2211 2122 1221 1222 12
चाहत में सिवा ही चाहत के क्या क्या न सनम हमको मिला
हर जख्म मिला है दिल को यूँ मरहम न सनम हमको मिला
किस को है पता यहाँ कौन कब हो जाये यूँ ही बे-वफ़ा
हम जान लुटा आये अपनी फिर भी न सनम हमको मिला
ता उम्र लगा रहा इश्क में भी यूँ तो मिलना बिछड़ना
मिलके न जुदा हो पर कोई ऐसा न सनम हमको मिला
थोड़ा तो क़रार आये या रब इस दिल ए बेजार को
थोड़ा भी सुकूँ गो चाहत में आखिर न सनम हमको…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on March 5, 2021 at 10:00pm — 2 Comments
दीप की लौ से निकलती रौशनी भी देख ली
और उस की छाँव बैठी तीरगी भी देख ली।१।
*
वोट देकर मालिकाना हक गँवाया हमने यूँ
चार दिन में सेवकाई आपकी भी देख ली।२।
*
दुश्मनी का रंग हम ने जन्म से देखा ही था
आज संकट के समय में दोस्ती भी देख ली।३।
*
आ न पाये होश में क्यों आमजन से दोस्तो
दे के उस ने तो हमें संजीवनी भी देख ली।४।
*
खूब…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 5, 2021 at 2:09pm — 20 Comments
2122 1212 22/112
शम्स हरदम छुपा नहीं रहता
बादलों से ढका नही रहता (1)
लोग मुझको न ढूँढ पाएँगे
मैं कहाँ हूँ पता नहीं रहता (2)
इश्क़ में काम इतने होते हैं
फिर कोई काम का नहीं रहता (3)
लोग आपस में बाँट लेते हैं
मेरा हिस्सा बचा नहीं रहता (4)
हम सभी मिल के एक होते तो
मुल्क इतना बँटा नहीं रहता (5)
लौट आया है सुख मिरे घर में
देख रहता है या नहीं रहता (6)
इक न इक…
ContinueAdded by सालिक गणवीर on March 5, 2021 at 4:42am — 5 Comments
उतरा है मधु मास धरा पर
हर शय पर मस्ती छाई है !
जन गण के तन मन सुरा घुली
गुनगुनी धूप की चोट लगी
कली खुल, वन प्रसफुटित हुई,
मुस्काय बेला चमेली है !
उतरा है मधुमास धरा पर
हर शय पर मस्ती छाई है !!
कमल खिले हैं सरोवरों मेंं
मौज करे हम नावों में
मगन चिड़िया झील के तन हैं
वर बसन्त, प्रकृति मुस्काई है !
उतरा है मधुमास धरा पर
हर शय पर मस्ती छाई है !!
बाण चलाया कामदेव ने
घायल चम्पा गुलमोहर…
Added by Chetan Prakash on March 5, 2021 at 1:30am — 3 Comments
22/22/22/22/22/22
जब मैं सोलह का था, और तुम तेरह की थी
मैं भी भोला सा था, तुम भी मीरा सी थी।
दिल तब बच्चा सा था, आलम अच्छा सा था..
बातें सच्ची सी थीं, आँख वो वीणा सी थी।
शामें खुशबू सी थीं, रातें जादू सी थीं..
दुनिया दिलकश सी थी, मोहब्बत पहली थी।
बारिश प्यारी सी थी, पतझड़ क्यारी सा था..
गर्मी शीतल सी थी, सर्दी आँचल सी थी ।
दुपहर साया सा था, तुमको पाया सा था..
दिल के द्वारे पे धक-धक दस्तक तेरी…
Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 4, 2021 at 11:00pm — 6 Comments
122-122-122-122
निगाहों-निगाहों में क्या माजरा है
न उनको ख़बर है न हमको पता है
न तुमने कहा कुछ न मैंने सुना है
निगाहों से ही सब बयाँ हो रहा है
ख़ुमारी फ़ज़ा में ये छाई है कैसी
ख़िरामा ख़िरामा नशा छा रहा है
मुहब्बत की ऐसी हवा चल पड़ी ये
मुअत्तर महब्बत में सब हो गया है
मिलाकर निगाहें तेरा मुस्कुराना
मेरे दिल पे जानाँ ग़ज़ब ढा गया है
निगाहें …
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 4, 2021 at 10:28pm — 2 Comments
Added by amita tiwari on March 4, 2021 at 8:30pm — 1 Comment
22 22 22 22
इश्क मुहब्बत चाहत उल्फत
रश्क मुसीबत रंज कयामत।
**
किसको क्या होना है हासिल
कोई न जाने अपनी किस्मत।
**
क्यूँ मैं छोडूं यार तेरा दर
हक है मेरा करना इबादत।
**
देख ली हमने सारी दुनिया
तुझसी न भायी कोई सूरत।
**
जोर आजमा ले तू भी पूरा..
देखूँ इश्क़ मुझे या वहशत?
**
'जान' ये दिन भी कट जायेंगे
देखी है जब उनकी नफरत।
**
तेरे ही दम से सारे भरम हैं
वर्ना क्या दोज़ख़ क्या…
Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 4, 2021 at 5:00pm — 11 Comments
ये जो है लड़की
हैं उसकी जो आँखे
हैं उनमें जो सपने
जागे से सपने
भागे से सपने
सपनों में
पंख
पंखों में
परवाज
बंद खामोशी में पुरज़ोर आवाज
आवाज़ में
वादा
बहुत सच्चा, बहुत सीधा -बहुत सादा
कि
मुझे आसमान दे दो
छोटा सही इक जहान दे दो
बदले में देती हूँ वादा
कि अकेली आसमान नहीं ओढ़ूँगी
ओढ़ ही नहीं पाऊँगी
ऐसी ही बनी हूँ मैं
स्वंय को छोड़ ही नहीं…
ContinueAdded by amita tiwari on March 3, 2021 at 10:00pm — 2 Comments
22 22 22 22 22 22 22 22
जब तन्हाई में यादों की बरसात ठहर सी जाती है
इक हूक सी उठती है दिल में ह'यात ठहर सी जाती है
चुपके चुपके आँखों ही आँखों में इश्क़ जवाँ होता है
गर जुम्बिश ना हो आँखों में शुरुआत ठहर सी जाती है
हर पल मिलने की चाहत में पल पल बेताबी रहती है
दिन ढलते ढलते ढल जाता है रात ठहर सी जाती है
होठों पर बात न आ जाये दिल बेचैनी में रहता है
होठों पर आते ही दिल की हर बात ठहर सी जाती है
रह रह कर आहें…
Added by Aazi Tamaam on March 2, 2021 at 9:30pm — No Comments
Added by Sushil Sarna on March 2, 2021 at 7:30pm — 4 Comments
221 2121 1221 212
1
हमसे शगुफ़्तगी की तमन्ना करे कोई
अब और दर्द देने न आया करे कोई
2
आकर क़रीब इश्क़ जताया करे कोई
सच्चा नहीं तो झूठा ही वादा करे कोई…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on March 2, 2021 at 7:08pm — 14 Comments
1212 222 212
चढ़ान में भी कोई क्यों रहे
ढलान में भी कोई क्यों रहे
सियासती हो रंग ए आसमाँ
उड़ान में भी कोई क्यों रहे
दुकान-ए-दिल ही जब हो लुट चुकी
अमान…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on March 1, 2021 at 10:30am — No Comments
चम्पई गंध बसे मन, स्वर्णिम हुआ प्रभात ।
कौन बसा प्राणों, प्रकृति, तन - मन के निर्वात ।।
धूप हुई मन फागुनी, रजनीगंधा रात ।
नद-नाले मचलते वन,गंगा तीर प्रपात।।
रजत रश्मियाँ हँसे नद, चाँद झील के गात ।
काँप जाय है चाँदनी, बरगद हृदय आत ।।
पोर- पोर टेसू हुआ, प्राणों बसे पलाश ।
गुलाबी रंग मन अहा, घर नीला आकाश ।।
रंग - बिरंगी छटा वन, सतरंगा आकाश ।
इन्द्रधनुष रच रहा, पत्ती फूल पलाश।।…
Added by Chetan Prakash on February 28, 2021 at 1:30pm — 4 Comments
२१२२/२१२२
मत निकल तलवार लेकर
जय मिलेगी प्यार लेकर।१।
*
युद्ध नित बर्बाद करता
जी तनिक यह सार लेकर।२।
*
जग मिटा कर दुख सुनाने
जायेगा किस द्वार लेकर।३।
*
इस भवन का क्या करूँगा
तुम गये आधार लेकर।४।
*
नेह की दुनिया अलग है
हो जा हल्का भार लेकर।५।
*
बोझ सा हरपल है लगता
दब गये आभार लेकर।६।
*
कर गया कंगाल सब को
हर भरा सन्सार लेकर।७।
*
टूटती रिश्तों की माला
जोड़ ले कुछ तार…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 26, 2021 at 10:38pm — 4 Comments
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 23, 2021 at 9:30pm — No Comments
दोहा त्रयी : वृद्ध
चुटकी भर सम्मान को, तरस गए हैं वृद्ध ।
धन-दौलत को लालची, नोचें बन कर गिद्ध । ।
लकड़ी की लाठी बनी, वृद्धों की सन्तान ।
धू-धू कर सब जल गए, जीवन के अरमान ।।
वृक्षहीन आँगन हुए, वृद्धहीन आवास ।
आशीषों की अब नहीं, रही किसी में प्यास ।।
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on February 23, 2021 at 8:24pm — 6 Comments
1212 - 1122 - 1212 - 22
घटा ग़मों की वही दिल पे छा गई फिर से
वो दास्तान ज़ुबाँ पर जो आ गई फिर से
ये उम्र कैसे कटेगी कहाँ बसर होगी
अँधेरी रात की जाने न कब सहर होगी
शिकस्त सारी उमीदें मिटा गई फिर से
घटा ग़मों की वही दिल पे छा गई फिर से
मुझे गुमाँ भी नहीं था हबीब बदलेगा
बदल गया है मगर, यूँ नसीब बदलेगा?
बहार बनके ख़िज़ाँ ही जला गई फिर से
घटा ग़मों की वही दिल पे छा गई फिर…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on February 22, 2021 at 8:30am — 6 Comments
२२१/२१२२/२२१/२१२२
वैसे तो उसके मन की बातें बहुत सरस हैं
पर काम इस चमन में फैला रहे तमस हैं।१।
*
पहले भी थीं न अच्छी रावण के वंशजों की
अब राम के मुखौटे कैसी लिए हवस हैं।२।
*
ये दौर कैसा आया मर मिट गये सहारे
चहुँदिश यहाँ जो दिखतीं टूटन भरी वयस हैं।३।
*
पसरी जो आँगनों में उन से हवा लड़ेगी
इन से लड़ेंगे कैसे जो मन बसी उमस हैं।४।
*
उस गाँव में हैं अब भी बेढब सुस्वाद…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 21, 2021 at 9:19am — 10 Comments
1222 1222 122
1
हमारे वारे न्यारे हो रहे हैं
सनम को जाँ से प्यारे हो रहे हैं
2
बसा कर दिल में शोहरत की तमन्ना
फ़लक के हम सितारे हो रहे हैं
3
नवाज़ा है खुदा ने हर खुशी से
बड़े अच्छे गुज़ारे हो रहे हैं
4
गिला शिकवा नहीं है अब किसी से
सभी दिल से हमारे हो रहे हैं
5
तुम्हारी आँखों के इन मोतियों से
समंदर ख़ूूूब ख़ारे हो रहे हैं
6
भरी महफ़िल में 'निर्मल' आज कैसे
निगाहों से इशारे हो रहे…
Added by Rachna Bhatia on February 19, 2021 at 9:30pm — 12 Comments
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