2122 2122 2122 212
.
है जिधर मेरी नज़र उसकी नज़र जाने तो दो
कायनात ए इश्क़ को हर सू बिखर जाने तो दो
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क्या हमें हासिल हुआ इस ज़िन्दगी से दोस्तो
सब बताएंगे मगर जाँ से गुज़र जाने तो दो
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हम अदालत में करेंगे पैरवी हर झूठ की
शर्म आँखों की ज़रा सी और मर जाने तो दो
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तर्के निस्बत का भी मातम तुम मना लेना मगर
ताज दिल का टूट कर पहले बिखर जाने तो दो
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आँख से बहता समंदर बाँध कर रखना ज़रा
कतरा कतरा…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on September 30, 2020 at 10:30pm — 4 Comments
तुम्हें लगता है रस्ता जानता हूँ
मगर मैं सिर्फ चलना जानता हूँ.
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तेरे हर मूड को परखा है मैंने
तुझे तुझ से ज़ियादा जानता हूँ.
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गले मिलकर वो ख़ंजर घोंप देगा
ज़माने का इरादा जानता हूँ.
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मैं उतरा अपने ही दिल में तो पाया
अभी ख़ुद को ज़रा सा जानता हूँ.
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बहा लायी है सदियों की रवानी
मगर अपना किनारा जानता हूँ.
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बता कुछ भी कभी माँगा है तुझ से?
मैं अपना घर चलाना जानता हूँ.
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निलेश…
Added by Nilesh Shevgaonkar on September 30, 2020 at 1:46pm — 8 Comments
221 2121 1221 212
सूखी हुई है आज मगर इक नदी है तू
मैं जानता हूँ रेत के नीचे दबी है तू
मरना है एक दिन ये नई बात भी नहीं
जी लूँ ऐ ज़िंदगी तुझे जितनी बची है तू
आँखों को चुभ रही है अभी तेरी रौशनी
काँटा समझ रहा था मगर फुलझड़ी है तू
ऐ मौत कोई दूसरा दरवाजा खटखटा
आवाज़ मेरे दर पे ही क्यों दे रही है तू
हर बार ये लगा है तुझे जानता हूँ मैं
महसूस भी हुआ है कभी अजनबी है तू
आज़ाद हो रही…
ContinueAdded by सालिक गणवीर on September 28, 2020 at 10:00pm — 18 Comments
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 27, 2020 at 10:00pm — 8 Comments
तर्क-ए-वफ़ा का जब कभी इल्ज़ाम आएगा
हर बार मुझ से पहले तेरा नाम आएगा.
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अच्छा हुआ जो टूट गया दिल तेरे लिए
वैसे भी तय नहीं था कि किस काम आएगा.
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अब रात घिर चुकी है इसे लौट जाने दे
यादों का क़ाफ़िला तो हर इक शाम आएगा.`
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उर्दू की बज़्म में कभी हिन्दी चला के देख
तेरे कलाम में नया आयाम आएगा.
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उस सुब’ह धमनियों में ठहर जाएगा ख़िराम
जिस भोर मेरे नाम का पैग़ाम…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on September 27, 2020 at 12:00pm — 10 Comments
फ़ाइलुन -फ़ाइलुन - फ़ाइलुन -फ़ाइलुन
2 1 2 - 2 1 2 - 2 1 2 - 2 1 2
वो नज़र जो क़यामत की उठने लगी
रोज़ मुझपे क़हर बनके गिरने लगी
रोज़ उठने लगी लगी देखो काली घटा
तर-बतर ये ज़मीं रोज़ रहने लगी
जबसे तकिया उन्होंने किया हाथ पर
हमको ख़ुद से महब्बत सी रहने लगी
एक ख़ुशबू जिगर में गई है उतर
साँस लेता हूँ जब भी महकने…
Added by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 27, 2020 at 10:31am — 40 Comments
माधवी पटना की लेडी डॉक्टर से मिलकर बाहर आते ही पति से बोली,' यह ओवरी वाला क्या चक्कर था मधुप?'
' बकवास ही समझो '
' वाकई दोनों ओवरी बराबर आकार की होती है?छपरा वाली डॉक्टरनी बोली थी।'
' नहीं होती।मैंने अपने दोस्त डॉक्टरों से सलाह की थी।' पति बोला।
' फिर वह मुई ऑपरेशन किस चीज का करती?'
' पता नहीं। डोनेशन वाले डॉक्टर - डॉक्टरनी भी तो होते हैं भई।'
' ऐसा?'
'और क्या? यहां सब चलता है।' पति हिकारत भरे लहजे में बोला।
' मौलिक व अप्रकाशित'
Added by Manan Kumar singh on September 26, 2020 at 1:20pm — 1 Comment
अजीब था यह अनमोल नाता ... अमृता प्रीतम जी
कई दशक पहले मैं जब भी प्रिय अमृता प्रीतम जी के उपन्यास पढ़ता था, पुस्तक को रखते एक कसक-सी होती थी, यह इसलिए कि एक बार आरम्भ करके उनकी पुसत्क को रखना कठिन होता था। आज भी ऐसा ही होता है। जब से एक प्रिय मित्र पिंकी केशवानी जी ने अमृता जी की पुस्तक “मन मंथन की गाथा” मुझको भेंट में भेजी, जब भी ज़रा-सा अवकाश मिलता है, यह पुस्तक मुझको झट पास बुलाती है।
मित्र पिंकी ने पुस्तक में लिखा, “एक छोटी-सी भेंट,…
ContinueAdded by vijay nikore on September 25, 2020 at 10:51pm — 1 Comment
अपने रूप पर ऐ चाँद तू ........
अपने रूप पर ऐ चाँद तू
क्यों इतना इतराया है
तू तो मेरे चाँद का
बस हल्का सा साया है
केसरिया है रूप तेरा
केसरिया परछाईं है
कौमुदी ने पानी में
प्रीत की पेंग बढ़ाई है
विभावरी का स्वप्न है तू
चांदनी का प्यारा है
पानी में तेरा अक्स
बड़ा हसीँ छलावा है
अक्स नहीं यकीं है वो
इन बाहों को जो भाया है
ख़्वाब है मेरी नींद का वो
हकीकत में हमसाया है
खुदा ने अपने हाथों से
मेरे चाँद को बनाया…
Added by Sushil Sarna on September 25, 2020 at 5:04pm — No Comments
खेत मन का एक जोता हमने बाजी मार ली
तन का सौदा रोक डाला हमने बाजी मार ली।१।
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रेत पर लिख करके गुस्सा हमने बाजी मार ली
पत्थरों पर प्यार साधा हमने बाजी मार ली।२।
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हर नदी की हर लहर पर पार जाना लिख दिया
मोड़ डाला रुख हवा का हमने बाजी मार ली।३।
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छोड़ आये चाँद आधा यूँ सितारों के लिए
किन्तु पहलू में है पूरा हमने बाजी मार…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 24, 2020 at 6:30am — No Comments
आँख से काजल चुराने का न कौशल हम में था
दूर रह कर याद आने का न कौशल हम में था।१।
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नाम पेड़ों पर तो हम भी लिख ही लेते थे मगर
पुस्तकों में खत छिपाने का न कौशल हम में था।२।
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दोस्ती सूरज सितारों से तो अपनी थी गहन
चाँद को लेकिन रिझाने का न कौशल हम में था।३।
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पा गये विस्तार …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 23, 2020 at 7:00am — 12 Comments
212-122-1212
मैं जो कारवाँ से बिछड़ गया
यूँ तुम्हारे दर पे ही पड़ गया
दिल गया ख़ुशी की तलाश में
साथ उनके हम से बिछड़ गया
ये गरेबाँ गुल-रू की चाह में
क्या कहूँ के फिर से उधड़ गया
वो दुआ थी तेरी या बद् दुआ
ये नसीब अपना बिगड़ गया
कोई ज़िन्दगी तो सँवर गई
ग़म नहीं मुझे मैं उजड़ गया
वो तुम्हारी आँखों में चुभ रहा
लो हमारा ख़ेमा उखड़ गया
मैं झुका…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 20, 2020 at 6:30pm — 10 Comments
1222 1222 122
धुआँ उठता नहीं कुछ जल रहा है
मुझे वो आग बन कर छल रहा है
पिछड़ जाउंँगा मैं ठहरा कहीं गर
ज़माना मुझसे आगे चल रहा है
बहुत ख़ुश था मैं तन्हाई में पर अब
ये सूनापन मुुझे क्यों खल रहा है
अंधेरे में उसे दिखता मैं कैसे
मगर फिर भी वो आँखें मल रहा है
बड़ा होकर दुखों में छाँव देगा
जो ये पौधा ख़ुशी का पल रहा है
निगल जाएगा मुझको भी अँधेरा
ये…
Added by सालिक गणवीर on September 20, 2020 at 1:30pm — 7 Comments
पल सुनहरी सुबह के खोयेंगें हम
और कितनी देर तक सोयेंगें हम।
रात काली तो कभी की जा चुकी
अब अँधेरा कब तलक ढोयेंगे हम।
जुगनुओं जैसा चमकना सीख लें
रोशनी के बीज फिर बोयेंगे…
Added by अजय गुप्ता 'अजेय on September 19, 2020 at 11:20pm — 16 Comments
221 2121 1221 212
कश्ती में है मगर नहीं पतवार हाथ में.
होता कहाँ किसी के ये संसार हाथ में.
कर लो भला गरीब का कुर्सी पे बैठकर,
तुमको मिला है भाग्य से अधिकार हाथ में.
ईश्वर की चाह है तो अकेले भजन…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on September 19, 2020 at 6:00pm — No Comments
जिस इश्क में दिल्लगी नही होती
उस इश्क की तो जानू उमर भी नही होती
सिलसिला साँसों का जिस रोज़ थम गया
रौशनी गई दिये से और प्यार मर गया
धड़कन में अगर खून की लाली नही होती
उस इश्क की तो जानू उमर भी नही होती
दिखावा प्यार का तुम खूब कर चुके
दे दे के तोहफे प्यार में मिरा घर भर चुके
सेंकडो तो आने जाने के बहाने कर चुके
जोश था जो मिलन का वो आज मर चुका
जिस इश्क में दिल्लगी नही…
ContinueAdded by DR ARUN KUMAR SHASTRI on September 19, 2020 at 3:00am — 2 Comments
क्षणिकाएं : जिन्दगी पर
जिंदगी
जीती रही
मिट जाने के बाद भी
जिंदगी के लिए
कैद में
निर्जीव फ्रेम के
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लगा देती है
जिन्दगी
आंखों की चौखट पर
सांकल
हर प्रतीक्षा की
सांसो से
अनबन
होने के बाद
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हो गया
गिलास खाली
पानी
बिखर जाने के बाद
थी
फिर भी उसमें
शेष
थोड़ी सी
नमी
अनदेखी
जिन्दगी…
Added by Sushil Sarna on September 17, 2020 at 8:52pm — 6 Comments
2122 2122 212
कह रहे हैं जब सभी तुम भी कहो
आँख मूँदो आम को इमली कहो
बोलते हो झूठ लेकिन एक दिन
आइने के सामने सच ही कहो
कौन रोकेगा तुम्हें कहने से अब
तुम ज़हीनों को भी सौदाई कहो
कैसे कहता कह न पाया आज तक
दोस्तों को जब कहो बैरी कहो
वो नहीं कहता है तू भी कह नहीं
जब कहे हाँ तुम भी तब हाँ जी कहो
वो बने हैं एक दूजे के लिए
दोस्तों उनको दिया बाती कहो
कह नहीं पाया मैं…
ContinueAdded by सालिक गणवीर on September 17, 2020 at 8:30am — 8 Comments
122 122 122 122
***
मुहब्बत की जब इंतिहा कीजियेगा,
निगाहों से तुम भी नशा कीजियेगा ।
सफ़र दिल से दिल तक लगे जब भी मुश्किल ,
दुआओं की फिर तुम दवा कीजियेगा ।
नज़र ज़ुल्फ़ों पे गर टिकें ग़ैरों की तो,
यूँ आँखों में नफ़रत अदा कीजियेगा ।
मुझे सोच हों चश्म नम तो समझना,
ये जज़्बात अपने अता कीजियेगा ।
ये है इल्तिज़ा मर भी जाऊँ तो इतनी,
ख़ुदा से न तुम ये गिला कीजियेगा ।
मेरी आरज़ू बंदगी तुम…
ContinueAdded by Harash Mahajan on September 16, 2020 at 12:00pm — 5 Comments
"अरे, कल तक तो आप ठीक लग रहे थे, आज इतना परेशान दिख रहे हैं. रात में फिर से बुखार तो नहीं आया था, दवा तो ले रहे हैं ना. ये कोविड भी जो न कराये, सारा देश परेशान है?, पत्नी ने उसके चिंतित चेहरे को देखते हुए कहना जारी रखा. कोविड के चलते वह दूर से ही खाना, पानी इत्यादि दे रही थी और बीच बीच में आकर हाल भी पूछ जाती थी.
"मैं तो बिलकुल ठीक हूँ लेकिन बेटी का बुखार उतरा कि नहीं, कहीं मेरे चलते उसे भी संक्रमण न हो जाए?, उसने शायद पत्नी की बात पूरी सुनी ही नहीं.
मौलिक एवं…
Added by विनय कुमार on September 16, 2020 at 10:49am — 6 Comments
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