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भाई आशीष यादव जी उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार एवं नमन |
आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत'तुरंत'जी प्रणाम, ख़ूबसूरत ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार कीजिए।
भाई Nilesh Shevgaonkar जी , क़ाफ़िया रदीफ़ , कुछ भी हो कहीं भी मात्रा गिरा लो कोई दिक्कत नहीं है | हम लोग तो वरिष्ठ शाइरों के कलाम देखकर ही सीखते हैं | वैसे यह ग़ज़ल शकील साहेब की एक ग़ज़ल पढ़ते पढ़ते हो गई थी | जिसमें ये क़ाफ़िया प्रयोग किये गए हैं -ज़ाहिर है उन्होंने गलत क़ाफ़िया तो प्रयोग नहीं किये होंगे | आप भी आनंद लीजिए ---
दुनिया की रिवायात से बेगाना नहीं हूँ
छेड़ो न मुझे मैं कोई दीवाना नहीं हूँ
रूदाद-ए-ग़म-ए-इश्क़ है ताज़ा मिरे दम से
उनवान-ए-हर-अफ़्साना हूँ अफ़्साना नहीं हूँ
इल्ज़ाम-ए-जुनूँ दें न मुझे अहल-ए-मोहब्बत
मैं ख़ुद ये समझता हूँ कि दीवाना नहीं हूँ
मैं क़ाएल-ए-ख़ुद्दारी-ए-उल्फ़त सही लेकिन
आदाब-ए-मोहब्बत से तो बेगाना नहीं हूँ
है बर्क़-ए-सर-ए-तूर से दिल शोला-ब-दामाँ
शम-ए-सर-ए-महफ़िल हूँ मैं परवाना नहीं हूँ
है गर्दिश-ए-साग़र मिरी तक़दीर का चक्कर
मोहताज-ए-तवाफ़-ए-दर-ए-मय-ख़ाना नहीं हूँ
काँटों से गुज़र जाता हूँ दामन को बचा कर
फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ
लज़्ज़त-कश-ए-नज़्ज़ारा 'शकील' अपनी नज़र है
महरूम-ए-जमाल-ए-रुख़-ए-जानाना नहीं हूँ
---शकील बदायूंनी
आ. तुरंत जी,
मेरी मुराद क़ाफिये की मात्रा गिराए जाने से है..बाकी अन्य जगह से नहीं.
सादर
भाई Nilesh Shevgaonkar जी , आपकी हौसला आफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया | मात्रा गिराना उर्दू ग़ज़ल के अरूज़ में किसी भी प्रकार का ऐब नहीं है , सिर्फ मीर ही क्यों ग़ालिब ,फैज़ ,राहत ,इन्दोरी , दाग़ देहलवी ,किस किस का नाम गिनाएं सब बड़े और छोटे नाम मात्रा गिराते रहे हैं | ग़ज़ल में एक ही चीज़ महत्वपूर्ण है , लय में रूकावट न हो , अगर लय में रूकावट है तो मात्रा नहीं गिरेगी | यही अटल नियम है | मात्रा गिराना आम तौर पर भी ऐब नहीं है| पता नहीं किसने आपके दिमाग में यह बात डाल दी | कई बहूर तो हैं ही ऐसी जिनमें बिना मात्रा गिराए आप ग़ज़ल कह ही नहीं सकते | सादर नमन |
Dimple Sharma जी , हार्दिक आभार
आ. तुरंत साहब
अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई।
बस एक बात जो खटक रही है वो यह कि क़ाफ़िया की मात्रा को गिरा कर पढ़ना पड़ रहा है।
हालांकि ऐसा मीर ने भी किया है लेकिन आमतौर पर ऐसा होना दोष माना जाता है।
आपकी रचना पर आपको पुनः बधाई
आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत'तुरंत'जी नमस्ते, ख़ूबसूरत ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार करें, चौथा शेर और आठवां शेर बहुत ज्यादा पसंद आए, बधाई स्वीकार करें।
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