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२१२२/१२१२/२२
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सूनी आँखों की रोशनी बन जा
ईद आयी सी फिर खुशी बन जा।१।
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अब भी प्यासा हूँ इक सदी बीती
चैन पाऊँ कि तू नदी बन जा।२।
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हो गया जग ये शीत का मौसम
धूप सी तू तो गुनगुनी बन जा।३।
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मौत आकर खड़ी है द्वार अपने
एक पल को ही ज़िन्दगी बन जा।४।
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मुग्ध कर दू फिर से हर महफिल
आ के अधरों पे शायरी बन जा।५।
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इस नगर में तो सिर्फ मसलेंगे
फूल जाकर तू जंगली …
Posted on December 2, 2023 at 7:00am
221/2121/1221/212
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सब से हसीन ख्वाब का मंजर सँभालकर
नयनों में उस के प्यार का गौहर सँभालकर।१।
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उर्वर करेगा कोई तो फिर से ये सोच बस
सदियों रखा है जिस्म का बंजर सँभालकर।२।
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कीटों के प्रेत नोच के हर शब्द ले गये
रक्खा है खत का आज भी पैकर सँभालकर।३।
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पुरखों से सीख पायी है इस से ही रखते हम
नफरत के दौर प्यार के तेवर सँभालकर।४।
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फूलों से उस को दूर ही रखना सनम सदा
जिस ने रखा है हाथ में…
Posted on October 30, 2023 at 12:39pm — 2 Comments
२२१/२१२१/१२२१/२१२
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ये सच नहीं कि रूप से वो भा गयी मुझे
बारात उस के वादों की बहका गयी मुझे।१।
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सरकार नित ही वोट से मेरी बनी मगर
कीमत का भार डाल के दफना गई मुझे।२।
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दंगो की आग दूर थी कहने को मीलों पर
रिश्तों की ढाल भेद के झुलसा गई मुझे।३।
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अच्छे बहुत थे नित्य के यौवन में रत जगे
पर नींद ढलते काल में अब भा गयी मुझे।४।
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नद झील ताल सिन्धु पे है तंज प्यास यूँ
दो एक…
Posted on October 9, 2023 at 7:58am
२२२२ २२२२ २२२२ २
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पर्वत पीछे गाँव पहाड़ी निकला होगा चाँद
हमें न पा यूँ कितने दुख से गुजरा होगा चाँद।१।
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आस नयी जब लिए अटारी झाँका होगा चाँद
मन कहता है झुँझलाहट से बिफरा होगा चाँद।२।
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हम होते तो कोशिश करते बात हमारी और
शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद।३।
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चाँद बिना हम यहाँ नगर में जैसे काली रात
अबके पूनौ हम बिन भी तो आधा होगा चाँद।४।
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बातें करती होगी बैठी याद हमारी पास
कैसे कह दें तन्हाई में तन्हा होगा…
Posted on October 1, 2023 at 12:33pm — 4 Comments
सादर आभार आदरणीय
अपने आतिथ्य के लिए धन्यवाद :)
मुसाफिर सर प्रणाम स्वीकार करें आपकी ग़ज़लें दिल छू लेती हैं
जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’ जी
प्रिय भ्राता धामी जी सप्रेम नमन
आपके शब्द सहरा में नखलिस्तान जैसे - हैं
शुक्रिया लक्ष्मण जी
हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी!आपने मुझे इस क़ाबिल समझा!
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