221 2121 1221 212
चल आज मिल के दोनोंं क़सम ये उठाएँ हम
तुम हमको भूल जाओ तुम्हें भूल जाएँ हम (1)
इह तरह तो हमारा गला बैठ जाएगा
कब तक असम को अपनी कहानी सुनाएँ हम (2)
पीछा न अपना छोड़ेंगी यादों की बिल्लियाँ
चल यार इनको दूर कहीं छोड़ आएँ हम (3)
तेरे ख़िलाफ़ फिर से न आवाज़ उठ सके
लोगों के साथ अपना गला भी दबाएँ हम (4)
मुद्दत से आरज़ू है हमारी ऐ जान-ए-मन
इक शाम तेरे साथ कभी तो बिताएँ हम…
Added by सालिक गणवीर on May 25, 2021 at 10:30am — 5 Comments
सुस्त गगनचर घोर,पेड़ नित काट रहें नर,
विस्मित खग घनघोर,नीड़ बिन हैं सब बेघर।
भूतल गरम अपार,लोह सम लाल हुआ अब,
चिंतित सकल सुजान,प्राकृतिक दोष बढ़े सब।
दूषित जग परिवेश, सृष्टि विषपान करे नित।
दुर्गत वन,सरि, सिंधु,कौन समझे इनका हित,
है क्षति प्रतिदिन आज,भूल करता सब मानव,
वैभव निज सुख स्वार्थ,हेतु बनता वह दानव।
होय विकट खिलवाड़,क्रूर नित स्वांग रचाकर।
केवल क्षणिक प्रमोद,दाँव चलते बस भू पर,
मानव कहर मचाय,छोड़ सत धर्म विरासत…
Added by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" on May 22, 2021 at 5:00pm — 2 Comments
2122 1212 22
नेकियों का अता नहीं मिलता
खुल्द से वास्ता नहीं मिलता
क्यों भला दिल दुखाने वालों को
दंड बाद ए ख़ता नहीं मिलता
तुझको मेरा पता नहीं मिलता
मुझको तेरा पता नहीं मिलता
ऐ ख़ुदा है भी तू या फ़िर कि नहीं
तुझसे क्यों राब्ता नहीं मिलता
कौन ऐसा है जो कि मुफ्लिस के
ज़िस्म को नोंचता नहीं मिलता
दिल की मंज़िल भी कोई मंजिल है
आज़ तक रास्ता नहीं…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on May 19, 2021 at 9:44am — No Comments
जब-जब कालिख सने समय के,
पन्ने खोले जाएंगे
मानवता पर लगे ग्रहण को,
सीधा याद दिलाएंगे।
आफत को जो अवसर मानें,
लाभ कमाने बैठे हैं
अन्तस् को बस मार दिया है,
हठ में अपनी ऐंठे हैं
आज हवा और दवा सब पर,
जिनका पूरा कब्जा है
जान छीनने के कामों को,
ही करने का जज़्बा है।
उनके सारे कर्म आज के,
सदा ही मुँह चिढाएंगे।
जब-जब कालिख सने समय के,
पन्ने खोले जाएंगे।
कुर्सी का लालच कुर्सी का
मद अब जिन पर छाया है
जिनके…
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on May 18, 2021 at 5:00pm — No Comments
(शारदी छंद)
चले चलो पथिक।
बिना थके रथिक।।
थमे नहीं चरण।
भले हुवे मरण।।
सुहावना सफर।
लुभावनी डगर।।
बढ़ा मिलाप चल।
सदैव हो अटल।।
रहो सदा सजग।
उठा विचार पग।।
तुझे लगे न डर।
रहो न मौन धर।।
प्रसस्त है गगन।
उड़ो महान बन।।
समृद्ध हो वतन।
रखो यही लगन।।
===========
*शारदी छंद* विधान:-
"जभाल" वर्ण धर।
सु'शारदी' मुखर।।
"जभाल" = जगण भगण लघु
।2। 2।। । =7…
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on May 18, 2021 at 4:01pm — 3 Comments
जहाँ पर रोशनी होगी
वहीं पर तीरगी होगी।१।
*
गले तो मौत के लग लें
खफ़ा पर जिन्दगी होगी।२।
*
निशा आयेगी पहलू में
किरण जब सो रही होगी।३।
*
उबासी छोड़ दी उस ने
यहाँ कब ताजगी होगी।४।
*
धुएँ के साथ विष घुलता
हवा भी दिलजली होगी।५।
*
कली जो खिलने बैठी है
मुहब्बत में पगी होगी।६।
*
न आया साँझ को बेटा
निशा भर माँ जगी होगी।७।…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 18, 2021 at 7:36am — 3 Comments
1222 1222 1222 1222
छुड़ाया चाँद ने दामन अँधेरी रात में आख़िर
परेशां हूँ कमी क्या है मेरे ज़ज़्बात में आख़िर
उसे कुछ कह नहीं सकता मगर चुप भी रहूँ कैसे
करूँ तो क्या करूँ उलझे हुए हालात में आख़िर
भुलाना चाहता तो हूँ मगर मजबूरियाँ भी हैं
उसी की बात आ जाती मेरी हर बात में आख़िर
सुनो अय आँसुओं बेवक़्त का ढलना नहीं अच्छा
जलूँगा कब तलक मैं इस क़दर बरसात में आख़िर
मुख़ातिब हैं सभी मुझसे कि आगे…
ContinueAdded by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 17, 2021 at 2:20pm — 6 Comments
आज अपने मकसद को पाने में हम होगें कामयाब
मन में रख विश्वास, महामारी से जंग जीत जायेगें
कुदरत के सिद्धांतों पर जब हम चलना सीख जायेगें
जीवन में हम जैसा फल बोयेगें वैसा ही फल खायेगें
आज नहीं तो कल,लोग अपनी गलती समझ जायेगें
आज अपने मकसद को पाने में हम होगें कामयाब ॥
छल कपट राग द्वेश छोड जब जीना सीख जायेगें
लालच त्याग कर, दूसरों के दुख को समझ पायेगें
जिस दिन हम अपनी कमजोरी को ताकत बनायेगें
तभी कोरोना पर अपनी विजय का जश्न मनायेगें
आज अपने मकसद को…
Added by Ram Ashery on May 16, 2021 at 8:30am — No Comments
लेन देन जगत में, कुदरत रखे सब हिसाब ।
मिलता न कुछ मुफ्त में, हम हो कामयाब ॥
अपने आतीत से सीख लें,
पलटकर देख लो इतिहास
मुसीबतों से कुछ सबक ले,
रख सुखी भविश्य की आस ।
हर बाधा की दिशा मोड दो,
कर जीवन में सतत प्रयास ।
विपत्ती में धैर्य से निर्णय लें,
ह्र्दय जगे सफलता की आस ।
मन में जगा विश्वास, आंखों से देखे ख्वाब !
टूटे न मन से आस, लोग होगें कामयाब !!
वक्त रहते आज तू संवार ले,
कल तेरा होगा न उपहास ।
दुख में हिम्मत हार…
Added by Ram Ashery on May 15, 2021 at 9:30am — No Comments
(पावन छंद)
सावन जब उमड़े, धरणी हरित है।
वारिद बरसत है, उफने सरित है।।
चातक नभ तकते, खग आस युत हैं।
मेघ कृषक लख के, हरषे बहुत हैं।।
घोर सकल तन में, घबराहट रचा।
है विकल सजनिया, पिय की रट मचा।।
देख हृदय जलता, जुगनू चमकते।
तारक अब लगते, मुझको दहकते।।
बारिस जब तन पे, टपकै सिहरती।
अंबर लख छत पे, बस आह भरती।।
बाग लगत उजड़े, चुपचाप खग हैं।
आवन घर उन के, सुनसान मग हैं।।
क्यों उमड़ घुमड़ के, घन व्याकुल…
ContinueAdded by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on May 13, 2021 at 9:00am — 1 Comment
नदी जीवन देती है
नदी पालती है
नदी सींचती है
नदी बहना सिखाती है
नदी सहना सिखाती है
नदी बदलाव समझाती है
नदी ठहराव समझाती है
नदी हंसना सिखाती है
नदी अंत तक साथ देती है.
पहाड़, धरती, प्रकृति भी
हमें यही सब सिखाते हैं,
लेकिन हम क्या कर रहे हैं?
हम नदी को धीरे धीरे,
तिल तिल कर मार रहे हैं,
हम अपना सारा कचरा
बेदर्दी से इसमें उड़ेल रहे हैं,
हम प्रकृति को बर्बाद कर रहे हैं
हम धरती को बंजर बना रहे हैं
हम पहाड़ों को…
Added by विनय कुमार on May 12, 2021 at 3:59pm — 2 Comments
हम सांस लेते हैं, हम जीते हैं
और एक दिन आखिरी सांस लेते हैं
इस आखिरी सांस के पहले
हमारे पास वक़्त होता है
अपनों के लिए कुछ करने का
समाज को कुछ लौटाने का
ऐसी वजह बनाने का
जिससे लोग याद रखें
आखिरी सांस लेने के बाद भी,
मगर अमूमन हम
बस अपने लिए ही जीते हैं
और अंत में मर जाते हैं
बिना किसी के लिए कुछ किये.
हम पेड़ पौधों से नहीं सीखते
हम तमाम जानवरों से भी नहीं सीखते
हम नहीं सीखते औरों के लिए जीना
हमारी दुनिया वास्तव में…
Added by विनय कुमार on May 11, 2021 at 6:10pm — 6 Comments
22 22 22 22 22 22 22
माँ की ममता सारी खुशियों से प्यारी होती है
माँ तो माँ है माँ सारे जग से न्यारी होती है
मैंने शीश झुकाया जब चरणों में माँ के जाना
माँ के ही चरणों में तो जन्नत सारी होती है
दुनिया भर की धन दौलत भी काम नहीं आती जब
माँ की एक दुआ तब हर दुख पे भारी होती है
माँ से ही हर चीज के माने माँ से ही जग सारा
माँ ख़ुद इक हस्ती ख़ुद इक ज़िम्मेदारी होती है
और बताऊँ क्या मैं तुमको आज़ी माँ की…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on May 9, 2021 at 3:29pm — 6 Comments
अनजाना उन्माद
मिलते ही तुमसे हर बार
नीलाकाश सारा
मुझको अपना-सा लगे
बढ़ जाए फैलाव चेतना के द्वार
कण-कण मेरा पल्लवित हो उठे
कि जैसे नए वसन्त की नई बारिश
दूर उन खेतों के उस पार से ले आती
भीगी मिट्टी की नई सुगन्ध
कि जैसे कह रही झकझोर कर मुझसे ....
मानो मेरी बात, तुम जागो फिर एक बार
सुनो, आज प्यार यह इस बार कुछ और है
और तुम ...…
ContinueAdded by vijay nikore on May 9, 2021 at 2:30pm — 2 Comments
२२१/२१२१/१२२१/२१२
नौ माह जिसने कोख में पाला सँभाल कर
आये जो गोद में तो उछाला सँभाल कर।१।
*
कोई बुरी निगाह न पलभर असर करे
काजल हमारी आँखों में डाला सँभाल कर।२।
*
बरतन घरों के माज के पाया जहाँ कहीं
लायी बचा के आधा निवाला सँभाल कर।३।
*
सोये अगर तो हाल भी चुप के से जानने
हाथों का रक्खा रोज ही आला सँभाल कर।४।
*
माँ ही थी जिसने प्यार से सँस्कार दे के यूँ
घर को बनाया एक शिवाला सँभाल कर।५।
*
सुख दुख में राह देता…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 9, 2021 at 6:59am — 10 Comments
22 22 22 2
जग में नाम कमाना है
इक दिन तो मर जाना है. (1)
अपना दर्द छुपा कर रख
दिल में जो तहख़ाना है. (2)
ग़ैर समझता है मुझको
जिसको अपना माना है. (3)
मार नहीं सकती है भूख
गर क़िस्मत में दाना है. (4)
नई सुराही ले आए
पानी मगर पुराना है. (5)
चिड़िया उड़ जाए न कहीँ
इक पिंजरा बनवाना है. (6)
शक्ल ज़रा सी है बदली
पर जाना-पहचाना है. (7)
*मौलिक…
ContinueAdded by सालिक गणवीर on May 8, 2021 at 9:00am — 6 Comments
Added by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on May 6, 2021 at 4:00pm — 4 Comments
सपूत को स्कूल वापिसी पर उदास देखा
चेहरा लटका हुआ आँखों में घोर क्रोध रेखा
कलेजा मुंह को आने लगा
कुछ पूछने से पहले जी घबराने लगा
आखिर पूछना तो था ही
जवाब से जूझना तो था ही
जवाब मिला
ग्लोबल वार्मिंग !!
ग्लोबल वार्मिंग ??
माथा ठनका !
बेचारी उषमिता ने ऐसा क्या कर दिया
कि लाल को इतना लाल कर दिया
जवाब जारी था कि
आपकी पीढी का सब किया कराया है
पारे को इतना ऊपर पहुँचाया…
ContinueAdded by amita tiwari on May 4, 2021 at 9:30pm — 3 Comments
दूसरी मुहब्बत के नाम
मेरे दूसरे इश्क़,
तुम मेरे जिंदगी में न आते तो मैं इसके अँधेरे में खो जाता, मिट जाता। तुम मेरी जिन्दगी में तब आये जब मैं अपना पहला प्यार खो जाने के ग़म में पूरी तरह डूब चुका था। पढ़ाई से मेरा मन बिल्कुल उखड़ चुका था। स्कूल बंक करके आवारा बच्चों के साथ इधर-उधर घूमने लगा था। घर वालों से छुपकर सिगरेट और शराब पीने लगा था। आशिकी, पुकार और भी न जाने कौन-कौन से गुटखे खाने लगा था। मेरे घर के पीछे बने ईंटभट्ठे के मजदूरों के साथ जुआ खेलने लगा था। दोस्तों के साथ मिलकर…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 3, 2021 at 10:30pm — No Comments
पृथ्वी सम्हलती नहीं
मंगल सम्हालेंगे
यहाँ ऑक्सीजन नष्ट की
वहाँ डेरा डालेंगे
बहुत मनाईं देवियाँ
बहुत मनाए देव
कर्म-लेख मिटता कहाँ ?
भाग्य लिखा सो होय
बुज़ुर्ग बेमिसाल होते हैं
समस्त जीवन के अनुभवों की
अलिखित किताब होते हैं
बुज़ुर्ग बेमिसाल होते हैं
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Usha Awasthi on May 3, 2021 at 8:04pm — No Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
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