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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, कुछ और प्रयास करने का अवसर मिलेगा। सादर.."
yesterday
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"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।छंदो पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। इस पर पुनः प्रयास करता हूँ । सादर.."
Sunday
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"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
Sunday
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"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन।छंदों पर उपस्थिति उत्तसाहवर्धन और सुझाव के लिए आभार। प्रयास रहेगा कि गेयता बाधित न हो। सादर.."
Sunday
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"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। छंदों पर आपकी उपस्थिति व कमियों को उजागर करने के लिए आभार। इस छंद पर पहला प्रयास है। यदि कमियों पर विस्तृत मार्गदर्शन मिले तो प्रयास को बेहतर करने में मदद मिलेगी। सादर.."
Sunday
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"आ. भा ई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
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"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को उकेरते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
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"कुम्भ लगा प्रयाग में, संतो का जमघट है,आमजन भी आ जुटे, मुक्ति स्नान करने।पर्व सनातन का है, लिए कामना मोक्ष की, जन्मों के कष्टों से सब, आये पार तरने।।मिला सौभाग्य जिनको, संगम तट आने का, बहे जहाँ पर गंगा, जमुना , सरस्वती, बिना प्रभु कृपा कब, कौन…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी क्या हुआ है नया फिर नए साल में।२। * बात यूँ तो  विगत भी रही अनसुनी किसने माना कहा फिर नए साल में।३। * लोग नफरत  पहन  दौड़ते जा रहे जब वही है हवा फिर नए साल में।४। * मैं न स्वागत  न  तू दोस्ती कर रहा कौन सीखा बता फिर नए साल में।५। * मौलिक/अप्रकाशित लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'See More
Jan 14
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Jan 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Jan 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाईसुशील जी, अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Jan 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।  इसकी मौन झंकार -इस खंड में मात्राएँ अधिक हैं देखिएगा।"
Jan 11
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"दोहा अष्टक***हर पथ जब आसान हो, क्या जीवन संघर्ष।लड़-भिड़कर ही कष्ट से, मिलता है उत्कर्ष।।*सहनशील बन जीत ले, मत हो केवल क्रुद्ध।जीवन  इक  संग्राम  है, सत्य  कह गये बुद्ध।।*जीवन रण में बज रही, रणभेरी हर ओर।बचके जाये मन कहाँ, दिखे न…"
Jan 11
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सादर अभिवादन।"
Jan 11
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Jan 9
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post एक बूँद
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।"
Jan 7
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Jan 4
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Jan 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Jan 1

Profile Information

Gender
Male
City State
Delhi
Native Place
Dharchaula,uttarakhand
Profession
teaching

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में

एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१।

*

फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी

क्या हुआ है नया फिर नए साल में।२।

*

बात यूँ तो  विगत भी रही अनसुनी

किसने माना कहा फिर नए साल में।३।

*

लोग नफरत  पहन  दौड़ते जा रहे

जब वही है हवा फिर नए साल में।४।

*

मैं न स्वागत  न  तू दोस्ती कर रहा

कौन सीखा बता फिर नए साल में।५।

*

मौलिक/अप्रकाशित

लक्ष्मण धामी…

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Posted on January 12, 2025 at 7:45am

भाग्य और गर्भ काल ( दोहा दसक)-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

चाहे करता  भाग्य  ही, जीवन भर संयोग

उच्च कर्म से भाग्य भी, बदला करते लोग।१।

*

सद्कर्मों की  चाल  से, माता देकर त्राण

गर्भकाल में जीव का, करे भाग्य निर्माण।२।

*

कर्म भाग्य  दोनों  रहें, जब  बन पूरक रोज

पाते दुख के गाँव में, मानव तब सुख खोज।३।

*

सदा कर्म ही जीव का, देता है फल जान

उद्यत लेकिन कर्म को, भाग्य करे नादान।४।

*

गर्भकाल है स्वर्ग या, जीवन से बढ़ नर्क

या लेखा है भाग्य का, अपने अपने तर्क।५।

*

गर्भ काल सब…

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Posted on January 8, 2025 at 1:30pm

दोहा दसक- बेटी -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

बेटी  को  बेटी  रखो, करके  इतना पुष्ट

भीतर पौरुष देखकर, डर जाये हर दुष्ट।१।

*

बेटा बेटा  कह  नहीं, बेटी  ही  नित बोल

बेटा कहके कर नहीं, कम बेटी का मोल।२।

*

करती दो घर  एक  है, बेटी पीहर छोड़

कहे पराई पर उसे, जग की रीत निगोड़।३।

*

कर मत कच्ची नींव पर, बेटी का निर्माण

होता नहीं  समाज  का, ऐसे जग में त्राण।४।

*

बेटी को मत दीजिए, अबला है की सीख

कर्म उसी के गेह  से, रहे चाँद तक चीख।५।

*

बेटों को भी दीजिए, कुछ ऐसे सँस्कार

बेटी…

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Posted on January 7, 2025 at 1:27pm

दोहा सप्तक - नाम और काम- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

नाम भले पहचान  है, किन्तु बड़ा है कर्म

है जीवन में वो सफल, जो समझा ये मर्म।१।

*

महिमा कहते कर्म की, जग में संत कबीर

नाम-नाम ही जो रटे, समझो सिर्फ फकीर।२।

*

नामीं द्विज भी रह गये, कर्म फला रैदास

पुण्य कर्म  आशीष  को, गंगा  माई पास।३।

*

केवल कर्म बखानता, जग में है इतिहास

सूरज  जैसा  कर्म  ही, देता  नाम उजास।४।

*

दबे कोख इतिहास की, कर्महीन जो गाँव

किन्तु उजागर हो गये, सदा कर्म के पाँव।५।

*

लिखे कर्म की लेखनी, चमक चाँदनी…

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Posted on January 6, 2025 at 5:40pm

Comment Wall (17 comments)

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At 10:59am on January 25, 2023, Anita Bhatnagar said…

सादर आभार आदरणीय 

At 3:37pm on December 21, 2021, KullarSaddik said…

अपने आतिथ्य के लिए धन्यवाद :)

At 8:45am on January 16, 2021, Aazi Tamaam said…

मुसाफिर सर प्रणाम स्वीकार करें आपकी ग़ज़लें दिल छू लेती हैं

At 8:39pm on December 3, 2020,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’ जी 

At 11:39pm on November 22, 2020, DR ARUN KUMAR SHASTRI said…

प्रिय भ्राता धामी जी सप्रेम नमन
आपके शब्द सहरा में नखलिस्तान जैसे - हैं

At 8:37am on May 14, 2020, Om Prakash Agrawal said…
आदरणीय
सराहना हेतु सहृदय आभार एवं धन्यवाद
At 4:12pm on May 7, 2020, सालिक गणवीर said…
हौसला अफजाई के लिए आपका ममनून हूँ आदरणीय
At 4:04pm on August 8, 2018, babita garg said…

शुक्रिया लक्ष्मण जी

At 11:44am on March 3, 2018, Sanjay Kumar said…
बहुत बहुत धन्यवाद और आभार। कोशिश करूंगा कि कुछ योगदान कर सकूं। बस हौसला अफजाई करते रहिएगा और जहां जरूरी हो तो कुछ सिखा दीजियेगा। सादर
At 7:27pm on March 10, 2016, TEJ VEER SINGH said…

हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी!आपने मुझे इस क़ाबिल समझा!

 
 
 

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"क्या उचित न होगा, कि, अगले आयोजन में हम सभी पुनः इसी छंद पर कार्य करें..  आप सभी की अनुमति…"
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.  मैं प्रथम पद के अंतिम चरण की ओर इंगित कर रहा था. ..  कभी कहीं…"
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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
""किंतु कहूँ एक बात, आदरणीय आपसे, कहीं-कहीं पंक्तियों के अर्थ में दुराव है".... जी!…"
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"जी जी .. हा हा हा ..  सादर"
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"अवश्य आदरणीय.. "
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pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी  प्रयास पर आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शन मिला..हार्दिक आभारआपका //जानिए कि रचना…"
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"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।छंदो पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। इस पर पुनः प्रयास…"
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"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
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"वाह वाह वाह ..  दूसरा प्रयास है ये, बढिया अभ्यास है ये, बिम्ब और साधना का सुन्दर बहाव…"
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