For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(माँ-बाप)

घर बूढ़े माता पिता, भूख से बेहाल दोनों,
बेटा पत्नी को लेकर, पार्टी उडाय रहा !

पीठ संग लग चुका, पेट बूढ़े बुढिया का
साथ गया टौमी कुत्ता, मुर्गी चबाय रहा !

आधी रात बीत गई, आए नहीं बेटा बहू
बुरा बुरा सोच कर, जी घबराय रहा !

हाथ उसका पकड़, बापू समझाए माँ को
धीरज धरो तनिक, बेटवा आय रहा !
------------------------------------------------
(विकास)

जंगलों का खून हुआ, घोसले उजड़ गए,
पंछियों के भाग्य आया, केवल प्रवास है !

बस्तियां बसा के नईं, भूल गया आदमी ये,
इनके तले दफ़न, गैर का निवास है !

रूठ गईं बारिशें भी, मरे जलकुंड सब,
खेत हुए रेत रेत, कुओं में भी प्यास है !

इसको उन्नति कहें, या कि अवनति कहें
आदमी विनाश को ही, मानता विकास है !
---------------------------------------------------

Views: 522

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shashi Mehra on July 12, 2011 at 10:17am
जैसे बेटा पैदा होना, इक वरदान कहा,
घर में न बेटी होना, एक बड़ा श्राप है !

होती न जो बेटियां तो, होते कैसे बेटे भला
इन्ही की वजह से तो, शिवा है - प्रताप है !

पैदा ही न होने देना, कोख में ही मार देना,
हर मज़हब में ये, घोर महापाप है !

महामृत्युंजय सम, वंश के लिए जो बेटा,
उसी तरह कन्या भी, गायत्री का जाप | आपके बारे में आपके ब्लाग पर जाकर अधिक जानकारी हुई |
आपकी साड़ी रचनाएँ सुंदर,सजीव व् सटीक हैं, पसंद आई | दाद एवं दोस्ती काबुल कीजिये |

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 5, 2011 at 8:06am
आपका बहुत बहुत आभार सतीश भाई !
Comment by satish mapatpuri on June 5, 2011 at 3:52am
पीठ संग लग चुका, पेट बूढ़े बुढिया का
साथ गया टौमी कुत्ता, मुर्गी चबाय रहा !
मार्मिक अभिव्यक्ति. साधुवाद.

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 4, 2011 at 8:18pm
अच्छा गुरु जी ? मुझे तो पता ही नहीं था, बड़ी कृपा की जो मुझे बता दिया - सादर प्रणाम !
Comment by Rash Bihari Ravi on June 4, 2011 at 1:33pm

पीठ संग लग चुका, पेट बूढ़े बुढिया का
साथ गया टौमी कुत्ता, मुर्गी चबाय रहा !

 

sir ji ye sanch hain lekin sab bete yaise nahi hain 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
yesterday
Yatharth Vishnu updated their profile
yesterday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Friday
Mamta gupta commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल
"जी सर आपकी बेहतरीन इस्लाह के लिए शुक्रिया 🙏 🌺  सुधार की कोशिश करती हूँ "
Thursday
Samar kabeer commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल
"मुहतरमा ममता गुप्ता जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । 'जज़्बात के शोलों को…"
Nov 6
Samar kabeer commented on सालिक गणवीर's blog post ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
"जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । मतले के सानी में…"
Nov 6
रामबली गुप्ता commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आहा क्या कहने। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल हुई है आदरणीय। हार्दिक बधाई स्वीकारें।"
Nov 4
Samar kabeer commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, बहुत समय बाद आपकी ग़ज़ल ओबीओ पर पढ़ने को मिली, बहुत च्छी ग़ज़ल कही आपने, इस…"
Nov 2
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहा (ग़ज़ल)

बह्र: 1212 1122 1212 22किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहातमाम उम्र मैं तन्हा इसी सफ़र में…See More
Nov 1
सालिक गणवीर posted a blog post

ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...

२१२२-१२१२-२२/११२ और कितना बता दे टालूँ मैं क्यों न तुमको गले लगा लूँ मैं (१)छोड़ते ही नहीं ये ग़म…See More
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"चल मुसाफ़िर तोहफ़ों की ओर (लघुकथा) : इंसानों की आधुनिक दुनिया से डरी हुई प्रकृति की दुनिया के शासक…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"सादर नमस्कार। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया सकारात्मक विचारोत्तेजक और प्रेरक रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Oct 31

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service