For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

समूची धरा बिन ये अंबर अधूरा है

ये जो है लड़की

हैं उसकी जो आँखे

हैं उनमें जो सपने

जागे से सपने

भागे से सपने

सपनों में

पंख

पंखों में

परवाज

बंद खामोशी में पुरज़ोर आवाज

आवाज़ में

वादा

बहुत सच्चा, बहुत सीधा -बहुत सादा

कि

मुझे आसमान दे दो

छोटा सही इक जहान दे दो

बदले में देती हूँ वादा

कि अकेली आसमान नहीं ओढ़ूँगी

ओढ़ ही नहीं पाऊँगी

ऐसी ही बनी हूँ मैं

स्वंय को छोड़ ही नहीं पाऊँगी

 

मेरी उड़ान में

सारा जहान उड़ पायेगा

जब जब थकेगा जहान

मेरे आँचल में दुबक आएगा

 

मत डरो, मत घबराओ

कि मुझे पंख मिले तो मैं पता नहीं क्या कर जाऊँगी

तुमसे आगे कहीं दूर निकल जाऊँगी

तुम्हारे अंगना में देहरी में नहीं समाऊँगी

मुझे आसमान दे दो

छोटा सही इक जहान दे दो

बदले में देती हूँ वादा

कि अकेली आसमान नहीं ओढ़ूँगी

ओढ़ ही नहीं पाऊँगी

ऐसी ही बनी हूँ मैं

स्वंय को छोड़ ही नहीं पाऊँगी

 

मेरे भाई

राखी ले के बहना तेरे ही पास आयेगी

मेरे बाबा

ये बेटी आसमान से उतर के आयेगी

तो भी तेरे ही अंगना में नन्ही बन इतराएगी

मेरे साजन

तुम्हारे भी संग संग उडूँगी

हिमालय पर तुम संग पाँव जड़ूँगी

समंदर के तल तक तैरती जाऊँगी

अनछुई अनखुली सीपी ले आँऊगी

तुम संग मिल कर गूथूंगी माला

नन्ही को तुम संग मिल के पहनाऊँगी

 

सच है अगर, तो वो यही है

कि आधी आबादी हूँ पर सच ये पूरा है

समूची धरा बिन ये अंबर अधूरा है

सच कहती हूँ

मुझे आसमान दे दो

छोटा सही इक जहान दे दो

बदले में देती हूँ वादा

कि अकेली आसमान नहीं ओढ़ूँगी

ओढ़ ही नहीं पाऊँगी

ऐसी ही बनी हूँ मैं

स्वंय को छोड़ ही नहीं पाऊँगी

.

 "मौलिक व अप्रकाशित

Views: 323

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on March 6, 2021 at 8:54pm

मुहतरमा अमिता तिवारी जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 6, 2021 at 12:09pm

आ. अमिता जी, सुंदर भवपूर्ण रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आयोजन में आपकी उपस्थिति और आपकी प्रस्तुति का स्वागत…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आप तो बिलासपुर जा कर वापस धमतरी आएँगे ही आएँगे. लेकिन मैं आभी विस्थापन के दौर से गुजर रहा…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service