For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आता है हर साल मेरे राह में गुजर

शहिदों की यादें लिए त्यौहार को नमन

वो तो चले गये जो सदा रहेंगें अमर

उनके खूँ के गर्मी के उपकार को नमन

सम्हालना था जिन्हें इस देश की डगर

जाने कहाँ खो गये उनका भी हो नमन

लूटने वालों ने थामा है  अपना हाथ

निष्ठुर तमाशा देखती हर आँख को नमन

झंडे में पड़ा ये फहरने को था मगर

खींचते नेता के हाथों फंद को नमन

इंतज़ार कब पड़ेंगे इस देश में चरण

उस कृष्ण और राम के अवतार को नमन

सजदे में मेरे है हर गांव और शहर

देश की मिटटी के हर एक बुत को नमन

खींचते हैं आम यहाँ द्रोपदी के चीर

लाचार देश के सभी लाचार को नमन

कुर्बानियों की याद में आज़ाद ए वतन

बस एक दिन उत्साह फिर खल्लास को नमन

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामना

उमाशंकर मिश्रा

दुर्ग (छ.ग.)

Views: 478

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PHOOL SINGH on November 12, 2012 at 1:20pm

उमा शंकर जी प्रणाम.......

सुंदर अतिसुंदर भावपूर्ण गजल ......"सपरिवार सहित आपको शुभ दीपावली"

फूल सिंह

Comment by UMASHANKER MISHRA on August 15, 2012 at 9:00pm

आदरणीया रेखा जी आपने मेरी अंतरात्मा से निकली लाईन को कोड किया

आपके इस सटीक टिप्पणी के लिए आभार

Comment by UMASHANKER MISHRA on August 15, 2012 at 8:58pm

महिमा जी आपने जज्बातों को समझा

आपका आभार

Comment by Rekha Joshi on August 15, 2012 at 6:38pm

स्टीक व्यंग आदरणीय उमाशंकर जी ,बधाई 

Comment by Rekha Joshi on August 15, 2012 at 6:36pm

कुर्बानियों की याद में आज़ाद ए वतन

बस एक दिन उत्साह फिर खल्लास को नमन

Comment by MAHIMA SHREE on August 15, 2012 at 6:04pm

देश के हालात पर बढ़िया व्यंग ... सच्चाई तो यही है .. एक दिन बड़े बड़े वादे किये जाते है .. चिंता जताई जाती है .. और फिर  स्थिति वही की वही ...

बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
10 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
18 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
19 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service