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फ़ित्ने-नौ यूँ उठाने लगी ज़िंदगी |
आँख उनसे लड़ाने लगी ज़िंदगी ||
ताज़ा दम होने को आए थे बज़्म में,
सूलियों पे चढ़ाने लगी ज़िंदगी ||
होश खाने लगी मौत भी देखिये,
फिर ये क्या गुनगुनाने लगी ज़िंदगी ||
उनकी आवाज़ फिर आईना बन गई,…
Posted on June 28, 2012 at 8:52am — 2 Comments
= जीवन सन्दर्भ =
खेत की मुंडेर पर चहकते पक्षियों की ढेर सारी बातें,
गेहूँ की बालियों के आँचल की मदमाती भीनी-भीनी सुगंध,
सर्दी की धूप का मेरी पीठ पर रखा दोस्ताना हाथ,
एक लय होकर काम करते हुए अनेक जीवन,
बैलों के गले की घण्टियों का राग,
यहाँ वहाँ उछलकूद करते बछड़े,
रंभाती गायें,
इन परिदृश्यों का स्वार्गिक…
Posted on June 12, 2012 at 5:02pm — 6 Comments
कल रात कहीं कुछ रीत गया.
लम्हे टूटे, मैं बीत गया.
साँसें क्या हैं..? इक व्यर्थ गति,
जब साँसों का संगीत गया.
जीवन सपनों के नाम हुआ,
तज कर मुझको हर मीत गया.
अक्सर जीवन की चौसर पर,
सुख हार गया, दुःख जीत गया.
इक दर्द रहा जो क़ायम है,
'साबिर' बाक़ी सब बीत गया.
[14/04/2007]
Posted on December 28, 2011 at 8:30am — 3 Comments
# साँई स्तवन #
जनम सफल कर ले, भवसागर तर ले,
छुट जायेंगे सारे फंदे, साँई चरण धर ले....
१. कौन सहारा देगा तुझको सोच ज़रा,
तुझे कहाँ ले जाएगा अभिमान तेरा,
अंत समय क्या तेरे साथ चलेगा जग ?…
Posted on September 25, 2011 at 8:17am
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मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…