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कटाक्ष...

जन्म सिद्ध अधिकार बनाम....स्वतंत्रता????
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१४ और  १५ अगस्त की आधी रात को दो देशों को फिरंगियों से आज़ादी नसीब हुई.
आखिर आज़ादी दिन के उजाले में नहीं मिली ...मिली तो रात की कालिमा के साये में सो वो कालिमा 
स्वतंत्रता के  इस अधिकार को ऐसा डस रही है कि बस !!! 
पाक कि आज़ादी बोले तो वो कभी अपनी कट्टर-पंथी छवि से मुक्त ही कहाँ हुआ है जो इत्मिनान से आज़ादी के बेर चखे..
ऊपर  से…
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Added by AVINASH S BAGDE on August 16, 2012 at 9:59am — 10 Comments

दामिनी (मनहरण घनाक्षरी)

नैनों तेरी छवि बसी, मन तेरे गुण गाए,

फिर काहे तू दामिनी, रूठ मुझे सताए |

पल भर तेरी दूरी, दे मुझको तड़पाए,

ठंढी-ठंढी आहें भरूँ, कहीं जिया न जाए |

बिन तेरे ऐसे लगे, फूल भी शूल…

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Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 15, 2012 at 10:44pm — 2 Comments

राज़ नवादवी: मेरी डायरी के पन्ने- ३४

प्यार की इक खोई नज़र आज फिर लौट आयी, झुकी आँखों का दबा दबा भंवर आज फिर याद हो आया. ज़मीन पे बिछे तोशक पे, दीवार से लगके बैठे, कँवल सी फ़ैली हथेलियों में अपनी ठोढ़ी संभाल के, अपनी लरज़ती ज़ुल्फों के काकुल के झरोखे से ज़मीन को ताकते हुए तुम किसे सोचती थीं? मैं जानता हूँ, वो मैं ही था और और थीं तो हमारे बेसाख्ता पैदा हुए प्यार के गैरमुऐयन मुस्तकबिल (अनिश्चित भविष्य) की तश्वीशात (चिंताएं)! फिक्रमंद, अपनी सतर उँगलियों से मिट्टी पे जो अबूझ से नक्श तुमने उकेरे थे, ...इक शाम मेरे साथ, आज वो ख़्वाबों…

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Added by राज़ नवादवी on August 15, 2012 at 9:12pm — 5 Comments

सुनते हैं, आज़ादी से तो, बहतर रही गुलामी |

सुनते हैं, आज़ादी से तो, बहतर रही  गुलामी |
आज़ादी के बाद हुई है, दुनिया में बदनामी ||
महंगाई को रोक न पाये, जज़िये बड़ा दिये |  
मजहब का हवाला देकर, भाई लड़ा दिये ||
बेशर्मीं से, घोटालों के, हक में भरते हामी |
सुनते हैं, आज़ादी से तो, बहतर रही गुलामी ||
कहने को तो लोक-तंत्र है, लोग नहीं हैं राज़ी |
नेता, चोर, लुटेरे, डाकू, देखो बन गये क़ाज़ी ||
बे-शुमार दौलत इक्कठी, कर ली है बेनामी…
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Added by Shashi Mehra on August 15, 2012 at 4:46pm — 6 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
एक तस्वीर (कुछ हाइकू )

१.

एक तस्वीर.
पुष्प छिपे कंटक.
कसी जंजीर.
२.
नित्य विकास.
प्रकृति उपेक्षित.
नित्य विनाश.
३.
बाल श्रमिक.
कैद में बचपन.
निष्ठुर गिद्ध.
४.
जनता त्रस्त.
आन्दोलन की गूँज.
नेता अभ्यस्त.
५.
तमस तले.
वो बीपीएल गाँव.
चिराग जले.
६.
पैना…
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Added by Dr.Prachi Singh on August 15, 2012 at 4:08pm — 13 Comments

आखिर हम चाहते क्या है?

2012 में 15 अगस्त को भारतवासी अपनी आजादी के 66वें वर्ष में प्रवेश का जश्न मना रहे है, वही साथ ही उनके मन में यह प्रश्न भी कौंध रहा है कि इस प्रकार आधी-अधूरी आजादी के क्या मतलब। जबकि सच यह है कि आजादी आधी-अधूरी नहीं, बल्कि पूरी है। लेकिन जब मानसिकता ही गुलामी वाली हो तो कोई क्या कर सकता है। गुलामों को अगर शारीरिक तौर पर आजाद भी कर दिया जाए, तो भी वह जी-हुजूरी में इतने मग्न होते है कि उनको समझाना ही असंभव है कि वह आजाद हो गए है। अगर हम पूरी तरह से आजाद न होते तो क्या दिल्ली में लाखों लोग…

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Added by Harish Bhatt on August 15, 2012 at 2:30pm — 4 Comments

ज़रा याद करो कुर्बानी

आज़ादी बेमोल नहीं मिलती
नायाब कीमत अदा  करनी पड़ती है
 
सुहागिनों का सिंदूर
बहनों के प्रेम सूत्र
अबोध काया का साया
पिता का दुलार
ममतामयी माँ का
आँचल बिसरा
 
निकल पड़ते…
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Added by rajni chhabra on August 15, 2012 at 12:30pm — 3 Comments

गीत

दोस्तों आज़ादी की इस पवित्र वेला में मै आज वहुत दिनों के बाद अपनी उपस्थिति दर्ज करवा  रहा हूँ । और क्यों की आज हम आज़ादी के 65 वर्ष पूरे करके 66 वर्ष में प्रवेश कर रहे है । मै इस झंझट में विल्कुल नहीं पडूंगा की हमने क्या खोया क्या पाया। मै तो एक दृश्य और उस पर लिखे अपने एक गीत को आप के साथ बाँटना चाहता हूँ।…

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Added by Mukesh Kumar Saxena on August 15, 2012 at 11:30am — 3 Comments

भारत प्यारा वतन हमारा सबसे सुन्दर न्यारा देश

भारत प्यारा वतन हमारा सबसे सुन्दर न्यारा देश

इतनी भाषा जाति धर्म सब भाई-भाई हम सब एक
भरे उमंगें भरे ऊर्जा लिए तिरंगा हम सब दौड़ें
स्वस्थ बड़ी प्रतियोगिता हमारी एक-एक हम नभ को छू लें
.
ऐसा प्यार कहाँ जग में है पत्थर गढ़ते देव सा…
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Added by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 15, 2012 at 11:30am — 9 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
मतिमूढ़.. .

 

आज लगते ही तू लगता है चीखने

"आ ज़ाऽऽऽ दीऽऽऽऽऽऽऽऽ...."

घोंचू कहीं का.

मुट्ठियाँ भींच

भावावेष के अतिरेक में

चीखना कोई तुझसे सीखे .. मतिमूढ़ !

 …

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Added by Saurabh Pandey on August 15, 2012 at 11:30am — 43 Comments

रंग बिरंगा देश

रंग बिरंगा देश है मेरा 

रंग बिरंगी शान है 

सारी दुनिया कहती है , सुनलो … 

भारत देश महान है !



रंग बिरंगे लोग यहाँ पर 

रंग बिरंगी संस्कृति 

विश्व नक़्शे पर है बनी 
सबसे सुन्दर सी आकृति 


लोग यहाँ रहते हैं मिलकर 

सबका साथ निभाते हैं 

ईद , होली हो या बैसाखी 

मिलकर जश्न मनाते हैं 



रंग बिरंगे मौसम…
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Added by Ranveer Pratap Singh on August 15, 2012 at 11:30am — 5 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
परम मित्र दिनेश रविकर के जन्म-दिन पर ......

" बधाई – कुण्डलिया "



ओ.बी.ओ.  के फलक पर ,  देखा  है संदेश

मना रहे हैं जन्म-दिन ,  गुप्ता चंद्र दिनेश

गुप्ता  चंद्र  दिनेश  ,  कहे जाते हैं रविकर…

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Added by अरुण कुमार निगम on August 15, 2012 at 10:19am — 4 Comments

उपकार को नमन

आता है हर साल मेरे राह में गुजर

शहिदों की यादें लिए त्यौहार को नमन

वो तो चले गये जो सदा रहेंगें अमर

उनके खूँ के गर्मी के उपकार को नमन

सम्हालना था जिन्हें इस देश की डगर

जाने कहाँ खो गये उनका भी हो नमन

लूटने…

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Added by UMASHANKER MISHRA on August 15, 2012 at 1:20am — 6 Comments

वतन पर नाज़

है मुझे अपने वतन पर बड़ा ही नाज़ 

 जहाँ हर कदम पर है एक नया साज़ 
कहीं खुशियाँ तो कहीं गम की आवाज़ 
कहीं उल्लास तो कहीं उदास 
कहीं मिठास तो कहीं खटास
कहीं कल की चिंता तो कहीं गीत गुनगुनाता आज 
कहीं उगता हुआ…
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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on August 14, 2012 at 11:57pm — 1 Comment

आवाज़ दो हम एक है

''

ओ बी ओ के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 

दिशा जागो तुमने आज कालेज जाना है न ''जागृति  ने अपनी प्यारी बेटी को सुबह सुबह जगाते हुए कहा |दिशा ने नींद में ही  आँखे मलते हुए कहा ,''हाँ माँ आज स्वतंत्रता दिवस है , हमे अपने कालेज के ध्वजारोहण समारोह में जाना है और इस राष्टीय पर्व को मनाने के लिए हमने बहुत बढ़िया कार्यक्रम  भी तैयार किया हुआ है ,''जल्दी से दिशा  ने अपना बिस्तर छोड़ा और कालेज जाने की तैयारी में जुट गई| दिशा को कालेज भेज कर जागृति…

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Added by Rekha Joshi on August 14, 2012 at 11:00pm — 2 Comments

कवि तेरे भी

कवि तेरे भी



कवि तेरे भी मन में

कोई तो विरहिणी

रहती है

श्‍वेत शीत पड़ी

किरण देह सी…

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Added by राजेश 'मृदु' on August 14, 2012 at 10:30pm — 6 Comments

सिमटते दायरे

सिमटते दायरे

मजहब और कौम के दायरे में

हम सिमट गए;

इन्सान की इंसानियत से

हम भटक गए.

जो गलियां-ओ-कूँचे रौशन थे

गुल्जरों से;

वो  इन्सान की दरिंदगी  से

वीरान हो गए.

जो कहते थे;

बहिश्त जमीं पे लायेंगे,

वो गैरों के टुकड़ों…

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Added by Veena Sethi on August 14, 2012 at 5:30pm — 3 Comments

"परमवीर चक्र"

"परमवीर चक्र"



लहूलुहान

मांस के लोथड़ों को

देखने वालों की

रूह कांप उठी

पत्नी माँ बाप

बच्चे पत्थर हो गए

उन पत्थरों को

पिघलाने…
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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on August 14, 2012 at 3:25pm — 4 Comments

भारत की पहचान यही धन धान यही अभिमान तिरंगा

==========मत्तगयन्द सवैया ============



भारत देश विशाल पुनीत यहाँ सबकी इक आन तिरंगा |

प्राण निछावर वीर करे इसकी खातिर यह शान तिरंगा |

केसरिया प्रिय श्वेत हरा अरु चक्र अशोक निशान तिरंगा |

भारत की पहचान…
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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on August 14, 2012 at 2:52pm — 1 Comment

कब तक

कब तक
करोड़ों ऑलंपिक तेय्यारी में लगे
करोड़ों वांटनें में लग जाएँगे
हम एक सो इकीस करोड़ मूर्ख
यूँ ही खुश हो जाएँगे
इस गरीब देश के लिए
यह नाज़ बहुत महंगा है
कब तक छह तगमों के लिए
हम इतना जश्न…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 14, 2012 at 2:39pm — 3 Comments

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