Oct 28
SALIM RAZA REWA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"रचना जी अदाब , आप कह रही हैं कि अगर मुफ़्लिश के घर ख़ुशी भेज दे तो मैं तेरा शुक्रिया करूँ, ग़ौर करने की बात की किस मुफ़लिश की आप बात कर रही हैं ,  अगर सारी दुनिया की ग़रीबों की बात कर रही है तो वो बात ज़ाहिर नहीं हो रही है ,  निर्मल…"
Oct 28
SALIM RAZA REWA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"रचना भाटिया जी अदाब , बेहितरीन ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़बूल करें,,, आदरणीय अमित जी के देखने के बाद कुछ भी देखना बचता नहीं , पर जो मेरा ख़्याल है मैं रख रहा हूँ , पसंद आए तो रखिएगा फ़ैसला आपका है  । ख़ुशी भेज दे ज़िन्दगी (भेज…"
Oct 28
SALIM RAZA REWA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"जनाब मनजीत कौर साहब ग़ज़ल पर नज़रे मुहब्बत के लिए आप का शुक्रगुज़ार हूँ ,"
Oct 28
SALIM RAZA REWA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
" रचना भाटिया जी , ग़ज़ल तक आने के लिए बेहद शुक्रगुज़ार हूँ, मतला बार बार पड़ेंगे तो ज़रूर समझ आएगा, और खूबसूरत लगेगा , लबों पर मेरे फिर हँसी भेज दे मेरे यार की है कमी भेज दे किसी के पास  न रहने के बाद उसकी कमी का एहसास होता है , बस मतले…"
Oct 28
SALIM RAZA REWA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"नवाज़िश 💕"
Oct 28
SALIM RAZA REWA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"नहीं को/ई बख़्शिश /क सामाँ/ ख़ुदा 122 /122/122/ 12"
Oct 28
SALIM RAZA REWA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
" जनाब आपकी  नज़रे इनायत के लिए बेहद मम्नून हूँ, इसे ये पढ़ें  नहीं को/ई बख़्शिश /क सामाँ/ ख़ुदा 122 /122/122/ 12"
Oct 28
SALIM RAZA REWA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"आपकी पुरख़ुलूस महब्बत का बहुत बहुत शुक्रिया अमित जी , टाइपिंग मिस्टेक सुधार ली जाएगी , नहीं को/ई बख़्शिश /क सामाँ/ ख़ुदा 122 /122/122/ 12"
Oct 28

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Gender
Male
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REWA M.P.
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निछावर जिसपे मैंने ज़िंदगी की- ग़ज़ल

मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन फ़ऊलुन

1222 1222 122

हज़ज मुसद्दस महजूफ़

———————————

निछावर जिसपे मैंने ज़िंदगी की,

उसे पर्वा नहीं मेरी ख़ुशी की

*

समझता ही नहीं जो दर्द मेरा,

निगाहों ने उसी की बंदगी की

*

वही इक शख़्स जो कुछ भी नहीं है,

हर इक मुश्किल में उसने रहबरी की

*

उसी का रंग है मेरे सुख़न में,

उसी से आबरू है शायरी की

*

उजाले गिर पड़े क़दमों पे आकर,

अंधेरों से जो मैंने दोस्ती की

*

अदीबों में है मेरा नाम…

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Posted on October 25, 2023 at 6:00am — 4 Comments

ऐ मेरे दोस्त मोहब्बत को बचाए रखना   - सलीम 'रज़ा' रीवा

ऐ मेरे दोस्त मोहब्बत को बचाए रखना  

दिल में ईमान की शम्अ' को जलाए  रखना

-  

इस नए साल में खुशियों का चमन खिल जाए

सबको मनचाही  मुरादों का सिला मिल जाए

इस नए साल में खुशियों की हो बारिश घर घर

इस नए साल को ख़ुश रंग बनाए रखना

-

जान पुरखों ने लुटाई है वतन की ख़ातिर

गोलियाँ सीने में खाई है वतन की ख़ातिर

सारे धर्मों से ही ताक़त  है वतन  की मेरे

सारे धर्मों की मोहब्बत को बनाए रखना

-  

ज़ात के नाम पे दंगों को…

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Posted on December 24, 2019 at 7:00pm — 2 Comments

रुख़ से जो मेरे यार ने पर्दा हटा दिया  - सलीम रज़ा

221 2121 1 221 212  

रुख़ से जो मेरे यार ने पर्दा हटा दिया   

महफ़िल में हुस्न वालों को पागल बना दिया

उसकी  हर एक अदा पे तो क़ुर्बान जाइए        

मौसम को जिसने छू के नशीला बना…

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Posted on December 11, 2019 at 10:16pm

चाहे  दुनिया में कहीं और चले जाएंगे  - सलीम रज़ा

2122 1122 1122 22

चाहे  दुनिया में कहीं और चले जाएंगे            

चाह कर भी वो मुझे भूल नहीं पाएंगें             

 

उनके एल्बम में है तस्वीर पुरानी मेरी        

अब वो देखेंगे तो पहचान नहीं पाएंगे…

Continue

Posted on December 11, 2019 at 10:00pm

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"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

उस मुसाफिर के पाँव मत बाँधो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२१२२/१२१२/२२ * सूनी आँखों  की  रोशनी बन जा ईद आयी सी फिर खुशी बन जा।१। * अब भी प्यासा हूँ इक…See More
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"क्या नैपथ्य या अनकहे से कथा स्पष्ट नहीं हो सकी?"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"जी, शुक्रिया मार्गदर्शन हेतु।"
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मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"आप द्वारा सुझाये गये दोनो शीर्षक लघुकथा का प्रतिनिधित्व नही कर पा रहे हैं । वास्तव में इस लघुकथा का…"
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"भाई इसमें कथा कहाँ है ?"
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