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Rachna Bhatia
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Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी नमस्कार।जी, अब समझ गई। आपका हार्दिक धन्यवाद।"
Thursday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीया शिज्जु शकूरपुर जी , नमस्कार। आपने सहीह कहा ।हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार। "
Thursday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीया लक्ष्मण धामी भाई नमस्कार। हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार। "
Thursday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीया ज़ैफ़ जी, नमस्कार। हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार। "
Thursday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय दण्डपाणि नाहक जी, नमस्कार। हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार। "
Thursday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीया ॠचा जी, नमस्कार। हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार। मतले पर कोशिश जारी है। "
Thursday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय रवि शुक्ला जी नमस्कार। ग़ज़ल तक फिर से आने तथा इस्लाह देने के लिए बेहद शुक्रिया। आदरणीय, मुझे इस्लाह दिख नहीं रही है। प्लीज़ एक बार फिर से कमेंट कर दीजिए। सादर। "
Thursday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय दिनेश कुमार जी वाह, अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें। "
Thursday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय दण्डपाणि नाहक जी नमस्कार। ग़ज़ल बहुत ख़ूब हुई। बधाई स्वीकारें।"
Wednesday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय ज़ैफ़ जी नमस्कार।सर् की इस्लाह के बाद बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें।"
Wednesday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय अमित जी नमस्कार। एक कोशिश की है। धागा किसी फ़कीर से बँधवा गई मुझेकंठी तिलस्मी इश्क़ की पहना गई मुझे"
Wednesday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय अमित जी हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद। आपकी बात से पूर्णतया सहमत हूँ। संज्ञान के लिए कोटिश धन्यवाद।मतले के लिए सुझाव आमंत्रित हैं।"
Wednesday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय रवि शुक्ला जी हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Wednesday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय संजय शुक्ला जी नमस्कार।सुधार करने के बाद ग़ज़ल अच्छी हो जाएगी। बधाई स्वीकार करें।"
Wednesday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें।"
Wednesday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"221 2121 1221 212 1वो अपने दिल का ज़ाविया दिखला गई मुझेकंठी तिलस्मी इश्क़ की पहना गई मुझे2सूरज की थी चमक वो या थी चाँद की किरणजिस पर सवार एक परी भा गई मुझे3बतलाऊँ भी किसी को मैं हालात दिल के क्योंजब नब्ज़ ज़िन्दगी की समझ आ गई मुझे4लगने लगी बहार सी…"
Wednesday

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Gender
Female
City State
Delhi
Native Place
Delhi
Profession
Teacher
About me
nothing special... just start my journey ....

Rachna Bhatia's Blog

ग़ज़ल - मुझे ग़ैरों में शामिल कर चुका है

2122 2122 2122

1

वो ज़रा-सा सिरफ़िरा कुछ मनचला है

जो महब्बत के सफ़र पर चल पड़ा है

2

मेरे दिल ने जो कहा मैंने किया है

काम फिर चाहे वो अच्छा या बुरा है

3

अक़्स आँखों में हमारी जो छिपा है

इस जहाँ के सबसे प्यारे शख़्स का है

4

है महब्बत एक चिंगारी कुछ ऐसी

दिल लगाने वाला ही इसमें जला है

5

बाद मुद्दत के मिला उससे तो जाना

वो मुझे ग़ैरों में शामिल कर चुका है 

6

कुछ कहे बिन और…

Continue

Posted on May 17, 2023 at 11:30am — 7 Comments

आलेख - माँ की देखभाल औलाद की नैतिक जिम्मेदारी

माँ की देखभाल औलाद की नैतिक जिम्मेदारी

गाज़ियाबाद। इंदिरा चौधरी ने 85 साल की उम्र में जिस इकलौते बेटे की पैरवी करके जमानत कराई, उसे उन्होंने अकेले पाँच वर्ष की उम्र से पाला था। वह जब जेल से बाहर आया तो मां को साथ रखने के बजाय वृद्धाश्रम में छोड़ गया। वह बताती हैं कि वह वाराणसी में बेटे-बहू के साथ ही रह रही थीं। एक दिन अचानक बेटा बहू और पोते को लेकर लापता हो गया। पता चला कि वह जिस कंपनी में काम करता था, वहीं गबन कर गया। कंपनी के केस दर्ज कराने के बाद पुलिस ने उसे तिहाड़ जेल में…

Continue

Posted on March 9, 2023 at 10:17am — 5 Comments

ग़ज़ल - मेरे घर आज आ रहा है कोई

2122 1212 22

1

सोये जज़्बे जगा रहा है कोई 

दिल प हौले से छा रहा है कोई 

2

नज़रों से मय पिला रहा है कोई

मुझको मुझसे चुरा रहा है कोई

3

चाँद तारो न उम्र भर जाना

मेरे घर आज आ रहा है कोई

4

चन्दा कुछ देर ओढ़ ले बदरी

छत प मुझको बुला रहा है कोई

5

मुस्कुराहट सजा के होटों पर

इश्क करना सिखा रहा है कोई 

6

लौटना अपना मुस्तरद*करके

मेरा ओहदा बढ़ा रहा है…

Continue

Posted on March 8, 2023 at 8:17pm — 4 Comments

सदा - क्यों नहीं देते

221--1221--1221--122

1

आँखों में भरे अश्क गिरा क्यों नहीं देते

है दर्द अगर सबको बता क्यों नहीं देते

2

है जुर्म मुहब्बत तो सज़ा क्यों नहीं देते

गर रोग है तो इसकी दवा क्यों…

Continue

Posted on January 16, 2023 at 1:30pm — 14 Comments

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२२२२ २२२२ २२२२ २**पर्वत पीछे गाँव पहाड़ी निकला होगा चाँद हमें न पा यूँ कितने दुख से गुजरा होगा…See More
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
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