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moin shamsi
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City State
delhi
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Aonla
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Moin shamsi's Blog

धारावाहिक यात्रा-संस्मरण "चार-गाम-यात्रा" (All rights are reserved.)

हज़रत निज़ामुद्दीन-बैंगलोर राजधानी ऐक्स्प्रेस में दो रातों तक कुछ नन्हे-मुन्ने कॉकरोचों से दो-दो हाथ करते हुए 30 अक्टूबर की सुबह जब हम बैंगलोर सिटी जंक्शन पहुंचे तो दिन निकल चुका था । ट्रेन रुकने से पहले ही हमें उन क़ुलियों ने घेर लिया जो चलती ट्रेन में ही अन्दर आ गये थे । सामान उठाकर ले चलने से लेकर होटल दिलाने, लोकल साइट-सीइंग और मैसूर-ऊटी तक का टूर कराने के ऑफ़र्ज़ की बरसात होने लगी । मगर हम तो काफ़ी जानकारी पहले से ही इकट्ठा करके पूरी तैयारी से आये थे, इसलिये क़ुली साहिबान की दाल नहीं…

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Posted on July 26, 2011 at 1:34pm — 15 Comments

"व्यथा" मेरी, आवाज़ भी मेरी !

दोस्तो ! अपनी एक पुरानी रचना "व्यथा" सुना रहा हूं । बर्दाश्त कीजियेगा ।…

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Posted on June 9, 2011 at 2:00pm

मेरा कलाम मेरी आवाज़ में

ओबीओ पर आप दोस्तों ने मेरा कलाम पढ़कर हमेशा मेरी हौसला-अफ़्ज़ाई की है । आप क़द्रदानों के लिये मैं अपनी ताज़ा ग़ज़ल को, जोकि "OBO लाइव तरही मुशायरा" अंक ११ में शामिल हुई थी, अपनी ख़ुद की आवाज़ में पेश कर रहा हूं । इसे सुनने के लिये नीचे दिये बॉक्स के प्ले बटन को क्लिक करें :…

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Posted on June 1, 2011 at 2:30pm — 14 Comments

’मदर्स-डे’ स्पेशल (मां का प्यार)

सबसे पावन, सबसे निर्मल, सबसे सच्चा मां का प्यार

सबसे अनोखा, सबसे न्यारा, सबसे प्यारा मां का प्यार ।



बच्चे को ख़ुश देख-देख के, मन ही मन हंसता रहता

जब संतान पे विपदा आए, तड़प ही उठता मां का प्यार ।



सुख की ठंडी छांव में शीतल पवन के जैसा लहराता…

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Posted on May 7, 2011 at 5:00pm — 8 Comments

Comment Wall (10 comments)

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At 7:34pm on January 1, 2011, Lata R.Ojha said…
Janmdin mubarak ho :)
At 9:27am on January 1, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 8:20pm on December 2, 2010, Azeez Belgaumi said…
Thanks moin bhai
At 1:40am on October 14, 2010, Julie said…

अपनी दोस्ती से नवाजने का बहुत -बहुत शुक्रिया... "मोईन जी"...!! -जूली :-)
At 7:15pm on October 9, 2010, Hilal Badayuni said…
जनाब मोईन साहब आदाब
आप एक अदबी माहौल में तरबियत ले रहे है तो सब से पहले आप को मेरे सलाम का जवाब देना चाहिए था जैसा की मैंने आपको लिखा था मोईन साहब अस्सलाम-ओ-अलैकुम आपने जो "देखिये मियां " कहकर पुकारा है वो काबिल-ऐ-मुहब्बत नहीं है
और मैंने वक्तन बा वक्तन अपने अशआर पे आपके ता-अस्सुरात (comments ) मांगे थे न की इस तरह से कोई सनद के मै ज़बरदस्त लिखता हूँ खानदानी शायर हूँ
इस तरह आप अपनी समा-अत का फ़रीज़ा नहीं अदा कर सकते
ऐसा नहीं के "देखिये मियां" एक तहज़ीब से गिरा हुआ लफ्ज़ है मगर जब भी किसी से बात की शुरुआत हो तो सलामत (सलाम )से हो बेहतर है आगे से ये ख्याल रखियेगा के किसी भी ओबो मेम्बेर्स को "देखिये मियां" के बजाये भाई कहकर पुकारें , अपनापन झलकेगा!
आपके इस मुहब्बत भरे अलकाब "देखिये मियां" की नज्र जनाब मुनव्वर राना साहब का शेर पेश करता हूँ तशरीह हो जायगी
शुक्रिया आपका भाई
हिलाल अहमद हिलाल

बेसबब लोग हमे दुश्मन-ऐ-जाँ कहते हैं
हम जो इस मुल्क की मिटटी को भी माँ कहते है
आप ने खुल के मुहब्बत नहीं की है हमसे
आप भाई नहीं कहते है मियां कहते है
At 4:03pm on October 6, 2010, Hilal Badayuni said…
moin sahab assalam-o-alaikum
masarrat ki baat hai k aapne mujhe frien list me to shaamil ker liya hai maagar naacheez ki shayri per apne ta-assuraat pesh nahi kiye abhi tak
bhai mai wazirganj zila budaun se belong kerta hu basically aur zauq wazirganjvi sahab ka farzand hu is waqt delhi me hu
aapke yaha aaonla me nadeem sahab hafiz raees sahab au rifat sahab sabhi jaane hai
shukriya
aapka hilal ahmad 'hilal wazirganjvi' budauni
At 8:43am on September 27, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 10:18pm on September 26, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

At 6:09pm on September 26, 2010, Ratnesh Raman Pathak said…

At 5:56pm on September 26, 2010, Admin said…

 
 
 

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