For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (18,988)

बाबा-अन्ना लाइव - मीडिया पर सरकारी चाबुक

देश, भ्रष्टाचार के बुखार से तप रहा है और आम जनता महंगाई की आग में जल रही है, मगर सरकार के कारिंदों को इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। यदि ऐसा नहीं होता तो वे इन घातक समस्याओं के मामले में माकूल कदम जरूर उठाते। बीते एक दशक में महंगाई चरम पर पहुंच गई है और इसकी आसमानी हवाईयां भी रूकने का नाम नहीं ले रहा है। भ्रष्टाचार की समस्या तो जैसे इस देश के लिए नासूर बनता जा रहा है। वैसे तो देश में सफेदपोश भ्रष्टाचारियों की कोई कमी नहीं है, यह इस बात से भी पता चलता चलता है कि ऐसा कोई दिन नहीं जाता, जब कोई… Continue

Added by rajkumar sahu on June 9, 2011 at 6:44pm — No Comments

26 बरसों से पिला रहा प्यासों को पानी

समाज सेवा की दिशा में वैसे तो कई तरह के अनुकरणीय कार्यों की बानगी आए दिन सुनने को मिलती है और उनके कार्यों से समाज के लोगों को निश्चित ही बहुत कुछ सीखने को मिलता है। ऐसी ही मिसाल कायम कर रहे हैं, जिला मुख्यालय जांजगीर से लगे नैला के श्री गोविंद सोनी। वे पिछले 26 बरसों से निःस्वार्थ ढंग से नैला रेलवे स्टेशन में गर्मी के दिनों में यात्रियों को पानी पिलाते आ रहे हैं। बरसों से जारी उनके जज्बे को देखकर हर कोई दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाता है, क्योंकि ढलती उम्र के बाद भी उनके चेहरे पर कहीं… Continue

Added by rajkumar sahu on June 9, 2011 at 2:51pm — 1 Comment

"व्यथा" मेरी, आवाज़ भी मेरी !

दोस्तो ! अपनी एक पुरानी रचना "व्यथा" सुना रहा हूं । बर्दाश्त कीजियेगा ।…

Continue

Added by moin shamsi on June 9, 2011 at 2:00pm — No Comments

अब भगवान पैदा कर...

अब भगवान पैदा कर...

मेरा कहना अगर मानो तो,

एक इन्सान पैदा कर.

सम्हाले डोलती नैया,

बना बलवान पैदा कर.

तुम्हारे ही इशारे पर,

सभी ये दृश्य आते हैं.

हमारी प्रार्थना तुमसे…

Continue

Added by R N Tiwari on June 9, 2011 at 8:00am — 2 Comments

‘वन्दना’

‘वन्दना’

हंस शोभित वीणा पाणिनि वेद गरिमा गायिनी माँ

नवित- नव रस, नवल पद- मय, चन्द्र सी छवि छायिनी माँ ।



पूर्ण शशि की अल्पना तुम, मुकुट ललिता मात मेरी,

अर्चना का दीप हो माँ इस जगत की आप प्रहरी ।

हंस शोभित वीणा पाणिनि वेद गरिमा गायिनी माँ,

नवित- नव रस, नवल पद- मय,चन्द्र सी छवि छायिनी माँ ।



मुझ अकिचंन को, चला दो विश्व के कल्याण पथ पर,

नव धवल शुचि शक्ति संग,निकलूं सदा निर्वाण रथ पर ।

बन अजेय माँ मै बजाऊ, नित तेरी हर प्रात भेरी ,

अर्चना… Continue

Added by Chandraprakash Jha on June 8, 2011 at 10:00pm — 1 Comment

जरा इधर भी करें नजरें इनायत

1. समारू - उमा भारती पुराने कुनबे भाजपा में लौट आई है।

पहारू - जिस दिन मूड बिगड़ा, उस दिन पूरे कुनबे को खरी-खोटी सुनाएगी।



2. समारू - रायपुर नगर निगम में खड़ी गाड़ियां डीजल पी रही हैं।

पहारू - कौन सी नई बात है, छग में अरबों के निर्माण कार्य कागजों में हो जाते हैं।



3. समारू - बाबा रामदेव ने केन्द्र सरकार को माफ कर दिया है।

पहारू - यही तो सत्याग्रह व सच्ची गांधीवादी है, कोई एक गाल को मारे तो दूसरा गाल आगे कर दो।



4. समारू - छग के गृहमंत्री ने डीजीपी पर… Continue

Added by rajkumar sahu on June 8, 2011 at 2:44pm — 1 Comment

जरा इधर भी करें नजरें इनायत

1. समारू -दिग्विजय सिंह ने लादेन को ‘ओसामा जी’ कहा। पहारू - विवादों में नहीं होने पर उनके पेट का चारा नहीं पचता। 2. समारू - बाबा रामदेव के पीछे भाजपाई राजनीति कर रहे हैं। पहारू - भाजपा में नैया पार कराने वाला कोई नेता भी तो नहीं है। 3. समारू - छग सरकार दो बच्चों से अधिक होने पर नौकरी नहीं देगी। पहारू - मगर चार-छह बच्चे वाले नेता को मंत्री जरूर बना सकती है। 4. समारू - बाबा के सत्याग्रह व अनशन से सरकार घबरा गई है। पहारू - क्यों नहीं, सत्ता की कुर्सी का सवाल जो है। 5. समारू - देश में भ्रष्टाचार व… Continue

Added by rajkumar sahu on June 8, 2011 at 1:34am — 1 Comment

जीवन की सच्चाई से हम बने रहे अंजान

नैनों में अश्रु बन छाया,होठों पर मुस्कान,
जीवन की सच्चाई से हम बने रहे अंजान

जीवन में सब पाने की जब अपने मन में ठानी,
तभी सामने आ गयी जीवन की बेईमानी .

देने को हमें कुछ न लाया ये जीवन महान,
जीवन की सच्चाई से हम बने रहे अंजान,

हमने जब कुछ भी है चाहा हमें नहीं मिल पाया,
जो पाया था इस जीवन में उसे भी हमने गंवाया,

फिर क्यों हालत देख के अपनी होते हैं हैरान,
जीवन की सच्चाई से हम बने रहे अंजान.
शालिनी कौशिक

Added by shalini kaushik on June 8, 2011 at 12:14am — 1 Comment

ग़ज़ल : भ्रष्टाचार की आंधी तेज है इस कदर की.................

यहाँ कुछ नहीं मिलता है,उल्फत की किरदार में.
खूब मुनाफा हो रहा है, नफरत के कारोबार में.


सत्य अहिंसा की बाते महज एक छलावा है..

सच खड़ा है सर झुकाए झूठों  के बाज़ार में.


आज लूटेरे पढ़ा रहे है…
Continue

Added by Noorain Ansari on June 7, 2011 at 11:00am — No Comments

ज़िंदगी.

मे ये नही जानता शायरी क्या होती है, ग़ज़ल क्या होती है. गीत क्या होता है. सिर्फ़ मे वो लिखता हू जो मे महसूस करता हू. अपने एहसासो को कागज पर लिख के पोस्ट कर रहा हू. तकनीकी ग़लतियो के लिए माफी चाहता हू और आदरणीय योगराज जी, अंबरीषजी,धर्मेन्द्र जी और तिलक राज जी,गणेश जी से ये मेरी गुज़ारिश है की, वो अपने कीमती समय का कुछ पल मेरी इन पंक्तियो को दे कर तकनीकी ग़लतिया मुझे बताए.....इसके अलावा हिन्दी लिखने के  Tool से मे पूरी तरीके से परिचित नही हू इसलिए जानकर्  भी अपनी…

Continue

Added by Tapan Dubey on June 6, 2011 at 3:00pm — 2 Comments

दो ग़ज़लें.....

= एक =

कोई ऐसी सज़ा न दे जाना.

ज़िंदगी की दुआ न दे जाना.

दिल में फिर हसरतें जगा के मेरे,

दर्द का सिलसिला न दे जाना.

वक्त नासूर बना दे जिसको-

यूँ कोई आबला न दे जाना.

सफ़र में उम्र ही कट जाए कहीं,

इस क़दर फ़ासला न दे जाना.

साँस दर साँस बोझ लगती है,

ज़िंदगी बारहा न दे जाना.

इस जहाँ के अलम ही काफ़ी हैं,

और तुम दिलरुबा न दे जाना.

पीठ में घोंपकर कोई ख़ंजर,

दोस्ती का सिला न दे जाना.

इल्म हर शय का उन्हें है "साबिर"

तुम कोई… Continue

Added by डॉ. नमन दत्त on June 6, 2011 at 9:30am — 6 Comments

केदार और महेन्द्र

मेरे अग्रज कवि केदारनाथ अग्रवाल का व्यक्तित्व

पत्रों के आइने में ॰॰॰॰

[महेंद्रभटनागर]

 

महेंद्र के नाम केदार की पाती

संदर्भ : …

Continue

Added by MAHENDRA BHATNAGAR on June 6, 2011 at 9:30am — No Comments

उनको हरजाई बताऊँ तो बताऊँ कैसे !

उनको हरजाई बताऊँ तो बताऊँ कैसे !

खुद हंसी अपनी उडाऊं तो उडाऊं कैसे !!


मुझको ईकान है वो अब भी वफ़ा कर लेंगे !
बेवफा उनको बताऊँ तो बताऊँ कैसे !!


शोला ए हिज्र से ये और भड़क जाती है !
आग इस दिल की बुझाऊं तो बुझाऊं कैसे !!


उनके दरयाऐ मुहब्बत में है मौजों का हुजूम !
कश्तिये इश्क चलाऊं तो चलाऊं कैसे…
Continue

Added by Hilal Badayuni on June 6, 2011 at 1:41am — 9 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
हम ठगे जाते रहे हैं..

हम लुटे हैं

हम ठगे हैं.. और ये होता रहा है पुरातन-काल से..

हम ठगाते ही रहे हैं..

उन हाथों ठगे जिन्हें

प्रकृति-मनुज का क्रमान्तर बताना था

काल-मनवन्तर रचना और बनाना था

वर्ग-व्यवहार निभाना था..

हम ठगे गये उन आत्म-अन्वेषियों/खोजियों के हाथों

छोड़ गये जो पीछे बिलखता समुदाय, पूरा समाज

परन्तु यह वर्त्त न पा सका एक मुसलसल रिवाज़

फिर, हम फिर ठगे गये उनसे

जिन्होंने अपनी रीढ़हीन मूँछों और अपनी अश्लील ज़िद के आगे

पूरे राष्ट्र को रौंदवा दिया.. और धरवा… Continue

Added by Saurabh Pandey on June 6, 2011 at 1:20am — 6 Comments

कविता : विद्रोह

भ्रष्टाचार के विरोध में हम भी खड़े हैं इस छोटी सी कविता के साथ

 

विरोध कायम रहे
इसके लिए जरूरी है
कि कायम रहे
अणुओं का कंपन

अणुओं का कंपन कायम रहे
इसके लिए जरूरी है
विद्रोह का तापमान

वरना ठंढा होते होते
हर पदार्थ
अंततः विरोध करना बंद कर देता है
और बन जाता है अतिचालक

उसके बाद
मनमर्जी से बहती है बिजली
बिना कोई नुकसान झेले
अनंत काल तक

Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 5, 2011 at 10:19pm — 4 Comments

मंज़र खींचातानी का

मंज़र खींचातानी का

अनशन है बाबा जी का

 

राहुल बाबा गायब हैं

लगता सब फीका फीका

 

गायब है चालीस खरब

सवा अरब की कंट्री का

 

काला धन आये वापस

मुंह काला हो दोषी का

 

दस मारो और एक गिनो

नशा हिरन हो लोभी का

Added by वीनस केसरी on June 4, 2011 at 3:30pm — 2 Comments

गजल-सोच समझकर कदम उठाना।

गजल-

सोच समझकर कदम उठाना।

कहीं ऐसा न हो पडे पछताना।।



यह दुनियां इतनी गोल है दोस्तों।

कोई न यहां अटल ठहराना।।



जिसने गम को खा लिया।

उसे क्या खाना औ खिलाना।।



जिनको कोई समझ नहीं हैं।

मुश्किल हैं उनको समझाना।।



हुक्म देना आसाँ होता हैं लेकिन।

मुश्किल हैं करना औ करवाना।।



अभी आज कल या बरसो बाद।

आखिर इक दिन सबको जाना।।



नसीब में लिखा ही मिलता हैं।

सबको यहां पे आबो-दाना।।



हम तो तेरे हो…

Continue

Added by nemichandpuniyachandan on June 4, 2011 at 12:30pm — No Comments


प्रधान संपादक
2 घनाक्षरी छंद

(माँ-बाप)



घर बूढ़े माता पिता, भूख से बेहाल दोनों,

बेटा पत्नी को लेकर, पार्टी उडाय रहा !



पीठ संग लग चुका, पेट बूढ़े बुढिया का

साथ गया टौमी कुत्ता, मुर्गी चबाय रहा !



आधी रात बीत गई, आए नहीं बेटा बहू

बुरा बुरा सोच कर, जी घबराय रहा !



हाथ उसका पकड़, बापू समझाए माँ को

धीरज धरो तनिक, बेटवा आय रहा !

------------------------------------------------

(विकास)



जंगलों का खून हुआ, घोसले उजड़ गए,

पंछियों के भाग्य आया, केवल… Continue

Added by योगराज प्रभाकर on June 4, 2011 at 8:30am — 5 Comments

"गाँधी का देश"

गाँधीवादी गुण्डों ने ही लूट लिया गाँधी का देश

जात पात मजहब पंथों में फूट लिया गाँधी का देश॥

 

रघुपति राघव राजाराम मंदिर के कारण बदनाम,

ईश्वर या अल्लाह का नाम अब करवाता कत्ले-आम।

सत्य प्रेम की पगडंडी से छूट लिया गाँधी का देश॥

 

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई बन बैठे हैं आज कसाई,

चंगुल में हैवानों के मानवता बकरी सी आयी।

कर हलाल हैं रहे हाय! अब टूट लिया गाँधी का देश ।।

 

गाँधी जी का धर्म अहिंसा, इनका है…

Continue

Added by आचार्य संदीप कुमार त्यागी on June 3, 2011 at 8:28am — 2 Comments

गजल-आंखों में उल्फत का अंजन लगाईए

गजल

आंखों में उल्फत का अंजन लगाईए।
टूटते हुए रिश्तों पे बंधन लगाईए।।


गर जज्बातो में नफरत की बू आये तो।
ऐसे सवालातों पे मंजन लगाईए।।


जब कभी जुल्मो-सितम हद से गुजर जाये।
तब अम्न के लिये जानो-तन लगाईए।।


लेने के बदले कुछ देना भी सिखिये।
हर जगह मुफ्त का ना चंदन लगाईए।।


जब रंजों-गम से दिल चंदन बेकरार हो जाये।
तब अंतस में धुन अलख निरंजन लगाईए।।

Added by nemichandpuniyachandan on June 2, 2011 at 12:00pm — 3 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और उम्दा प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"आदाब।‌ बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह साहिब।"
Oct 1
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी।"
Sep 30
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी। आपकी सार गर्भित टिप्पणी मेरे लेखन को उत्साहित करती…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"नमस्कार। अधूरे ख़्वाब को एक अहम कोण से लेते हुए समय-चक्र की विडम्बना पिरोती 'टॉफी से सिगरेट तक…"
Sep 29
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"काल चक्र - लघुकथा -  "आइये रमेश बाबू, आज कैसे हमारी दुकान का रास्ता भूल गये? बचपन में तो…"
Sep 29
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"ख़्वाबों के मुकाम (लघुकथा) : "क्यूॅं री सम्मो, तू झाड़ू लगाने में इतना टाइम क्यों लगा देती है?…"
Sep 29
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"स्वागतम"
Sep 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"//5वें शेर — हुक्म भी था और इल्तिजा भी थी — इसमें 2122 के बजाय आपने 21222 कर दिया है या…"
Sep 28
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल है आपकी। इस हेतु बधाई स्वीकार करे। एक शंका है मेरी —…"
Sep 28
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"धन्यवाद आ. चेतन जी"
Sep 28
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी"
Sep 28

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service