For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आवाज़ दो हम एक है

''

ओ बी ओ के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 

दिशा जागो तुमने आज कालेज जाना है न ''जागृति  ने अपनी प्यारी बेटी को सुबह सुबह जगाते हुए कहा |दिशा ने नींद में ही  आँखे मलते हुए कहा ,''हाँ माँ आज स्वतंत्रता दिवस है , हमे अपने कालेज के ध्वजारोहण समारोह में जाना है और इस राष्टीय पर्व को मनाने के लिए हमने बहुत बढ़िया कार्यक्रम  भी तैयार किया हुआ है ,''जल्दी से दिशा  ने अपना बिस्तर छोड़ा और कालेज जाने की तैयारी में जुट गई| दिशा को कालेज भेज कर जागृति भी अपने गृहकार्य में व्यस्त हो गई | जब तक जागृति ने अपना कार्य निपटाया, दिशा घर आ गई ,उत्साह और जोश से भरी हुई दिशा ने आते ही माँ को अपनी बाहों भर लिया ,''वाह माँ आज तो मजा ही आ गया ,देश भक्ति के जोशीले गीतों ने क्या समां बाँध दिया , माँ क्या अनुभूति हो रही थी उस समय ,जब कालेज के सभी विधार्थियों से खचाखच भरा हुआ पूरा का पूरा हाल राष्ट्र प्रेम से ओत प्रोत था, हमारे प्रिंसिपल ,सब टीचर और सारे विधार्थी एक ही सुर में गा रहे थे ,''आवाज़ दो हम एक है ,हम एक है ,''ऐसा लग रहा था मानो पूरा हिंदुस्तान एक ही सुर में गा रहा हो ,हम एक है ,हम एक है और माँ वह नाटक ,जो मैने और मेरी सहेलियों ने मिल कर तैयार किया था ,''आजादी के मतवाले ''एकदम हिट रहा ,क्या एक्टिंग की थी हम सबने, स्वतन्त्रता संग्राम की पहली लड़ाई में ,वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ने कैसे अपने छोटे से बच्चे को पीठ पर बाँध कर अंग्रेजों के छक्के छुड़ा  दिए थे  ,क्या जोशीले संवाद थे सुभाषचन्द्र बोस के ,''तुम मुझे खून दो मै तुम्हे  आज़ादी दूंगा ,''आज़ादी के दीवाने भगत सिंह ,सुखदेव और राजगुरु ने हँसते हँसते फांसी को गले लगा लिया था |दिशा का देश प्रेम के प्रति उत्साह देख कर जागृति का रोम रोम खिल उठा ,कितना जोश और उत्साह भरा हुआ है आज के युवा में ,इस देश की संगठित युवा शक्ति ही भारत का नव निर्माण कर सकती है |आज हमारा देश अनगिनत समस्याओं से घिरा हुआ है ,एक ओर तो भटका हुआ युवा  रेव पार्टीज़ ,पब,नशीले पदार्थो का सेवन कर दिशाविहीन हो अंधाधुंध पाश्चात्य सभ्यता का अनुसरण कर रहा है तो दूसरी तरफ बेरोज़गारी ,महंगाई से झूझते कई परिवार दो समय की रोटी के लिए संघर्षरत है ,भ्रष्टाचार रूपी  राक्षस हरेक की जिंदगी को निगल रहा है ,अपनी संस्कृति और संस्कारों को भूल कर हर इंसान पैसे के पीछे भाग रहा है ,चाहे कैसे भी मिले बस हाथ में पैसा आना चाहिए ओर ईमानदार इंसान को आज बेफकूफ समझा जाने लगा है,आतंकवाद की तलवार सदा हमारे सिर पर मंडराती रहती है ,किसान आत्महत्या कर रहे है ,बहू बेटियों की अस्मिता असुरक्षित है ,आसाम सुलग रहा है,अपने ही देश में  लोग परायों सी जिंदगी जीने पर मजबूर है ,अनेक घोटालों में  घिरी यह भ्रष्ट सरकार क्या जनता को सुरक्षा प्रदान कर पाए गी ? आज़ादी के मतवालों ने अपने प्राणों की आहुति दे कर हमे सदियों से चली आ रही  गुलामी की जंजीरों से तो मुक्त करवा दिया,लेकिन क्या हमने उनकी कुर्बानी के साथ न्याय किया है ?हमारे देश का भविष्य आज भारत  युवा शक्ति पर निर्भर है लेकिन उन्हें आज जरूरत है एक सशक्त मार्गदर्शक की , जो उन्हें सही दिशा दिखला सके , भारत माता के प्रति उनके प्रेम को जोश और जनून में बदल कर उन्हें राष्ट्र के लिए जीना और राष्ट्र के लिए मरना सिखा सके ,अखंड भारत का स्वरूप दिखा कर उन्हें एकजुट कर सके ,तभी देशभक्ति का वह सुंदर गीत सार्थक हो सकेगा ,''आवाज़  दो हम एक है |''

Views: 390

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rekha Joshi on August 16, 2012 at 8:15pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी ,सादर नमस्ते ,आपने सही लिखा है ,कौन सुने गा आवाज़ बहरे हो गए है कान सत्ताके लोलुप लोग बेशर्मी के लबादे ओढ़ कर जश्न मनाने में लगे है,वन्देमातरम 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 15, 2012 at 11:53pm

अपनी संस्कृति और संस्कारों को भूल कर हर इंसान पैसे के पीछे भाग रहा है ,चाहे कैसे भी मिले बस हाथ में पैसा आना चाहिए ओर ईमानदार इंसान को आज बेफकूफ समझा जाने लगा है,आतंकवाद की तलवार सदा हमारे सिर पर मंडराती रहती है ,किसान आत्महत्या कर रहे है ,बहू बेटियों की अस्मिता असुरक्षित है 

 आदरणीया रेखा जी बड़ी चिंता का विषय है ये ...लेकिन कडवा सच है ...समरथ को नहीं दोष गोसाईं ...कौन सुनेगा आवाज बहरे हो गए हैं कान सत्ता के लोलुप लोग बेशर्मी के लबादे ओढ़कर जश्न मनाने में लगे हैं 

जय  हिंद ......स्वतन्त्रता  दिवस की बधाई 
भ्रमर ५ 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service