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दोस्तों आज़ादी की इस पवित्र वेला में मै आज वहुत दिनों के बाद अपनी उपस्थिति दर्ज करवा  रहा हूँ । और क्यों की आज हम आज़ादी के 65 वर्ष पूरे करके 66 वर्ष में प्रवेश कर रहे है । मै इस झंझट में विल्कुल नहीं पडूंगा की हमने क्या खोया क्या पाया। मै तो एक दृश्य और उस पर लिखे अपने एक गीत को आप के साथ बाँटना चाहता हूँ।

इस गीत में तीन दृश्य है । प्रथम दृश्य में भारत पाक युद्ध की घोंष्णा हो चुकी है और सभी फौजी जो छुटटी पर है वापस बुला लिए जाते हैं और एक फौजी अपने घर से  कूंच कर रहा है वोह अपने गाँव की टुकड़ी में मिल जाता है और सब मिल कर गाते हुए मार्च कर रहे है और अपनी मंजिल की तरफ बड़ रहे है ।

 

दुसरे दृश्य में एक माँ अपने बेटे से बचन लेती है की वोह सिर्फ जीत कर ही वापस आये नहीं तो युद्ध भूमि में ही जान देदे ।  तीसरे दृश्य में एक पत्नी अपने पति  से  कहती है की वोह अपनी पायल के सारे घूंगरू निकाल कर फेंक देगी ताकि उसका पति आकर्षित  होकर वापस न आ जाए . अंत में वोह फौजी अपनी पत्नी को वचन कहता है वोह सर्वदा अपने देश के प्रति वफादार रहेगा। अब गीत प्रस्तुत है कृपया दृश्य को ध्यान में रख कर ही गीत को पड़ें। जय हिंद । जय भारत ।

 

जिस धरती पर जन्म लिया है ।

पल कर हुए जवान ।

आज उसी धरती की खातिर ,

कर दो जान कुर्बान ।

आज ली है कसम ,

हमने मेरे वतन ,

दुश्मनों को जहाँ से मिटाने की ।

याद दुनिया को सारी दिला देंगे हम ।

फिर सुभाष और भगत के जमाने की ।

आज ली है कसम।

 

माँ ,बहिन, भाई, पत्नी सभी छोड़ के ।

जा रहा हूँ मै  दुनिया से मुह मोड़ के ।

रोके अपने कदम किस्मे इतना है दम --2

दिल में ठानी है मंजिल को पाने की ।

आज ली है कसम।

 

जा रहे हो तो जाओ --2

याद रखना मगर 

दूध माँ का कभी तुम लजाना न ।--2

जान दे देना सरहद पे मर जाना तुम,

हार कर मुह मुझे तुम दिखाना न ।

सिर्फ मेरी  नहीं तुम् पे नज़रें टिकी ।

आज भारत के सर को उठाने की ।

आज ली है कसम।

मेरी पायल है बिन घुघरू की ।--2

मै  चूड़ी न खनकाउंगी ।--2

जो रूप बने पग की बेडी --2

उस रूप को आग लागाउंगी ।

मेरी पायल है बिन घुघरू की ।

वुजदिल  की बीबी न बनूँगी ,

दे दूंगी मै  जान ।

एक शहीद की बेवा कहलाने ,

में है मेरी शान ।

देश की आन न मिटने दूंगा 

दे दूंगा मै  जान ।

पहले देश की शान बनुगा ,

पीछे तेरी जान ।

आज ली हमने कसम ,

हमने मेरे वतन ,

दुश्मनों को जहाँ से मिटाने की ।

याद दुनिया को सारी दिला देंगे हम ।

फिर सुभाष और भगत के जमाने की ।

  

  

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Comment by UMASHANKER MISHRA on August 15, 2012 at 9:46pm

आदरणीय मुकेश कुमार जी आपके इस देश भक्ति से ओत प्रोत रचना ने आँखों में आसुओं के धार .....

आपकी रचना के समक्ष नत मस्तक हूँ

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 15, 2012 at 2:19pm
भाई मुकेशजी, आपके गीतों ने राजस्थान की वीरांगनाओं पद्मिनी,पन्ना धाय जैसी 
वीरांगनाओं  के शौर्य गाथाओं की याद दिला दी | आदरणीय मेघ राज मुकुल की "सैनाणी"
और श्याम नारारें पाण्डेय की महाराणा प्रताप पर लिखी रचना मेरे मन में घूम गयी |
बहुत सुन्दर और गहरे भांव हार्दिक बधाई |

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 15, 2012 at 1:22pm

बहुत सुन्दर भाव चित्रों को उकेरा है आपने अपने शब्दों में... मुकेश जी,

एक फौजी का पूरा परिवार उसको शक्ति देता है, ऐसे परिवार को सलाम..

इस सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई

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