For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमारे वारे न्यारे हो रहे हैं

1222 1222 122

1

हमारे वारे न्यारे हो रहे हैं
सनम को जाँ से प्यारे हो रहे हैं
2
बसा कर दिल में शोहरत की तमन्ना
फ़लक के हम सितारे हो रहे हैं
3
नवाज़ा है खुदा ने हर खुशी से
बड़े अच्छे गुज़ारे हो रहे हैं
4
गिला शिकवा नहीं है अब किसी से
सभी दिल से हमारे हो रहे हैं
5
तुम्हारी आँखों के इन मोतियों से
समंदर ख़ूूूब ख़ारे हो रहे हैं
6
भरी महफ़िल में 'निर्मल' आज कैसे
निगाहों से इशारे हो रहे हैं

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 977

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 3, 2021 at 8:33pm

वाह बड़ी ही प्यारी ग़ज़ल कही है आदरणीया...बधाई

Comment by Rachna Bhatia on March 1, 2021 at 11:28am

आदरणीय समर कबीर सर्, पता नहीं कहाँ से सर् इतना लंबा खिंच गया । न ही एडिट का आप्शन आ रहा है कि मैं ठीक कर सकूँ हालांकि पोस्ट किए केवल ३० सैंकड ही हुए हैं।आपसे क्षमा चाहती हूँ ।

आशा करती हूँ आप इसे अन्यथा नहीं लेंगें।

सादर।

Comment by Rachna Bhatia on March 1, 2021 at 11:22am

आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्कार। सर् हौसला बढ़ाने तथा इस्लाह देने के लिए आपकी आभारी हूँ।

सर् ्््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््

शुहरत अब से ठीक लिखूँगी।मतला तथा तीसरे शे'र का सानी बदलने की कोशिश करती हूँ
Comment by Samar kabeer on February 28, 2021 at 2:47pm

मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

मतला बस ठीक ठीक है ।

'बसा कर दिल में शोहरत की तमन्ना'

'शोहरत' को "शुहरत" लिखा करें, कई बार बताया जा चुका है ।

'बड़े अच्छे गुज़ारे हो रहे हैं'

इस मिसरे को बदलने का प्रयास करें ।

'समंदर ख़ूूूब ख़ारे हो रहे हैं'

इस मिसरे में 'ख़ूब' की जगह "और" कर लें ।

Comment by Rachna Bhatia on February 24, 2021 at 4:44pm

आदरणीय आज़ी तमाम जी ग़ज़ल तक आने के लिए तथा हौसला बढ़ाने के लिए आभार ‌

Comment by Rachna Bhatia on February 24, 2021 at 4:43pm

आदरणीय अमीरुद्दीन'अमीर'जी नमस्कार। ग़ज़ल तक आने तथा हौसला बढ़ाने के लिए आभारी हूँ।फेयर में ठीक कर लेती हूँ।

Comment by Rachna Bhatia on February 24, 2021 at 2:15pm

आदरणीय अमीरुद्दीन'अमीर'जी नमस्कार। ग़ज़ल तक आने तथा हौसला बढ़ाने के लिए आभारी हूँ।फेयर में ठीक कर लेती हूँ।

Comment by Rachna Bhatia on February 24, 2021 at 2:14pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी'मुसाफ़िर'भाई नमस्कार। ग़ज़ल तक आने तथा हौसला बढ़ाने के लिए आभारी हूँ।

Comment by Rachna Bhatia on February 24, 2021 at 2:13pm

आदरणीय कृष मिश्रा जी ंंनमस्कार। ग़ज़ल तक आने तथा हौसला बढ़ाने के लिए आभारी हूँ।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 23, 2021 at 4:34pm

वाह सादगी भरी खूबसूरत ग़ज़ल हुई है। नये से बिम्ब देखने को मिले हैं, ढेरों मुबारकबाद आ. रचना जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
5 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
14 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
14 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service