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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Page

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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post एक ताज़ा ग़ज़ल
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

उस मुसाफिर के पाँव मत बाँधो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२१२२/१२१२/२२ * सूनी आँखों  की  रोशनी बन जा ईद आयी सी फिर खुशी बन जा।१। * अब भी प्यासा हूँ इक सदी बीती चैन  पाऊँ  कि  तू  नदी  बन  जा।२। * हो गया जग  ये  शीत का मौसम धूप सी  तू  तो  गुनगुनी  बन जा।३। * मौत आकर खड़ी है द्वार अपने एक पल को ही ज़िन्दगी बन जा।४। * मुग्ध कर दू फिर से हर महफिल आ के अधरों  पे  शायरी बन जा।५। * इस नगर  में  तो  सिर्फ  मसलेंगे फूल जाकर  तू  जंगली  बन जा।६। * काम आया  न  जो  नदी होकर शाप उसको  है  तिश्नगी बन जा।७। * उस 'मुसाफिर' के पाँव मत बाँधो जिस ने बोला  है  चाँदनी बन जा।८। * * मौलिक/अप्रकाशित लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। एक सार्थक और संदेशपरक लघुकथा के लिए बहुत बहुत बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"जी आभार।"
Nov 25
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आ. भाई दिनेश जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 25
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आ. रचना बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 25
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आ. भाई देवेश जी, अभिवादन। सुंदर गजल हुई । हार्दिक बधाई।"
Nov 25
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 25
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 25
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"मैं सब की राह का चाहे दिया हूँ  क्या यह मिसरा ठीक है ?"
Nov 25
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आ. भाई अजय जी, अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 25
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आ. रिचा जी, सादर आभार।"
Nov 25
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आ. रचना बहन सदर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार।भाई समर कबीर जी द्वारा इंगित मिसरों में सुधार किया है मार्गदर्शन करने की कृपा करें -"
Nov 25
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आ. भाई नीलेश जी सदर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार।भाई समर कबीर जी द्वारा इंगित मिसरों में सुधार किया है मार्गदर्शन करने की कृपा करें -/मैं सब के हित भले जलता दिया हूँ/'भले गिर खून से लथपथ पड़ा हूँ'कि लथपथ खून से चाहे पड़ा हूँ//"
Nov 25
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। इस शेर को ऐसा करने से समस्या हल हो सकती है- कमर निर्धन की महँगाई से तोड़ी उसी  से  नारे  मैं  लगवा  रहा हूँ"
Nov 25
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आ. भाई अमीरूद्दीन जी अभिवादन। गजल पर उपस्थिति स्नेह व प्रशंसा के लिए आभार।"
Nov 25
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आ. भाई सुरेन्द्र जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Nov 25
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आ. भाई अजय जी, हार्दिक आभार।"
Nov 25
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आ.रिचा जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा है। आ. अमित जी और भाई समर जी के सुझावों से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Nov 25

Profile Information

Gender
Male
City State
Delhi
Native Place
Dharchaula,uttarakhand
Profession
teaching

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog

उस मुसाफिर के पाँव मत बाँधो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२१२२/१२१२/२२

*

सूनी आँखों  की  रोशनी बन जा

ईद आयी सी फिर खुशी बन जा।१।

*

अब भी प्यासा हूँ इक सदी बीती

चैन  पाऊँ  कि  तू  नदी  बन  जा।२।

*

हो गया जग  ये  शीत का मौसम

धूप सी  तू  तो  गुनगुनी  बन जा।३।

*

मौत आकर खड़ी है द्वार अपने

एक पल को ही ज़िन्दगी बन जा।४।

*

मुग्ध कर दू फिर से हर महफिल

आ के अधरों  पे  शायरी बन जा।५।

*

इस नगर  में  तो  सिर्फ  मसलेंगे

फूल जाकर  तू  जंगली …

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Posted on December 2, 2023 at 7:00am

सब से हसीन ख्वाब का मंजर सँभालकर - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

221/2121/1221/212

****

सब से हसीन ख्वाब  का मंजर सँभालकर

नयनों में उस के प्यार का गौहर सँभालकर।१।

*

उर्वर करेगा कोई  तो  फिर  से ये सोच बस

सदियों रखा है जिस्म का बंजर सँभालकर।२।

*

कीटों  के  प्रेत   नोच  के  हर  शब्द  ले  गये

रक्खा है खत का आज भी पैकर सँभालकर।३।

*

पुरखों से सीख पायी है इस से ही रखते हम

नफरत के  दौर  प्यार  के  तेवर  सँभालकर।४।

*

फूलों से उस को दूर ही रखना सनम सदा

जिस ने रखा है हाथ में…

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Posted on October 30, 2023 at 12:39pm — 2 Comments

सरकार नित ही वोट से मेरी बनी मगर - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२

***

ये सच नहीं कि रूप  से वो भा गयी मुझे

बारात उस के वादों की बहका गयी मुझे।१।

*

सरकार नित ही वोट  से  मेरी बनी मगर

कीमत का भार डाल के दफना गई मुझे।२।

*

दंगो की आग दूर थी कहने को मीलों पर

रिश्तों की ढाल भेद  के  झुलसा गई मुझे।३।

*

अच्छे बहुत थे नित्य के यौवन में रत जगे

पर नींद ढलते काल में अब भा गयी मुझे।४।

*

नद झील ताल सिन्धु पे है तंज प्यास यूँ

दो एक…

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Posted on October 9, 2023 at 7:58am

शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२२२ २२२२ २२२२ २

**

पर्वत पीछे गाँव पहाड़ी निकला होगा चाँद

हमें न पा यूँ कितने दुख से गुजरा होगा चाँद।१।

*

आस नयी जब लिए अटारी झाँका होगा चाँद

मन कहता है झुँझलाहट से बिफरा होगा चाँद।२।

*

हम होते तो कोशिश करते बात हमारी और

शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद।३।

*

चाँद बिना हम यहाँ  नगर  में जैसे काली रात

अबके पूनौ हम बिन भी तो आधा होगा चाँद।४।

*

बातें करती होगी बैठी याद हमारी पास

कैसे कह दें तन्हाई  में तन्हा होगा…

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Posted on October 1, 2023 at 12:33pm — 4 Comments

Comment Wall (17 comments)

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At 10:59am on January 25, 2023, Anita Bhatnagar said…

सादर आभार आदरणीय 

At 3:37pm on December 21, 2021, KullarSaddik said…

अपने आतिथ्य के लिए धन्यवाद :)

At 8:45am on January 16, 2021, Aazi Tamaam said…

मुसाफिर सर प्रणाम स्वीकार करें आपकी ग़ज़लें दिल छू लेती हैं

At 8:39pm on December 3, 2020,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’ जी 

At 11:39pm on November 22, 2020, DR ARUN KUMAR SHASTRI said…

प्रिय भ्राता धामी जी सप्रेम नमन
आपके शब्द सहरा में नखलिस्तान जैसे - हैं

At 8:37am on May 14, 2020, Om Prakash Agrawal said…
आदरणीय
सराहना हेतु सहृदय आभार एवं धन्यवाद
At 4:12pm on May 7, 2020, सालिक गणवीर said…
हौसला अफजाई के लिए आपका ममनून हूँ आदरणीय
At 4:04pm on August 8, 2018, babita garg said…

शुक्रिया लक्ष्मण जी

At 11:44am on March 3, 2018, Sanjay Kumar said…
बहुत बहुत धन्यवाद और आभार। कोशिश करूंगा कि कुछ योगदान कर सकूं। बस हौसला अफजाई करते रहिएगा और जहां जरूरी हो तो कुछ सिखा दीजियेगा। सादर
At 7:27pm on March 10, 2016, TEJ VEER SINGH said…

हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी!आपने मुझे इस क़ाबिल समझा!

 
 
 

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